नीट परीक्षाएँ और शुचिता का प्रश्न विषय पर मुक्तमंच, की 85 वीं मासिक संगोष्ठी
जयपुर । मुक्तमंच, जयपुर की 85 वीं मासिक संगोष्ठी ‘नीट परीक्षाएँ और शुचिता का प्रश्न’ विषय पर बहुभाषाविद डॉ. नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ की अध्यक्षता मे सम्पन्न हुई। आईएएस ( सेनि) अरुण ओझा मुख्य अतिथि थे और ‘शब्द संसार’के अध्यक्ष् श्री श्रीकृष्ण शर्मा ने संयोजन किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. कुसुम ने कहा कि इन परीक्षाओं का आयोजन करने वाली संस्थाओं की विश्वसनीयत प्रश्नों के घेरे में है। अपराधियों में भय व्याप्त हो और उन्हें नसीहत मिले, यह प्रशासन की जिम्मेदारी है। जीवन निर्मात्री परीक्षाओं की विश्वसनीयता के लिए समाज के बुद्धिजीवी, न्यायविद् एवं शासन प्रशासन के निष्ठावान लोगों की सेवाएँ ली जानी चाहिए।
मुख्य अतिथि श्री अरुण ओझा ने कहा कि आज ‘एजूकेशन’ बहुत बङी इण्डस्ट्री बन गई और जो लोग नीट-नैट के धन्धे में लगे हुए हैं वे लाखों के वारे न्यारे कर रहे है। यह भर्त्सना योग्य है। दसवीं से एम ए तक के अतिरिक्त प्रतियोगी परीक्षाएँ देते देते नौजवान थक जाते हैं। साल भर पढाई करने के बाद मात्र तीन घन्टे में विशेषज्ञता मापना सम्भव नहीं । लोग नीट-नैट प्रश्नपत्रों के लिए 40, 40 लाख रुपये देने में संकोच नहीं करते । अमेरिका हमारे प्रशिक्षित चिकित्सकों को ले जाता है उसे डाक्टर बनने के लिए जो पाँच सात साल में खर्च होता है उसे अमेरिका बचा लेता है। हमारी देशभक्ति कसौटी पर होती है!
सेवानिवृत मुख्य अभियन्ता एवं कम्प्यूटर विशेषज्ञ दामोदर चिरानिया ने कहा कि नीट’ परीक्षा में पेपर-लीक व्यवसाय बन गया है । केवल उन्हे ही अनुमति हो जिनके विद्यालय स्तर पर 60-70 प्रतिशत से ऊपर अंक हो। परीक्षा व उपलब्ध सीट अनुपात 5:1 तक रखा जाए। नीट परीक्षा कम्प्यूटर आधारित हो । वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बन्ना ने कहा कि शिक्षा आज भी लार्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली है जो केवल ‘बाबू ‘ बनाती है और यह उच्च शिक्षा वाले प्रोफेशन्स के लिए अनुपयुक्त है । कोचिंग माफिया 60,000 करोङ रुपये के संसाधनों से खेल रहे हैं। ये ‘नीट नैट संस्थान आउट सोर्स पद्धित पर आधारित है’ जो भ्रष्टाचार के सहारे चल रहे हैं। नीट परीक्षाओं का विकेन्द्रीकरण होना चाहिए।
वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी ने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों और बिट्स पिलानी जैसे अनेक संस्थानों में ऑन लाइन परीक्षाएँ आयोजित होती हैं। विद्यार्थी अपनी सुविधानुसार तिथि और समय चुन सकता है, अत: हमे भी यह प्रणाली अपना लेनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार अजीत तिवाङी ने कहा कि नीट नेट परीक्षाएं बन्द की जाएँ और प्रतियोगी एवं आजीविका हेतु परीक्षाएँ सी.बी.एस.सी. द्वारा ही आयोजित की जाएँ।
अधिवक्ता डॉ. सावित्री रायजादा ने कहा कि नीट नैट परीक्षाओं में जो भ्रष्टाचार रोकने के लिए कठोर कानून बनाकर शुचिता का मानदण्ड निर्धारित किया जा सकता है। इसके लिए समाज के बुद्धिजीवी, न्यायविद् एवं शासन प्रशासन को समन्वित आधार पर कार्यवाही करनी होगी। मीडियाकर्मी सुमनेश शर्मा ने कहा कि नीट-नैट पेपर लीक अपराधियों को किसी भी कीमत पर जमानत नहीं मिलनी चाहिए। अपराधी 40, 40 लाख में नीट-नैट पेपर बेच रहे है उनके लिए एक करोङ रुपये क्या मायने रहते हैं।
डॉ. एस.सी.गुप्ता ने कहा कि जब तक नीट-नैट प्रश्नपत्र लीक करने वाले अपराधियों से कठोरता से नहीं निपटा जाएगा तब तक शुचिता असम्भव है। साम दाम दण्ड भेद का सहारा परीक्षार्थी लेता है। दुर्भाग्यवश एन.टी.ए – नैट परीक्षाओं के नियन्ता सत्तापक्ष के वरिष्ठ सदस्य हैं। सोशल एक्टिविस्ट पंचशील जैन, जी.के. श्रीवास्तव, डॉ. सुषमा शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए।
प्रारम्भ में संयोजक, ‘शब्द संसार ‘ के अध्यक्ष श्री श्रीकृष्ण शर्मा ने बताया कि 7 राज्यों के 70 पेपर लीक हुए हैं जिनसे करीब 2 करोङ छात्र और उनके परिजन प्रभावित हुए हैं।नैशनल टैस्टिंग एजेंसी राष्ट्रीय स्तर की नीट और नेट भर्ती परीक्षाएँ आयोजित करती है।शिक्षा मन्त्री ने भी माना कि गङबङियाँ हुई हैं। पीङित छात्रों ने जन्तर मन्तर पर धरना देने, जगह जगह धरना प्रदर्शन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया है जो अभी भी जारी है ।
नीट और नेट की विश्वसनीयाता के लिए बुद्धिजीवी, न्यायविद् एवं शासन के निष्ठावान लोगों की सेवाएँ ली जाए : डॉ. कुसुम
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