हिन्दुस्तान जिंक विश्व की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में होगी – चेयरपर्सन, प्रिया अग्रवाल हेब्बर

जिंक की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 15 लाख टन का लक्ष्य
उदयपुर :
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड जिंक का उत्पादन मौजूदा वित्तीय वर्ष में 10 लाख टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 15 लाख टन करने का लक्ष्य है। हिन्दुस्तान जिंक की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कंपनी की 57वीं एनुअल जनरल मीटिंग में यह जानकारी दी। प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा कि देश के विकास में जिंक अहम भूमिका निभाएगा, हिन्दुस्तान जिंक विश्व की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में होगी। हम इस सेक्टर में कम से कम 3 से 4 प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद कर रहे हैं। हम अपना उत्पादन 10 लाख टन से बढ़ाकर 15 लाख टन प्रतिवर्ष करने की योजना बना रहे है। वित्तिय वर्ष 2022-23 के दौरान कंपनी ने 10 लाख टन से अधिक रिफाइंड मेटल का उत्पादन किया है। उन्होंने कहा कि नए वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी ने 257 किलोटन का मेटल प्रोडक्शन किया है।
उन्होंने कहा कि हमारे विकास प्रयासों में क्षमताओं का विस्तार, लंबी अवधी के साथ खानों के पोर्टफोलियो को बनाए रखना, लागत नेतृत्व को मजबूत करना, ग्राहक केंद्रितता के माध्यम से उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार और सस्टेनेबल भविष्य की ओर बढ़ना शामिल है। हम भूमिगत खनन में बैटरी चालित ईवी संचालित करने वाली देश की पहली कंपनी हैं। उन्होंने कहा कि हम निरंतर कुशलता से कई और मील के पत्थर हासिल करेंगे। हमारी मुख्य ताकत, अनुभव और विशेषज्ञता हमें कंपनी के लिए विस्तार के नए रास्ते खोलते हुए हमारे लिए उपलब्ध विकास के अवसरों को अधिकतम करने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि क्षमता विस्तार, मात्रा में वृद्धि, बेहतर परिचालन और वित्तीय प्रदर्शन और सभी हितधारकों के लिए बेहतर मूल्य सृजन हमारे फोकस के प्रमुख क्षेत्र होंगे।
2025 तक कोयला निर्भरता को कम करने का लक्ष्य :
अपने एन्वायरनमेंटल, सोशल और गवर्नेंस लक्ष्य के रूप में हिन्दुस्तान जिंक अपनी स्थिरता बढ़ाने लक्ष्य के साथ आगामी दो वर्षो में कोयले पर अपनी निर्भरता को आधी करने की योजना बना रहा है। प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा कि हिन्दुस्तान जिं़क का पंतनगर मेटल प्लांट 100 प्रतिशत रिन्यूएबल एनर्जी के साथ संचालित है। हमारी सोलर प्रोजेक्ट में 180 मेगावाट और विंड प्रोजेक्ट मे 250 मेगावाट की क्षमता है। कंपनी 2025 तक अपनी कोयला निर्भरता को 50 प्रतिशत कम करने में सफल होगी। उन्होंने कहा कि जब 21वीं सदी के भारत का आर्थिक इतिहास लिखा जाएगा, तो हिंदुस्तान जिंक की बदलाव की कहानी का अपना एक उपलब्धिपूर्ण अध्याय होगा।
जिंक की मांग में वृद्धि पर हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने कहा कि, विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से गैल्वेनाइज्ड स्टील के उपयोग में लगातार वृद्धि के साथ भारतीय बाजार में जिंक की मांग पिछले वित्त वर्ष के 3.8 प्रतिशत से 4 प्रतिशत बढ़ने वाली है। रेलवे जो लगभग 18 प्रतिशत की खपत कर रहा है। रक्षा क्षेत्र में समग्र बुनियादी ढांचे के विकास और अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) से केवल विशेष उच्च-श्रेणी के घटकों के निर्माण में धातुओं की आवश्यकता बढ़ेगी। गैल्वनाइज्ड स्टील की मांग में वृद्धि के साथ, परिणामस्वरूप जिंक की मांग निश्चित रूप से बढ़ेगी। आज, भारत एक प्रमुख धातु क्रांति के शिखर पर है, और हिंदुस्तान जिंक निश्चित रूप से इसका एक हिस्सा होगा।
हिंदुस्तान जिंक आज स्विस फर्म ग्लेनकोर के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा जिंक-सीसा खननकर्ता और वैश्विक स्तर पर चैथा सबसे बड़ा जिंक-सीसा कंपनी है। यह अब दुनिया में चांदी उत्पादकों की शीर्ष 10 सूची में भी शामिल हो गया है। लाभप्रदता कई गुना बढ़ गई है और इसकी जस्ता, सीसा और चांदी की उत्पादन क्षमता भी बढ़ी है। 2002 में 0.2 मिलियन टन प्रति वर्ष से अब इसका उत्पादन 1.1 मिलियन टन हो गया है। हिन्दुस्तान जिंक ने शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के लिए 2030 लक्ष्य निर्धारित किया है।

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