‘मरघट बना पनघट’, ‘मां मुझे मत छोड़ो’ नाटिकाओं का मंचन

उदयपुर। पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस, उमरड़ा, में कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने जलमित्र डॉ. पी. सी. जैन द्वारा रचित दो नाटकों का मंचन करते हुए जल संरक्षण एवं नशा मुक्ति का संदेश दिया। पहले नाटक ‘मरघट बना पनघट’ में यह दर्शाया गया कि आजकल नल आने के बाद पनघट सुने-सुने हो गए हैं। वहां कोई नहीं जाता और कुए या बावड़ी अब कूड़ेदान बन चुके हैं पर जब कुछ दिन तक नल नहीं आता है तो सभी को वह पनघट याद आता है और मरघट बन चुके कुए की सफाई कर उसे पुनर्जीवित करते हैं जिससे कुए की रौनक लौट आती है। उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में मुंबई में 180 पुराने कुओं की खोज कर उनको पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है इसलिए हमें भी हमारे पुराने पन घट को नहीं भूलना चाहिए और कुआं को कूड़ेदान नहीं बनना चाहिए। उन्हें सतत काम में लेते रहना चाहिए।
दूसरी ‘मां मुझे मत छोड़ो’नाटिका में रेव पार्टी में ड्रग्स के नशे में धुत्त एक लडक़ा अपनी मां की मोबाइल कॉल को बार-बार नहीं सुनता है। तभी उसका मित्र मां की मृत देह लेकर रेव पार्टी में आ जाता है जिसे देखकर बेटा चीख पड़ता है और कहता है मां मुझे छोड़ कर मत जाओ मैं यह नशा छोड़ दूंगा। ये नाटिकाएं बेच 2021 के छात्र-छात्राओं ने नव आगंतुक बेच 2023 को संदेश देना हेतु मंचित किये।
कार्यक्रम का आयोजन डॉ. दिलीप कंमुनिटी मेडिसिन ने किया। डॉ. पी.सी. जैन का धन्यवाद प्रिंसिपल डॉ. सुरेश गोयल द्वारा ज्ञापित किया गया। इस मौके पर मेडिकल सुप्रीडेंटेंट डॉ. चंदा माथुर भी उपस्थित थी।

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