उदयपुर। नारायण सेवा संस्थान के लियों का गुड़ा परिसर में त्रिदिवसीय ‘अपनों से अपनी बात’ कार्यक्रम के समापन पर संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि लोग प्रायः भाग्य को दोष देते हैं, जब कि वे अपने कर्मों का फल भोग रहे होते हैं। जीवन में जो भी घटित हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी जब व्यक्ति अपने पर लेने लगेगा, सफलता तभी से उसके द्वार पर दस्तक देना शुरू कर देगी।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति स्वयं से साक्षात्कार कर अपनी कमियों को पहचाने और ध्यान लगाकर उन्हें दूर करें। जीवन में बदलाव के लिए यह बहुत जरुरी है। कार्यक्रम में निःशुल्क सर्जरी, कृत्रिम हाथ-पैर व लगवाने के लिए विभिन्न प्रांतों से आए दिव्यांगजन व उनके परिजनों ने भी अपनी समस्याएं और जिज्ञासाएं साझा की। अग्रवाल ने कहा कि नर में नारायण के सहज दर्शन के लिए सेवा का पथ सबसे सरल है। घर से निकलते वक्त संकल्प करें कि अपने दैनन्दिन कार्य के साथ दूसरों की सेवा का भी कोई एक कार्य जरूर करेंगे। धन या पद से मानव बड़ा नहीं होता। जिसने क्रोध, हिंसा, अहंकार का त्याग कर वाणी में संयम और व्यवहार में प्रेम को अपना लिया वही मानव है। कार्यक्रम का संस्कार चैनल से देश भर में प्रसारण किया गया।
भाग्य दोषी नहीं, कर्मों का भुगतानः प्रशांत
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