कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रपति अभिभाषण में 20 सालों में केवल तीन बार आदिवासी शब्द का उपयोग किया, मोदी ने एक साल में 10 बार : मन्नालाल रावत

  • सांसद मन्नालाल रावत ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा में भाग लिया, कांग्रेस की खोली पोल, कहा-कांग्रेस है आदिवासी विरोधी

उदयपुर। सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि संविधान की हत्या करने वाली कांग्रेस की सरकार में 1951 से 1970 की अवधि में 20 वर्षों के राष्ट्रपति के अभिभाषण में केवल 3 बार आदिवासियों का उल्लेख किया जबकि अभी के राष्ट्रपति के एक ही अभिभाषण में आदिवासियो का दस बार उल्लेख किया गया। कांग्रेस की सरकारों की गलत नीतियों के कारण गुलामी के कानून प्रचलन में रहे और देशभर में जनजातियों के विरूद्ध नकारात्मक दृष्टिकोण से कठोर कार्रवाई की गई।

मंगलवार को संसद में राष्ट्रपति अभिभाषण पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए सांसद मन्नालाल रावत ने राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यों का, इस अभिभाषण में उल्लेख है जिसमें देश के गरीब, मध्यम वर्ग, युवा, महिला,गरीब, वंचित, उपेक्षित, आदिवासी व किसानों को संतुलित प्राथमिकता दिए जाने का उल्लेख है। अन्नदाताओं की समस्याओ के निराकरण विशेष ध्यान रखने के साथ ही जनजाति समाज के पांच करोड लोगों के लिए धरती आबा जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान शुरू करने के लिए मैं सरकार का साधुवाद दूंगा, जिसमें 80 हजार करोड रुपए का प्रावधान है। यह भी महत्वपूर्ण है कि इस अभियान के तहत 17 मंत्रालयों द्वारा 25 से अधिक इंटरवेंशन रखे गए हैं। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री की यह सोच विकसित भारत 2047 में जनजाति क्षेत्र एवं समुदाय की महत्वपूर्ण भागीदारी को आगे बढ़ाएगी।

सांसद श्री रावत ने कहा कि राष्ट्रपति के इस भाषण के अनुसार विकसित भारत हमारा एकमात्र हमारा लक्ष्य है। मिशन है। जिसमें राष्ट्र की सभी व्यवस्थाओं का रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म का अद्भुत उल्लेख किया गया है। गरीबों को गरीमापूर्ण जीवन जीने के लिए एक सशक्त भाव एवं रोड मैप इस बजट में दिखता है।

शासन की सभी व्यवस्थाओं को केंद्र व राज्यों राजकीय कर्मचारी और अधिकारी व उद्योग के प्रतिनिधि संभालते हैं। उनके लिए आठवां वेतन आयोग हो, या 12 लाख 75 हजार तक की आय को टैक्स फ्री करना, अपने आप में महत्वपूर्ण है और उनकी मेहनत व बचत को मान्यता देना है, जो प्रेरणा और अर्थव्यवस्था को ताकत देगी।

सरकार द्वारा लागू की जा रही राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसके माध्यम से देश में मुख्यत जनजातियों को मातृभाषा में आरंभिक शिक्षा दिए जाने का प्रावधान है। विकसित भारत के निर्माण में किसान, जवान और विज्ञान को साथ लेकर नई ग्लोबल इन्नोवेशन पावर हाउस बनाने की जो रीति है वह नींव की बात है। संपूर्ण भारत में आसान कनेक्टिविटी एवं अर्बन टूरिज्म को बढ़ाने के 15 रोपवे प्रोजेक्ट अपने आप में महत्वपूर्ण है। भारत की आधुनिक एवं आत्मनिर्भर कृषि व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास भी महत्वपूर्ण नजर आते हैं जिसमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मिशन महत्वपूर्ण है। मिशन मौसम भी अत्यंत कीमती कदम है जो वेदर रेडी और क्लाइमेट स्मार्ट भारत में किसानों हितकर होगा।

बाबासाहेब अंबेडकर के विजन को लेकर राष्ट्र के विकास एवं उपलब्धियां की चर्चा में जनजातियों, पिछड़े एवं दलितों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है जिसमें जनजातियों के लिए धरती धरती आबा योजना के साथ ही पीएम जनमन योजना, एकलव्य रेजिडेंशियल मॉडल स्कूल और राष्ट्रीय मिशन के तहत आदिवासी समुदाय में व्याप्त सिकल सेल की समस्याओं का निराकरण, आजादी के अमृत महोत्सव के कदमों को जारी रखते हुए जनजाति गौरव वर्ष के रूप में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्म जयंती का आयोजन एवं विरासत के साथ विकास में जनजातियों की उल्लेखनीय भागीदारी का उल्लेख किया गया है।

विगत कांग्रेस की सरकारों की गलत नीतियों के कारण गुलामी के कानून प्रचलन में रहे और देशभर में जनजातियों के विरूद्ध नकारात्मक दृष्टिकोण से कठोर कार्रवाई की गई। नेहरू और उसके बाद की सरकारों की जनजातीय विकास में म्यूजियम अप्रोच के करण और वेरियस एल्विन जो कि एक पादरी था, उसकी औपनिवेशिक दृष्टि की बाते शासन में अपनाने के प्रभाव से जनजाति क्षेत्र में कानून व्यवस्था भंग हुई, संस्कृति का शहर हुआ एवं जनजातियों का अल्पसंख्यक की कारण करने की प्रवृत्ति जोरों से आगे बड़ी जिसका विस्तृत उल्लेख नहीं मध्यप्रदेश की नियोगी कमेटी की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया, लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने ईश्वर कोई कार्रवाई नहीं की और वह रिपोर्ट दबा दी गई। यह भारत के लोकतंत्र का सौभाग्य है कि श्रीमान नरेंद्र भाई मोदी, 2014 से लगातार देश के प्रधान सेवक है और उन्होंने जनजातीय समाज के लिए विरासत के साथ विकास की महत्वपूर्ण नीति को अपनाया व सशक्त रूप से लागू किया। यह भारत बोध की बात है और यह भारतीय दृष्टि है। यह जनजातियों के साथ ही देश का गौरव की बात भी है। इसी का परिणाम है कि आज संस्कृति नाशक पारितंत्र और कानून व्यवस्था बिगाडने वाले तत्व व अर्बन नक्सलवादी सदमे में हैं।

जनजाति क्षेत्र में विकास का बाधक रहा वामपंथी उग्रवाद, आज समाप्त करने के अंतिम चरण में प्रवेश किया है, जिसके अनुसार वामपंथी प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 38 रह गई है। केंद्रीय गृहमंत्री का यह अत्यंत प्रशंसनीय व दृढ़ संकल्प है जिसके अनुसार मार्च 2026 में नक्सलवाद पूरी तरह से देश से मिट जाएगा।

भाजपा ने जनजातियों के लिए 1999 में मंत्रालय दिया, 2003 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग दिया, बैकलॉग सीटों को आगे की भर्ती में जारी रखा, 1999 व 2019 में संविधान में संशोधन कर लोकसभा व विधान सभा में आरक्षण बढाया, 2021 मंे जनजातीय गौरव दिवस दिया, 10 राष्ट्रीय जनजातीय संग्रहालय दिये, 24 हजार करोड की जनमन योजना दी व 80 हजार करोड की धरती आबा जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान दिया। जनजातीय समाज की सबसे बडी समर्थक पार्टी भाजपा है और पीएम मोदी सबसे बडे समर्थक है।

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