विदेशी आक्रांता हाथी रामप्रसाद तक को गुलामी की जंजीरों में नहीं जकड़ सके तो उनकी सनातनी मेवाड़वासियों के आगे टिकने की क्या हिमाकत : डॉ. मेवाड़
उदयपुर : भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति ओगणा की नवसंवत्सर के उपलक्ष्य में बुधवार को ओगणा में विशाल शोभायात्रा निकली और धर्मसभा हुई। समिति के आमंत्रण पर ओगणा पहुंचे मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने ब्रह्मचारी गुलाबदास महाराज का मेवाड़ी परंपरानुसार शाही अभिनंदन कर अशीर्वाद प्राप्त किया। धर्मसभा रात 8:30 बजे ओगणा के बस स्टैंड परिसर में हुई। डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अब सनातन धर्मावलंबियों का संकल्प 500 साल बाद पूरा हुआ है। अब हमारे आराध्य प्रभु श्रीरामलला नवनिर्मित भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं। डॉ. मेवाड़ ने कहा कि मेवाड़ के इतिहास में ओगणा का विशेष स्थान है। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के साथ ओगणावासियों ने कंधे-से-कंधा मिलाकर मुगल आक्रांताओं से मुकाबला किया था। मुगल सेनापति ने महाराणा प्रताप के हाथी रामप्रसाद को बंधक बना लिया था, लेकिन हाथी रामप्रसाद तक को गुलामी की जंजीरों में नहीं जकड़ सके। स्वामी भक्त हाथी रामप्रसाद ने मुगल सेनापति का अन्न-जल त्याग कर अपने प्राण त्याग दिए। जब मुगल सेनापति हाथी रामप्रसाद को ही गुलामी की जंजीरों में नहीं झगड़ सका तो सनातनी मेवाड़वासियों के स्वाभिमान, शौर्य, पराक्रम के आगे टिकने की उनकी हिमाकत ही क्या है? आज मेवाड़ राजवंश अपनी 76वीं पीढ़ी तक अपने धर्म ध्वज को फहराता आ रहा है और आगे भी फहराता रहेगा। उन्होंने- टूटने और बिखरने का चलन मांग लिया, हालत से शीशे का बदन मांग लिया, हम भी खड़े थे तकदीर के दरवाजे पर, लोग दौलत पर गिर पड़े हमने वतन मांग लिया, पंक्तियां प्रस्तुत की तो पूरा धर्मसभा स्थल एकलिंगनाथजी, महाराणा प्रताप और जय मेवाड़ के जयघोषों से गूंज उठा।