उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत) : दि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया, उदयपुर लोकल सेंटर, द्वारा सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए इंजीनियरों की शक्ति का उपयोग करना विषय पर पर वल्र्ड इंजीनियरिंग दिवस मनाया गया। समारोह का प्रारम्भ में संस्था के अध्यक्ष इंजी पुरुषोत्तम पालीवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत कर उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखते हुए बताया कि सभ्य समाज से यदि इंजीनियरिंग को निकाल दिया जावे तो आदमी आदिमानव हो जाएगा। इंजीनियरिंग के बिना आधुनिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इंजीनियरों के पास नवाचार और तकनीकी समाधान विकसित करने की क्षमता है जो जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, टिकाऊ बुनियादी ढांचे और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।
इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उदयपुर लोकल सेंटर के मानद सचिव इंजीनियर पीयूष जावेरिया ने सतत विकास में इंजीनियर समस्या का इंजीनियरिंग सलूशन निकाल कर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है और बताया कि सतत विकास के सिद्धांतों को इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में शामिल करना महत्वपूर्ण है ताकि भावी इंजीनियरों को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्राप्त हो सके। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में, नए अविष्कार और नई तकनीक आती रहती हैं, इसलिए, नई तकनीक को जल्दी से जल्दी अपना समय की मांग हैं। इंजीनियर टिकाऊ बुनियादी ढांचे का निर्माण करके, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को विकसित करने, और प्रदूषण को कम करने के लिए प्रौद्योगिकियों का निर्माण करके स्ष्ठत्र को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
मुख्य वक्ता वक्ता डॉ एस एम प्रसन्ना कुमार निदेशक, गीतांजलि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज, उदयपुर ने बताया कि पृथ्वी की उत्पत्ति के हजारों साल बाद भी पृथ्वी हमारी मदद कर रही है और हमारी देखभाल कर रही है। पृथ्वी की स्थापना के बाद से इंजीनियरों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी से नए आविष्कार,विकास में सुधार हुआ है, जिससे मनुष्य का जीवन आसान हो हुआ है। आज प्रौद्योगिकी के स्तर को देखें तो केवल सपना देखना है कि एक न एक दिन हम लक्ष्य हासिल कर लेंगे और यह संभव है।
वक्ता इंजी राजेश निमारे, पूर्व डीन, सिक्योर एकेडमी ने बताया कि ऐसी चीजें जो समय के साथ बनी रहें, बिना प्राकृतिक संसाधनों को खत्म किये भविष्य की पीढिय़ों भी इसका लाभ उठा सकें। इंजीनियरों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि हम पृथ्वी पर दबाव डाल रहे हैं और पृथ्वी को बुरी तरह नुकसान पहुंचाते रहे है। यदि आज इस पर ध्यान नहीं देंगे तो गंभीर परिणाम सामने होंगे जिससे पृथ्वी को ससटेन करना मुश्किल होगा। पानी का स्तर नीचे चला गया हैं यह चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने सतत विकास के लिए स्थिरता की कल्पना की जिसे 2015-2030 के एजेंडे के भाग के रूप में पेश कियागया। उन्होंने 17 सस्टेनेबल गोल यथा गरीबी दूर हो, भुखमरी खत्म हो,अच्छा स्वास्थ्य और खुशहाली, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा,लैंगिक समानता, स्वच्छ जल और स्वच्छता, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, सभ्य कार्य और आर्थिक विकास, उद्योग नवाचार और बुनियादी ढांचा, असमानताओं में कमी, संधारणीय शहर और समुदाय, जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन, जलवायु एक्शन, पानी के बिना जीवन, ज़मीन पर जीवन, शांति न्याय और मजबूत संस्थान एवं लक्ष्यों के लिए साझेदारी की विवेचना की । उन्होंने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शांति बनाए रखने और भविष्य के युद्धों को रोकने के लिए एक अधिक प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र का उदय हुआ,संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक तौर पर 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र दिवस पर अस्तित्व में आया, सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य चीन फ्रांस, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा चार्टर की पुष्टि की गई।उन्हाने जोर देकर बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित गोल को हासिल करने के लिए इंजीनियरों से अपेक्षा की जाती है कि वे किफ़ायती स्वास्थ्य सेवा के लिए चिकित्सा उपकरण का डिज़ाइन करें। दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार के लिए टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म विकसित करें।जल जनित बीमारियों को रोकने के लिए जल और स्वच्छता प्रणाली बनाएँ। जल शोधन तकनीक विकसित करें, जल को रीसाइकिल और पुन: उपयोग करने के लिए अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली डिजाइन करें। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए कम लागत वाले स्वच्छता समाधान बनाएं। अपशिष्ट को कम करने और वितरण में सुधार करने के लिए स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली लागू करें नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों यथा सौर, पवन,जल विद्युत और भूतापीय को डिजाइन और अनुकूलित करें। नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण का समर्थन करने के लिए ऊर्जा भंडारण समाधान ;जैसे उन्नत बैटरी विकसित करें। इमारतों परिवहन और उद्योगों में ऊर्जा दक्षता में सुधार सुदूर और कम सेवा वाले क्षेत्रों के लिए ऑफ.ग्रिड ऊर्जा समाधान बनाएं। बिजली की मांग पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि हम बिजली की मांग को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भर नहीं रह सकते हमें अन्य स्रोतों से बिजली पैदा करना जारी रखना होगा। उन्होंने जीरो थर्मल टेक्नोलॉजी, सोलर माइक्रो ग्रिड, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुरक्षित कामकाज और गुणवत्ता की अवधारणा पर अपने विचार रखे।
मुख्य वक्ता डॉ प्रमोद पालीवाल प्रोफेसर, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, पंडित दीनदयाल ऊर्जा विश्वविद्यालय, गांधीनगर ने बताया कि आज दुनिया पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है।इंजीनियरोंके पास नवाचार और टिकाऊ समाधान लाने की विशेषज्ञता है।एसडीजी बेहतर भविष्य के लिए रोडमैप प्रदान करते हैं। प्रकृति प्रति वर्ष 125 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की सेवाएं प्रदान करती है और दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत गरीबों को आजीविका के लिए सहायता प्रदान करती है। प्रदूषण से होने वाली हानि प्रति वर्ष 4.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जो वैश्विक उत्पादन का 6.2 प्रतिशत है , 30 प्रतिशत भूमि 2023 डाटा के अनुसार निम्नीकृत हो गई उन्होंने बताया कि 2023 के अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन से दुनिया को प्रति घंटा 16 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट में सिंगापुर एक स्मार्ट, टिकाऊ शहरी वातावरण बनाने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग कर रहा है जिसमें परिवहन, आवास और ऊर्जा प्रणालियों में आईओटी, एआई और नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों को तैनात करने, पर्यावरण के अनुकूल और कुशल बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में अग्रणी है। उन्होंने सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली के भंडारण और बैटरियों के निपटान एक बड़ी चुनौती है पर अपने विचार साझा किए।उन्होने सीमेंट इंडस्ट्री पर अपने विचार रखते हुए बताया कि चाहे वह बांध हों, सडक़ें हो, इमारतें हों कंक्रीट एक निर्माण सामग्री के रूप में अपनी उपस्थिति में सर्वव्यापी है। यह पानी के बाद दुनिया में दूसरी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सामग्री है। 2023 में कंक्रीट का उत्पादन 15 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक हो गया यह एक ऐसा बाजार जो विकासशील दुनिया के औद्योगीकरण के कारण हमारे बुनियादी ढांचे की मांग बढऩे वाला है।
उन्होंने बताया कि सतत विकास जिसमें पर्यावरण,सामाजिक, आर्थिक कई परस्पर निर्भर आयामों को साथ लाना है।उन्होने बताया कि सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य राज्यों द्वारा अपनाया गया। ग्रह के लिए शांति और समृद्धि के लिए ब्लूप्रिंट साझा किया गया। भविष्य में गरीबी खत्म करने, ग्रह की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई का सार्वभौमिक आह्वान कि 2030 तक सभी लोग शांति और समृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। जो वैश्विक साझेदारी में सभी देशों द्वारा कार्रवाई के लिए तत्काल आह्वान हैं। उनके अनुसार गरीबी और अन्य अभावों को समाप्त करने के लिए उन नीतियों के साथ हाथ मिलाना चाहिए जो स्वास्थ्य में सुधार करें, शिक्षा में सुधार करें, गुणवत्ता में सुधार लाए, और आर्थिक विकास को बढ़ावा दें। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए काम करें। उन्होंने बताया कि इंजीनियर्स संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित सस्टेनेबल गोल स्वच्छ जल एवं स्वच्छता,किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा,उद्योग नवाचार,संधारणीय शहर एवं सामुदायिक, संसाधनों का जिम्मेदार उपभोग एवं उत्पादन करा महत्ती भूमिका निभा सकते है। उन्होंने बताया कि इंजीनियर्स समस्या का टिकाऊ समाधान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर मानव जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुओं, सेवाओं को आरामदायक बनाने में मदद करते हैं। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन इंजीपीयूष जावेरिया ने किया।