‘गांधी जी ने बनाया स्वयं सेवा को अनिवार्य तत्व’

सात दिवसीय शिविर के अंतर्गत हुई स्वयं सेवा पर चर्चा

दिल्ली। हिन्दू कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर के अंतर्गत शुक्रवार को गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सौजन्य से स्वयं सेवा की सामाजिक उपादेयता पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला में समिति के प्रशासनिक अधिकारी
संजीत कुमार ने प्रतिभागियों को संबोधित कर भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान स्वयं सेवा के योगदान और गांधी जी के जीवन पर विस्तृत व्याख्यान दिया। संजीत कुमार ने गांधी जी की संपूर्ण जीवन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे महापुरुष समूचे संसार में दुर्लभ हैं जिनका जीवन ही उनका सच्चा संदेश बनकर हमारा पथ प्रदर्शित करता है। संजीत कुमार ने स्वयं सेवा से जुड़े अपने अनेक संस्मरण साझा करते हुए बताया कि एक स्वयं सेवक का आवाज लगाना ही समाज सेवा की शुरुआत का पहला कदम है। उन्होंने स्त्री सशक्तीकरण, अस्पृश्यता उन्मूलन और स्वच्छता के संबंध में गांधी के दर्शन की व्याख्या करते हुए स्वयं सेवा के प्रसंग में इनका महत्व प्रतिपादित किया।
कार्यशाला में समिति के शोध अधिकारी डॉ सौरव राय ने कहा कि गांधी ने स्वयं सेवा का अभ्यास दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान बोअर युद्ध तथा उसके बाद फीनिक्स आश्रम में किया।भारत आगमन के बाद यहां बनाए विभिन्न आश्रमों में सेवा गतिविधियों के साथ राष्ट्रीय आंदोलन में गांधी जी ने स्वयं सेवा को अनिवार्य तत्व बना दिया। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ पल्लव
ने कहा कि छोटे और गैर महत्वपूर्ण समझे जाने वाले कार्यों में भी स्वयं सेवा की आवश्यकता होती है जिनके माध्यम से बड़े सेवा कार्यों तक पहुंचा जा सकता है। डॉ पल्लव ने स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी के रचनात्मक कार्यक्रम को याद करते हुए बताया कि उनके इस दृष्टिपूर्ण कदम ने स्वतंत्रता आंदोलन को वास्तविक अर्थों में राष्ट्रीय चरित्र प्रदान किया। हिन्दी विभाग की डॉ नीलम सिंह ने आयोजन में कहा कि स्वयं सेवा की सही शुरुआत खुद से की जाती है जब कोई व्यक्ति यह निश्चय कर ले कि मैं अपने स्तर पर यथासंभव सेवा करता रहूंगा।
कार्यशाला का संयोजन कर रहे गांधी अध्येता राजदीप पाठक ने गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उद्देश्यों तथा इतिहास की जानकारी दी। व्याख्यानों के पश्चात संवाद सत्र में शौर्य, ईशान, आदित्य, निशिता और अनन्या के सवालों के उत्तर वक्ताओं ने दिए। सत्र का नेतृत्व अनन्या और कोरल ने किया। इससे पहले समिति प्रांगण में पहुंचने पर वेदाभ्यास कुंडू एवं अन्य साथियों ने स्वयं सेवकों का स्वागत किया। कार्यशाला के दूसरे भाग में स्वयं सेवकों ने समिति प्रांगण में गांधी चित्र प्रदर्शनी तथा परिसर का अवलोकन किया। अंत में समिति के सहयोगी विवेक ने आभार प्रदर्शित किया।
सात दिवसीय शिविर के अंतर्गत प्रतिदिन नियमित गतिविधियों के साथ विशेष व्याख्यान और कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा हैं। गुरुवार को पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से गांधी फैलोशिप के संबंध में आयोजित कार्यशाला में दिव्या जैन, तनवीर खारा और अक्सा जैदी ने स्वयं सेवकों को संबोधित किया। इस आयोजन में महाविद्यालय की संस्था दिशा ने भी सहयोग दिया।

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