पिम्स में डॉक्टरों ने ‘भूत-प्रेत का साया’ समझी गई महिला की जान बचाई

उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत )। पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा में चिकित्सकों ने भूत-प्रेत का साया समझी गई महिला की जान बचाई है। पिम्स के चैयरमेन आशीष अग्रवाल ने बताया कि प्रतापगढ़ जिले के लोहारगढ़ की 32 वर्षीय गृहिणी को 13 मार्च को होली से एक दिन पहले पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया। जब मरीज को लाया गया, तो उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे। परिवार के अनुसार, पिछले 5 दिनों से उनका व्यवहार अजीब था, जैसे उन पर किसी आत्मा का साया हो। परिजनों ने बताया कि वह खाना नहीं खा रही थीं, सो नहीं रही थीं और मरे हुए रिश्तेदारों के बारे में जोर-जोर से चिल्ला रही थीं। उनकी आवाज़ भी बदल गई और बहुत तेज़ व भारी हो गई थी। कभी-कभी वह आसपास के लोगों को ज़बरदस्ती पकड़ लेती थीं। डर के कारण परिवार उन्हें पहले भोपों और तांत्रिकों के पास ले गया, जिन्होंने कहा कि उन पर भूत-प्रेत का साया है और वह नहीं बचेंगी। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि जब डॉक्टरों ने मरीज को आईसीयू में भर्ती करने को कहा तो उसके पति ने डरते हुए कहा कि अगर आप जान बचाने की गारंटी देते हैं, तभी हम भर्ती करेंगे लेकिन डॉक्टरों ने परिवार का विश्वास जीतकर उन्हें अस्पताल में एक हफ्ते तक रखने के लिए राज़ी कर लिया।
डॉक्टरों ने उन्हें 24 घंटे तक बेहोशी की दवा (डेक्समेडिटोमिडीन इन्फ्यूजन) देकर शांत किया। जांच में केवल हल्की पोटेशियम की कमी (हाइपोकैलेमिया) पाई गई, जिसे ठीक किया गया। उनका ईईजी और एमआरआई ब्रेन स्कैन सामान्य आया। इलाज के दौरान उन्हें मिर्टाज़ेपिन की हाई डोज़, दो बार ईसीटी (इलेक्ट्रोशॉक थेरेपी) और हिप्नोटिक सुझाव दिए गए। इससे उनकी हालत पूरी तरह ठीक हो गई। इस इलाज को डॉ. प्रवीन खैरकर (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, एमडी) की अगुवाई में डॉ. अमित कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, एनेस्थीसिया), डॉ. अर्चिश खिवसारा, डॉ. मनीषा मीणा और मनोरोग विभाग के डॉक्टरों – डॉ. इशु बामल, डॉ. दिव्या चड्ढा और डॉ. योशा रघुवंशी ने सफलतापूर्वक पूरा किया।
पिम्स के चैयरमेन आशीष अग्रवाल ने बताया कि यह मामला दिखाता है कि भूत-प्रेत के डर के बजाय, समय पर डॉक्टरों पर भरोसा करना ज़रूरी है। अक्सर लोग मानसिक बीमारी को अंधविश्वास से जोडक़र तांत्रिकों के पास चले जाते हैं, जिससे मरीज की हालत बिगड़ जाती है। विशेषज्ञों की सलाह है कि ऐसे मामलों में सही समय पर इलाज कराना चाहिए, ताकि मरीज को जल्द से जल्द स्वस्थ किया जा सके।

Related posts:

चौबीसा द्वारा लिखित बुरा न मानो होली है खुल्लमखुल्ला का महा एपिसोड विमोचित 

उपमुख्यमंत्री ने कनेरा में किया महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा का अनावरण

सीवरेज के पानी को उपचारित कर दुबारा उपयोग में लाकर लाखों लीटर पानी बचा रहा है हिन्दुस्तान जिंक

हिंदुस्तान जिंक का दिवाली अभियान “ प्रगति की रोशनी ”

कोरोना की रफ्तार हुई धीमी, बुधवार को 67 पॉजिटिव रोगी मिले

Hindustan Zinc Revolutionizes Metal Logistics with Digitally Enabled Zinc Freight Bazaar

पिम्स हॉस्पिटल उमरड़ा द्वारा 185 सैन्य हॉस्पिटल में दो दिवसीय निशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित

अल्पेश लोढ़ा जार के महासचिव नियुक्त

सिटी पैलेस में मनाया 'विश्व पर्यटन दिवस' और 'महाराणा जगत सिंह द्वितीय की जयंती'

Hindustan Zinc receives CSR Leadership Award

प्रशांत अग्रवाल को 'श्रीवैश्य रत्न सम्मान'

हिंदुस्तान जिंक ने भारत के सबसे अधिक भार वाले ट्रांसमिशन स्टील पोल स्ट्रक्चर के लिए जिंक की आपूर्ति ...