उदयपुर। महामारी में वर्क फ्रॉम होम एवं सोशल डिस्टैंसिंग के साथ हर व्यक्ति घरों के अंदर ज्यादा समय बिताने लगा। लॉकडाउन ने कई परिवारों को एक छत के नीचे एक साथ ला दिया, लेकिन इसके साथ ही घरों में काम का बोझ भी बढ़ गया। हाल ही में किए गए सर्वे में सामने आया कि 82 प्रतिशत लोग इस बात पर सहमत हैं कि घर और ऑफिस के काम के बीच संतुलन बिठाने के कारण महामारी के दौरान अपने परिवार के साथ बिताने के लिए कम समय मिला।
इस जानकारी के साथ पीएंडजी की ओर से दुनिया के सबसे बड़े लॉन्ड्री ब्रांड और भारत के अग्रणी फैब्रिक केयर ब्रांड ने एक नई फिल्म लॉन्च कर अपने नए अभियान ‘टाईड बनाए टाइम‘ की घोषणा की। इस अभियान के साथ टाइड इस कहानी को देश में अनेक घरों तक पहुंचा रहा है, जहां पर लोगों का ज्यादातर समय दैनिक काम-काजों में बीत रहा है और उन्हें कोई और चीज करने के लिए समय नहीं बच पा रहा है।‘‘क्या हम अपना समय वास्तव में महत्वपूर्ण चीजों में बिता रहे हैं?, यह महत्वपूर्ण सवाल उठाकर टाइड आज के परिवारों में समय के महत्व को संदर्भित कर रहा है।
एक भावुक कहानी के साथ बनी नई फिल्म ‘टाईड बनाए टाइम‘ एक दादी की कहानी है, जो अपने घर आई है। घर के रुकने की पूरी अवधि में वह यह देखती रही कि उसकी पोती अकेली रहती है और अपने माता-पिता का समय पाने की केवल कोशिश ही कर पाती है क्योंकि उसके माता-पिता ऑफिस या घर के कामों में व्यस्त रहते हैं। जब वह परिवार के पास घूमकर वापस जाती है, तो दादी परिवार को यह एहसास कराती है कि पोती अपने माता-पिता की कितनी कमी महसूस करती है और उनका समय पाना चाहती है। वह यह भी बताती है कि समय सबसे मूल्यवान तब होता है जब वह वास्तव में महत्वपूर्ण चीजों में बिताया जाए और उनसे निवेदन करती है कि वो अपनी बेटी के लिए ज्यादा समय निकालें।
इस फिल्म को 3 मिलियन से ज्यादा व्यू मिल चुके हैं और दादी मां का संवाद – ‘‘हमारे पास समय होता नहीं, हमें समय बनाना पड़ता है’’ कई लोगों की कहानी है। टाइड सरल तरीकों से यह दिखा रहा है कि परिवार किस प्रकार एक दूसरे के लिए समय निकाल सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारत के घर 300 घंटे का समय लॉन्ड्री में बिताते हैं। डबल पॉवर, टाइड सोक करने पर या फिर मशीन के अंदर की बेहतर क्लीनिंग प्रदान कर सकता है, जिससे लॉन्ड्री में कम समय लगता है और इस बचे हुए समय का इस्तेमाल ज्यादा महत्वपूर्ण चीजों में किया जा सकता है तथा परिवार, दोस्तों, उनकी रुचियों, शौक या फिर अन्य किसी चीज़, जिसके लिए पहले समय नहीं मिल पाता था, उसमें यह समय बिताया सकता है।
शरत वर्मा, चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, पीएंडजी इंडिया एवं वाइस प्रेसिडेंट, फैब्रिक केयर ने कहा कि कोविड के दौरान हम अपने घरों के अंदर सीमित हो गए हैं लेकिन आपस में आई इस नज़दीकी से मजबूत भावनात्मक संबंध विकसित हों, यह जरूरी नहीं। शोध में सामने आया है कि 10 में से 9 लोग इस बात पर सहमत हैं कि कोविड ने उन्हें एक साथ रहने का महत्व समझा दिया। ‘टाइडफॉरटाइम’ अभियान के साथ हम एक महत्वपूर्ण सवाल उठा रहे हैं जो आज के संदर्भ में और ज्यादा महत्वपूर्ण है। वह यह है कि ‘क्या हम अपना समय उसमें बिता रहे हैं, जो वास्तव में जरूरी है?’
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