जालसाजों ने आपके बैंक खाते से पैसे चुराने के नए तरीके खोज लिए हैं : मनीष अग्रवाल

उदयपुर :  स्कैमर्स सोशल इंजीनियरिंग के हथकंडों का इस्तेमाल कर लोगों को अपनी गोपनीय बैंकिंग एवं व्यक्तिगत जानकारी साझा करने के लिए लुभा रहे हैं। वो अपने शिकारों को अत्यधिक लुभावने ऑफरों या मदद करने का लालच देकर या फिर धमकी देकर फंसा रहे हैं।

‘श्री मनीष अग्रवाल, हेड क्रेडिट इंटैलिजेंस एवं कंट्रोल,एचडीएफसी बैंक के अनुसार, भुगतान करने और अन्य बैंकिंग विनिमयों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग में तीव्र वृद्धि हुई है। यद्यपि इससे ग्राहक की सुविधा काफी बढ़ी है, लेकिन जालसाज भी पैसे चुराने के लिए डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। जैसे-जैसे वित्तीय विनिमय करना ज्यादा आसान हुआ है, वैसे-वैसे ग्राहकों को ठगने की कोशिशों में भी उतनी वृद्धि हुई है। जालसाजों के पक्ष में विनिमय को अधिकृत कर देने पर ग्राहकों को विनिमय के सुगम प्रवाह के कारण बिल्कुल भी वक्त नहीं मिल पाता।

कोरोना महामारी की शुरुआत से डिजिटल जालसाजों ने अपने रूप में काफी परिवर्तन कर लिया है और वो अब लोगों का भरोसा जीतने के लिए काफी गूढ़ बन चुके हैं। जालसाज आम व भोलेभाले लोगों को ठगने के लिए अभिनव तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन लोगों में टेक्नो-फाईनेंशल परिवेश को समझने वाले भी शामिल हैं, और वो भी शामिल हैं, जो इस परिवेश से परिचित नहीं।

जालसाज आम तौर से मेट्रो शहरों और शहरी केंद्रों के बाहरी इलाकों में स्थित होते हैं, ताकि वो कानून प्रवर्तन एजेंसियों और मेट्रो/शहरी पुलिस की कार्रवाई से बचे रहें।

बैंकर्स और कानून प्रवर्तन अधिकारियों को पिछले कुछ महीनों में केवाईसी अपडेट, जाली मार्केट प्लेस लिस्टिंग, नौकरी के स्कैम, नकली कस्टमर केयर नंबरों के नाम में ग्राहकों के साईबर फ्रॉड का शिकार होने की रिपोर्ट/शिकायतें मिली हैं। इन मामलों आम तौर से ग्राहकों को अवांछित कॉल, टैक्ट संदेश, ई-मेल आदि मिलते हैं, जिनमें एक लिंक द्वारा ग्राहकों से अपने बैंक खाते, लॉग इन की जानकारी, कार्ड की जानकारी, पिन और ओटीपी देने के लिए कहा जाता है। कभी-कभी पीड़ित के फोन का नियंत्रण पाकर उसकी गोपनीय जानकारी चुराने के लिए अनधिकृत और असत्यापित मोबाईल ऐप्स का इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसे हमलों में ये ठग बैंकर/बीमा एजेंट/स्वास्थ्य कर्मी/सरकारी अधिकारी या स्थानीय दुकानदार बनकर ग्राहकों को कॉल करते हैं या उनसे संपर्क करते हैं। वो नाम/जन्म की तारीख आदि विवरण साझा करके इन सुरक्षित क्रेडेंशियल्स की पुष्टि कराते हैं और विश्वास हासिल करते हैं। इसके बाद वो महत्वपूर्ण और आवश्यक सेवा प्रस्तुत करते हैं। वो ग्राहकों को सेवा के बदले भुगतान करने के लिए कस्टमाईज़्ड पेमेंट लिंक भी भेजते हैं।

कुछ मामलों में ये ठग इमरजेंसी, महत्वपूर्ण मेडिकल केयर उत्पादों की कमी, खाता ब्लॉक होने या ऐसे ही किसी अन्य खतरे का हवाला देकर ग्राहकों पर गोपनीय जानकारी साझा करने का दबाव डालते हैं। इसके बाद इन क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल कर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी की जाती है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि ग्राहकों को अपने बैंक खातों में पैसे प्राप्त करने के लिए किसी भी ओटीपी या पिन द्वारा सत्यापन करने की जरूरत नहीं होती है और ओटीपी/पिन के लिए ऐसे किसी भी निवेदन पर कान खड़े हो जाने चाहिए।

आज जालसाजों ने अपने काम करने के तरीकों का विस्तार कर लिया है, जिसमें वो वास्तविक ग्राहक बनकर उन क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल कर लोन भी प्राप्त कर रहे हैं, जो वास्तविक ग्राहकों द्वारा लोन, सेवाएं, मोबाईल कनेक्शन प्राप्त करने, मौजूदा सुविधा आदि में रिकॉर्ड अपडेट करने के लिए बाजार में एजेंट्स को दिए जाते हैं। यह आवश्यक है कि ऐसे दस्तावेज किसी भी एजेंट को दिए जाने से पहले उन्हें जमा किए जाने का उद्देश्य दस्तावेज के ऊपर स्पष्ट रूप से लिखा हो।

बैंक किसी भी गलत आचरण, जो वित्तीय हो या किसी अन्य प्रकार का, उसके प्रति जीरो टॉलरेंस रखता है और उद्योग एवं आंतरिक डेटाबेस में ऐसे रिकॉर्ड अपडेट करता है; बैंक उचित कार्रवाई के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सूचित करता है।

अब ज्यादातर ऑनलाईन धोखाधड़ी सप्ताह के दिनों और कार्यालयीन घंटों में की जा रही हैं, ताकि ग्राहकों को विश्वास दिलाया जा सके कि ये कॉल एवं ऑफर वैध हैं।

एचडीएफसी बैंक द्वारा एक धोखाधड़ी विवाद समय विश्लेषण से सामने आया कि इस वित्त वर्ष के पहले तीन माह में, 65 से 70 प्रतिशत धोखाधड़ी सुबह 7:00 बजे से शाम 7:00 बजे के बीच हुईं।

इन निष्कर्षों ने खुलासा किया कि 80 से 85 प्रतिशत प्रभावित ग्राहक 22 से 50 साल के आयु समूह में थे, और वो अनुमानतः ज्यादा तकनीकी समझ रखने वाले आयु वर्ग में थे।

गृह मामलों के केंद्रीय मंत्री, (‘‘एमएचए’’), ने 17 जून, 2021 से एक केंद्रीकृत हैल्पलाईन नंबर 155260 और एक रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म शुरू किया है, जहां पीड़ित साईबर फ्रॉड की घटनाओं की सूचना दे सकते हैं।

इस हैल्पलाईन में संबंधित राज्य पुलिस के कर्मचारी होंगे और सूचित घटनाओं को सिटिज़न फाईनेंशल साईबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा संभाला जाएगा, जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों, बैंकों एवं वित्तीय संगठनों से जुड़ा होगा।

इसके अलावा, एचडीएफसी बैंक सोशल मीडिया, टैक्स्ट संदेश, ई-मेल, और समय-समय पर ग्राहकों को नोटिफिकेशन भेजकर सुरक्षित बैंकिंग के अभियान चला रहा है। ये अभियान मुख्यतः जालसाजी के नवीनतम तरीकों तथा डिजिटल बैंकिंग की अनिवार्यताओं एवं निषिद्धताओं पर केंद्रित हैं।

Related posts:

Ariel launched new campaign
राजसमंद में वेदांता हिन्दुस्तान जिंक द्वारा अत्याधुनिक तकनीक के 100 बेड वाले कोविड फिल्ड हॉस्पीटल की...
एमवे इंडिया ने नवप्रवर्तन में बड़ी छलांग लगाते हुए गमीज और जेली स्ट्रिप्स फॉर्मेट में सप्लीमेंट्स की...
डिजिटल डिक्सटेरी आवार्ड कैटेगरी के तहत स्किलसॉफ्ट पर्सपेक्टिव 2021 इंडिया अवार्ड्स में सम्माजनक उपलब...
इंदिरा आईवीएफ के 100वें इनफर्टिलिटी उपचार केंद्र का उद्घाटन
जिंक वर्क इंटीग्रेटेड लर्निंग प्रोग्राम के तहत् 118 अधिकारियों को उच्च शिक्षा का अवसर
मिराज ग्रुप द्वारा 1 करोड़ वृक्षारोपण अभियान का संकल्प
जिंक की कायड़ माइन राजस्थान की एकमात्र 5-स्टार रेटिंग विजेता से पुरस्कृत
Mission Mustard – 2025
Mountain Dew launches all new campaign
आधुनिक खेती में हिन्दुस्तान जिंक की पहल
उदयपुर में यूज़्ड कार्टन पैक्स का संग्रहण एवं रिसाईक्लिंग बढ़ाने के लिए टेट्रा पैक एवं फिनिश सोसायटी...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *