सुख-दुख, गरीब-अमीर सब कर्मों पर निर्भर : संजय शास्त्री

पानेरियों की मादड़ी में श्रीमद् भागवत का तीसरा दिन
उदयपुर।
पानेरियों की मादड़ी स्थित घूमर गार्डन में पुरुषोत्तम मास के तहत चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा का लाभ लिया। यजमान श्यामलाल मेनारिया, अखिलेश मेनारिया एवं उज्जवल मेनारिया ने बताया कि शनिवार को सती चरित्र, ध्रूव चरित्र, श्री पृथु चरित्र, पूरनजनोंपाख्यान, श्री ऋषभदेव प्राकट्य, राजा रहु गण को जड़ भरत का भवाटवी जैसे प्रसंग सुनाकर उनकी व्याख्या की। पुरुषोत्तम मास के चलते उनके परिवार द्वारा आमजन के लिए भागवत कथा का आयोजन रखा गया। इसमें गांव मादड़ी सहित आसपास के क्षेत्र से रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु संगीतमय कथा का लाभ लेते हुए व्यास पीठ से निकले हर एक उपदेश को ध्यान से श्रवण कर रहे हैं। भागवत के भजनों पर श्रद्धालु आनंदमयी होकर भक्ति रस में झूमते हैं।
व्यास पीठ से कथावाचक संजय शास्त्री ने कहा कि धरती पर भगवान के अवतार होने का क्या कारण है? भगवान अवतार क्यों लेते हैं? जब-जब भी पृथ्वी पर अधर्म फैलता है, धर्म का नाश होता है और राक्षसी प्रवृत्तिया बढ़ जाती है तब तब भगवान को उनका नाश करने के लिए धरती पर अवतरित होना पड़ता है। भगवान हमेशा सभी पर कृपा करते हैं। किसी को दुखी नहीं करते हैं। कई बार ऐसे सवाल उठते हैं वह व्यक्ति इतना धर्मात्मा होकर दान पुण्य करता है फिर भी वह दुखी है, गरीब है। एक व्यक्ति जो नास्तिक है भगवान के भजन नहीं करता, दान पुण्य नहीं करता है फिर भी अमीर है, सुखी है और उसके वंश की वृद्धि हो रही है। संजय शास्त्री ने कहा कि भगवान कभी किसी को सुखी, दुखी या अमीर, गरीब नहीं बनाते। यह उनका कार्य नहीं है। भगवत कृपा तो सभी पर समान बरसती है। सुख-दुख, गरीब-अमीर सब व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है। जब तक व्यक्ति के पूर्व जन्म के पुण्य होते हैं तब तक वह उनका फल भोगता है और जीवन में हमेशा खुशी और आनंदित रहता है। जब उसके पुण्य कर्मों का समय खत्म  होता है वह सारी परेशानियों और आपत्तियों से घिरने लगता है। इसलिए जीवन में हमेशा भक्ति और प्रभु के भजन करते रहना चाहिए। अगर ऐसा करेंगे तो जीवन में कई सारी आपत्ति और विपत्तियों से बच जाएंगे।

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