रेडियो के डॉक्टर है उदयपुर के भूपेन्द्र मल्हारा

25 वर्षों में किया 200 से अधिक रेडिया का कलेक्शन
आज विश्व रेडियो दिवस है। विश्व का सबसे सुलभ मीडिया का साधन रहा रेडियो आज भी अधिकांश लोगों की पहली पसंद है। सुबह की चाय के साथ हाथ में अखबार और रेडियो पर बचता मधुर संगीत हर वर्ग की पसंद है और संचार जगत में रेडियो की लोकप्रियता को दर्शाता है।
रेडियो के प्रति ऐसी दीवानगी देखने को मिलती है झीलों के इस शहर में। उदयपुर के अशोक नगर क्षेत्र में रेडियो के जादूगर के नाम से जानने वाले भूपेन्द्र मल्हारा की रेडियो की प्रति दीवानगी देखते ही बनती है। 25 वर्षों से अधिक समय से विभिन्न प्रकार के 200 से अधिक रेडियो का कलेक्शन इनके पास उपलब्ध है। नवाचारों से युक्त आज के इस तकनीकी दौर में रेडियो का संरक्षण एवं रेडियो का उपयोगिता को बरकरार रखना मल्हारा का अनूठा प्रयास है।
रेडियो के प्रति इनका अनुभव देखते ही बनता है। रेडियो सिस्टम में उपयोग आने वाले सभी उपकरणों का बारीकी से ज्ञान इनके तकनीकी कौशल व दक्षता को बयां करता है। आज भी फिलिप्स, मर्फी, फालना जैसी ख्यातनाम कंपनियों के रेडियो इनके संग्रह में शामिल है और आमजन अपना रेडियो खराब होने पर इनके पास लाते है और बंद पड़ा रेडियो पुनः शुरू करवाकर मनोरंजन का लुत्फ उठाते है। इसलिय भूपेन्द्र मल्हारा को रेडियो का डॉक्टर भी कहते है।
भूपेन्द्र मल्हारा बताते है कि उनके संग्रह में सबसे छोटा रेडियो 3 गुणा 2 इंच का है। वहीं सबसे बड़ा रेडियो 4 फीट ऊंचा, 4 फीट लंबा और डेढ फीट चौड़ा है। मल्हारा के अनुसार ज्यादातर रेडियो वेक्यूम ट्यूब के है जो गर्म होने के बाद चलते है। कई रेडियो स्टेशन बंद हो जाने की वजह सै नये रेडियो में एफ एम सिस्टम आने लगे है। भूपेन्द्र का पूरा परिवार रेडियो का शौकीन है और वे खुद लेकसिटी रेडियो श्रोता संग के सदस्य है।
मल्हारा ने बताया कि 13 फ़रवरी 2012 को दुनियाभर में प्रथम विश्व रेडियो दिवस मनाया गया। शिक्षा के प्रसार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक बहस में रेडियो की भूमिका को रेखांकित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने पहली बार 13 फ़रवरी 2012 को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया। तब से 13 फ़रवरी को संयुक्त राष्ट्र रेडियो की वर्षगांठ मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1946 में इसकी शुरूआत हुई थी। विश्व की 95 प्रतिशत जनसंख्या तक रेडियो की पहुंच है और यह दूर-दराज के समुदायों और छोटे समूहों तक कम लागत पर पहुंचने वाला संचार का सबसे सुगम साधन हैं। दुनिया के किसी भी कोने में रेडियो सुना जा सकता है। वे लोग, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानते, रेडियो सुनकर सारी जानकारियाँ पा जाते हैं। आपातकालीन परिस्थितियों में रेडियो सम्पर्क-साधन की भूमिका भी निभाता है और लोगों को सावधान और सतर्क करता है। कोई भी प्राकृतिक आपदा आने पर बचाव-कार्यों के दौरान भी रेडियो महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यूनेस्को ने रेडियो के इस महत्त्व को रेखांकित करने के लिए विश्व रेडियो दिवस मनाना शुरु किया है। यूनेस्को ने सबसे पहले विश्व-स्तर पर रेडियो दिवस मनाने की शुरुआत की थी।
इस महान मीडिया से जुड़ने पर भूपेन्द्र मल्हारा गौरवान्वित है और हर पीढ़ी को रेडियों का उपयोगिता व महत्व के बारे में जागरूक करते हुए रेडियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।

Related posts:

24 वर्ष बाद उदयपुर में आयोजित होगा 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ
भारतीय सिनेमा कला का एक अलग ही क्षेत्र है : डॉ. मृत्युंजयसिंह
महाराणा शंभुसिंह की 176वीं जयन्ती मनाई
पिम्स द्वारा आयोजित फ्री केम्प में 150 से अधिक बच्चों को मिला परामर्श
वेदांता उदयपुर वल्र्ड म्यूजिक फेस्टिवल में संगीत संध्या का आयोजन
एचडीएफसी बैंक और फ्लाईवायर में गठबंधन
दर्शन डेंटल कॉलेज में डेंटिस्ट्स डे’ पर बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यक्रम आयोजित
HDFC Bank’s Home Loan business demonstrates strong performance
देबारी मंडल कार्यसमिति की बैठक आयोजित
डॉ. लक्ष्यराज सिंह की महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात 
नेशनल डिसेबिलिटी क्रिकेट चैम्पियनशिप उदयपुर में
HDFC Bank crosses milestone 200 branches in Rajasthan

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *