महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन का 39वां वार्षिक विद्यार्थी सम्मान समारोह

विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 64 मेधावी विद्यार्थियों का होगा सम्मान
उदयपुर।
महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर द्वारा शैक्षणिक, सहशैक्षणिक एवं खेलकूद के क्षेत्र में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को दिये जाने वाले भामाशाह सम्मान एवं महाराणा राजसिंह सम्मान के तहत 64 छात्र-छात्राओं को श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिये सम्मानित किया जाएगा।
महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन के 39वें वार्षिक सम्मान समारोह के संयोजक डॉ. मयंक गुप्ता द्वारा सम्मानित किये जाने वाले छात्र-छात्राओं की सूची जारी करते हुए बताया कि चयनित छात्र-छात्राओं को आगामी 26 मार्च रविवार को सिटी पैलेस, उदयपुर प्रांगण में सायं 4.30 बजे एक विशेष समारोह में फाउण्डेशन के न्यासी डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि फाउण्डेशन द्वारा राजस्थान स्तर के स्नातक स्तरीय विद्यार्थियों को दिये जाने वाले अकादमिक भामाशाह सम्मान के तहत इस वर्ष 2019-2020, 2020-2021 एवं 2021-2022 के 57 विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। प्रत्येक छात्र को ग्यारह हजार एक रुपये, प्रशस्तिपत्र एवं पदक प्रदान किये जायेंगे।
भामाशाह सम्मान (सन् 1983-84 में स्थापित)
भामाशाह कावडि़या गोत्र से सम्बद्ध ओसवाल जाति के महाजन भारमल के सुपुत्र थे। इनके पिता भारमल को महाराणा सांगा ने रणथम्भौर का किलेदार नियुक्त किया था। भामाशाह वीर प्रकृति के पुरुष थे, वे प्रसिद्ध हल्दीघाटी के युद्ध में कुंवर मानसिंह की सेना के विरुद्ध लड़े थे। महाराणा प्रताप ने महासानी रामा के स्थान पर भामाशाह को अपना प्रधानमंत्री बनाया।
महाराणा प्रताप ने चावण्ड में रहते समय भामाशाह को मालवे पर चढ़ाई करने के लिए भेजा, जहां से वे 25 लाख रुपये और 20 हजार अशर्फिया दण्ड में लेकर चूलिया गांव में महाराणा की सेवा में उपस्थित हुए और वह सारी रकम महाराणा को प्रदान की। भामाशाह के देहांत होने पर उनके सुपुत्र जीवाशाह अपने पिता की लिखी बही के अनुसार जगह-जगह से खजाना निकालकर लड़ाई का खर्च चलाता रहा।
भामाशाह का भाई ताराचंद भी वीर प्रकृति का था और हल्दीघाटी की लड़ाई में वह अपने भाई के साथ रहकर लड़ा था। महाराणा अमरसिंह ने भामाशाह के देहान्त होने पर उनके पुत्र जीवाशाह को अपना प्रधान बनाया। जीवाशाह के देहान्त हो जाने पर महाराणा कर्णसिंह ने उनके पुत्र अक्षयराज को प्रधान नियुक्त किया। इस प्रकार तीन पुश्त तक स्वामिभक्त भामाशाह के घराने से प्रधान रहे।
यह ‘भामाशाह सम्मान’ भामाशाह की प्रेरणादायी स्वामीभक्ति को समर्पित है। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से प्रतिवर्ष राजस्थान में स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों का स्नातक परीक्षा में सर्वोच्च अंकों के लिए भामाशाह सम्मान प्रदान किया जाता है।
भामाशाह सम्मान हेतु वर्ष 2019-2020 की परीक्षाओं में उत्तीर्ण विद्यार्थियों की सूची: – याशिका जैन-बी.ए. 83.58, छोटेलाल सैनी-बी.शास्त्री 76.94, संघमित्रा व्यास-शिक्षा शास्त्री 89.96, निकिता विधानी-बी.कॉम. 82.5, आयुषी शर्मा-बी.एससी. 91.20, भूमिका लौहार-बी.एससी. होम साइन्स 86.40, चेतना शर्मा-बी.एससी. कृषि 86.4, शितांषु टाखर-बी. लिप. 83.87, शिल्पा सेठिया-बी.बी.ए. 85.61, अश्विनी सोनी-बी.सी.ए. 89.3, मेधा जोशी-बी.एड. 90.55, गौरव हर्ष-बी.पी.एड 85.28, सुजाता-बी.ए.,बी.एड. 80.55, मनीषा-बी.एससी.,बी.एड. 80.25, भूपेन्द्र दाधीच-एलएल.बी. 76.41, इशिका सोमानी-बी.ई. 94.1, प्रेषित आमेटा-बी.टेक. 81.5, रंजीत कुमार यादव-बी.फार्मा 87.1, ईशा गुप्ता-एम.बी.बी.एस. 77.35, विशाल यादव बी.वी.एससी. एण्ड ए.एससी. 90, सबा नाथ-सी.ए. 66.25,
भामाशाह सम्मान हेतु वर्ष 2020-2021 की परीक्षाओं में उत्तीर्ण विद्यार्थियों की सूची: टिंकल शर्मा-बी.ए. 82.05, कोमल चौधरी-बी.शास्त्री 76.27, निशा शर्मा-शिक्षा शास्त्री 92.44, सिद्धि जैन-बी.कॉम. 86.81, दिव्यराज भोई-बी.एससी. 92.94, दीपेन्द्रसिंह सारंगदेवोत-बी.एससी. कृषि 86.10, पूजा छीपा-बी.एससी. (नर्सिंग) 78, पूजा जांगिड़-बी.एड. 93.15, प्रतीति व्यास-बी.पी.एड. 83.59, सुमन कंवर-बी.पी.एड. 83.59, नेहा जिनगर-बी.एससी., बी.एड. 86.54, श्वेता सेन-बी.लिप. 78, रितिका गोलछा-बी.पी.टी. फिजियोथेरेपी 79.77, चेष्टा मेहता-बी.बी.ए. 76.71, जिया नाथ-सी.ए. 75.12, लक्षिता माहेश्वरी-सी.एस. 53.11, हर्षिता कोठारी-एमबीबीएस 77.3, शिवकुमार गुप्ता-बी.फार्मेसी 85.9, शालिनी शाश्वत-डिप्लोमा सिविल इंजीनियरिंग 76.36, कीर्ति हड़पावत-बी.टेक. 97.2, शोहेब खान पठान-एलएल.बी. 76.52
भामाशाह सम्मान हेतु वर्ष 2021-2022 की परीक्षाओं में उत्तीर्ण विद्यार्थियों की सूची: रितिका गोस्वामी-बी.ए. 78.44, हर्षराज चौहान-बी.ए.,बी.एड. 83.75, मोहम्मद रजा खान-बी.एड. 92, स्वेच्छा जैन-बी.कॉम. 83.38, वर्षा पुजारी बीएससी 85.88, तरनप्रीत कौर-बी.एससी. कम्युनिटी साइन्स 87.9, ख्याति माथुर-बी.एससी.कृषि 87.9, भवानी सिंह डोडिया-बी.एससी.नर्सिंग 79.33, वसुधा शेखावत-बी.एससी.मत्स्य विज्ञान 86.30, दक्ष पालीवाल-बी.बी.ए. 85.48, विनम्र काबरा-सी.ए. 73.75, हिमांशी पुरोहित-बी.टेक. बायो टेक्नोलॉजी 94, अदिति माण्डावत-डिप्लोमा इन्टीरियल डेकोरेशन 77.71, तनिष्क शर्मा-बी. फार्मेसी 84.40, योगेश ढोकवाल-बी.वी.एससी., ए.एससी. 88.48
श्री गुप्ता ने बताया कि महाविद्यालयीय छात्र-छात्राओं, जो उदयपुर नगर परिषद् सीमा में अवस्थित महाविद्यालयों तथा उदयपुर स्थित विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध महाविद्यालयों में अध्ययनरत है, को खेल-कूद, सांस्कृतिक-सहशैक्षणिक प्रवृत्तियों के लिये दिये जाने वाले महाराणा राजसिंह सम्मान के तहत इस वर्ष 2019-2020, 2020-2021 एवं 2021-2022 के 7 विद्यार्थियों को प्रत्येक को ग्यारह हजार एक रु., प्रशस्तिपत्र एवं पदक से सम्मानित किया जाएगा।
महाराणा राजसिंह सम्मान (सन् 1980-81 में स्थापित)
महाराणा राजसिंह मेवाड़ के 58वें श्री एकलिंग दीवान थे। इनका शासनकाल (1652 से 1680 तक) स्वाभिमान और स्वातंत्र्य प्रेम के लिए विख्यात रहा है। महाराणा राजसिंह ने मानव मूल्यों की प्राण-प्रण से रक्षा की। इस महान शासक को मेवाड़ के गौरव को अक्षुण्ण रखने हेतु सदैव याद किया जायेगा।
महाराणा राजसिंह रणकुशल, साहसी वीर, निर्भीक, सच्चे क्षत्रिय, बुद्धिमान, धर्मनिष्ठ और दानी राजा थे। बादशाह औरंगजेब के द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने, मूर्तियां तुड़वाने आदि अत्याचारों का महाराणा राजसिंह ने दृढतापूर्वक विरोध किया। यह विरोध केवल पत्रों तक परिमित न रहा। बादशाह की हिन्दू धर्म विरोधी नीति एवं अत्याचारों से जतीपुर के गिरिराज पर्वत से ठाकुर जी श्रीनाथजी तथा गोकुल से ठाकुर जी श्री द्वारकाधीश जी को लेकर मेवाड़ पधारे गुसाँई जी को आश्रय देकर तथा उन मूर्तियों को अपने राज्य में स्थापित कराकर राज धर्म निष्ठा का परिचय भी दिया। बादशाह से संबंध की हुई चारूमति से उनकी इच्छानुसार उसके धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने निर्भयता के साथ विवाह किया। जोधपुर के अजीतसिंह को अपने यहां आश्रय दिया और जजिया कर देना स्वीकार नहीं किया। इन सब बातों के कारण उन्हें औरंगजेब से बहुत सी लड़ाइयां लड़नी पड़ी। इन लड़ाइयों में उन्होंने जो वीरता रणकुशलता और नीतिमत्ता दिखाई वह प्रशंसनीय थी।
वंशाभिमान और कुल गौरव तथा आदर्शों की रक्षा हेतु महाराणा राजसिंह असद्वृत्तियों से आजन्म संघर्षशील रहते विजय रहे, उनके इसी सम्मान में महाराणा राजसिंह सम्मान उदयपुर में स्थित समस्त विश्वविद्यालयों तथा उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों एवं शहर सीमा में स्थित अन्य महाविद्यालयों (चाहे किसी भी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो) के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को विगत अकादमिक सत्र के दौरान निम्नलिखित क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों के लिए दिया जायेगा। इस सम्मान को परिक्षेत्र उदयपुर शहर रहेगा।
महाराणा राजसिंह सम्मान
2019-2020

गोपाल मेनारिया-एनसीसी-ऑल इण्डिया नौ सैनिक कैम्प में विशाखापट्टनम में बोट पुलिंग रेस में रजत पदक। रुद्र प्रताप सिंह चौहान, नितिन बिष्ट एवं रविन्द्र कुमार जाँगिड़- कायाकिंग प्रतियोगिता में निरंतर राष्ट्रीय स्तर पर इंटर युनिवर्सिटी प्रतियोगिताओं में प्रथम एवं द्वितीय स्थान।
2020-2021
आत्मिका गुप्ता – राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शूटिंग प्रतियोगिताओं में निरंतर स्वर्ण पदकों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में रजत पदक।
2021-2022
गौरव साहु – एशियाइ एवं राष्ट्रीय स्तर की पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिताओं में प्रथम एवं द्वितीय स्थान। संजय सिंह चौहान -एनसीसी – राज्यस्तर पर द्वितीय बेस्ट कैडेट एवं गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में शिविर में एनसीसी निदेशालय का प्रतिनिधित्व किया।

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