हिंदुस्तान जिंक मामले में एनजीटी ने लगाई आवेदक को फटकार

कहा मामले को लटकाने और प्रतिवादी पर दबाव बनाने को नहीं किया जा सकता अदालत का इस्तेमाल

जयपुर। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के खनन पर रोक लगाने के उद्देश्य से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए वादी को कड़ी फटकार लगाई है। एनजीटी की दो जजों की बेंच ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति तो प्रदान की लेकिन साथ ही कड़ी चेतावनी भी दी कि गलत मंशा और प्रतिवादी को दबाव में लेने के लिए अदालत या ट्रिब्यूनल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

एनजीटी ने 10  जून को दिये 13 पन्ने के अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता किसी भी मामले में याचिका दाखिल करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन उसे हर हाल में अदालत या ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन करना होगा। याचिकाकर्ता अदालत और ट्रिबन्यूल का मंच प्रतिवादी को दबाव में लेने और किसी दुर्भावना के साथ मामले को लंबित रखने के लिए उपयोग नहीं कर सकता। अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा है इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता की लापरवाही बेवजह मामले को लटकाने के प्रयास स्पष्ट नजर आते हैं। बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता के पास इस लापरवाही और मामले को लटकाने का समुचित स्पष्टीकरण भी नहीं है। अदालत के फैसले से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता के पास अपनी याचिका के समर्थन में पर्याप्त आधार नहीं था और वह हवा में आरोप लगा रहा था।

अदालत के मुताबिक याचिकाकर्ता ने शुरुआत से ही इस मामले को लटकाने और लंबित रखने पर अपना ध्यान केंद्रित रखा है। याचिकाकर्ता इस मामले को लंबित रखने की कोई वजह बताने में भी असमर्थ रहा है। अदालत का मानना है कि अक्सर सरकारी स्तर पर नौकरशाही की उलझनों की वजह से मामलों की सुनवाई में देरी हो जाती है। लेकिन इस मामले में लापरवाही और जानबूझकर मामले को लटकाने की वजह स्पष्ट दिखायी देती है। अदालत यह मानती है कि आमतौर पर कोर्ट पहुंचने में देरी हर बार जानबूझकर नहीं होती। लेकिन यह मामला इस तरह का नहीं है। निर्धारित अवधि में कोर्ट तक याचिकाकर्ता का नहीं पहुंच पाना समझ में आता है, लेकिन इस देरी की यदि कोई ठोस वजह सामने नहीं आती तो याचिकाकर्ता की मंशा को समझना मुश्किल नहीं होता।

इस मामले की शुरुआत हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की खनन गतिविधियों के चलते गांव भेरूखेड़ा में प्रदूषण फैलने के आरोप से हुई। याचिकाकर्ता ने एनजीटी में एक याचिका दाखिल की जिसमें कहा गया कि एनजीटी की खनन गतिविधियों के चलते भेरूखेड़ा की न केवल हवा प्रदूषित हो रही है बल्कि उस इलाके की फसल, घास, जानवर और मानवों पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। याचिका में कहा गया कि कंपनी गांव भेरूखेड़ा से 100 से 200 मीटर की दूरी पर खनन गतिविधियां चला रही है। इस पर एनजीटी ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के जरिए स्थानीय लोगों की मदद करने को कहा था।

Related posts:

Hindustan Zinchonoured with Gold Rating at the 7th CII National 5S Excellence Awards 2022

दाईची लाइफ होल्डिंग्स इंक. की मदद से रिन्यूबाय ने अपने सीरीज डी फंडिंग राउंड में 40 मिलियन डॉलर की प...

भील वीरबाला कालीबाई का शहादत दिवस मनाया

Radisson Blu Palace Resort & Spa, Udaipur, recognized as the Best Wedding Hotel in Udaipur at To...

शहर विधायक एवं जिला कलक्टर ने किया आयड़ नदी क्षेत्र का दौरा

हिंदुस्तान जिंक से पहले एलएनजी वाहन को झंडी दिखाकर रवाना किया

विधानसभा अध्यक्ष देवनानी पहुँचे प्रताप गौरव केन्द्र

नेपकॉन- 2022 कॉन्फ्रेंस में लंग कैंसर, कोविड 19 और बढ़ते प्रदूषण से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पर मंथन

सीडीपी द्वारा हिंदुस्तान जिंक को क्लाइमेट चेंज और वाॅटर सिक्योरिटी श्रेणी में जलवायु और जल परिवर्तन ...

सैमसंग गेलेक्सी एस20 प्लस और एस20 स्मार्टफोन लॉन्च

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया और आईटीसी फूड्स के बीच साझेदारी

आईटीसी ममेंटोज़ उदयपुर का शुभारंभ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *