डाॅ. अर्जुनदेव चारण का एकल काव्यपाठ

 उदयपुर । राजस्थान साहित्य अकादमी एवं युगधारा के संयुक्त तत्वावधान में देश के ख्यातनाम नाट्य निर्देशक, कवि-आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण का एकल काव्यपाठ शुक्रवार को  राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के सभागार में  आयोजित हुआ।

युगधारा अध्यक्ष किरण बाला ‘ किरन ‘ ने बताया कि केंद्रीय साहित्य अकादेमी एवं संगीत नाटक अकादमी के सर्वोच्च पुरस्कार, बिहारी पुरस्कार एवं प्रदेश अकादमी के शिखर साहित्यिक पुरस्कार से पुरस्कृत देश के ख्यातनाम कवि अर्जुनदेव चारण का एकल काव्यपाठ होना सम्पूर्ण साहित्य जगत के लिए गौरव की बात है। इस प्रकार का आयोजन उदयपुर के साहित्यकारों में विशेष प्रेरणा का संचार करेगा। कवि चारण ने राजस्थानी भाषा में जीवन संबंधों के विभिन्न पहलुओं एवम् ऐतिहासिक घटनाओं पर रचनाएं प्रस्तुत की। आपका रचना संसार बहुत विस्तृत है जो कुछ अंजुरी भर सुन पाए वह अद्भुत था। इस अवसर पर डाॅ. माधव हाड़ा एवं डॉ ज्योतिपुंज का सारस्वत सान्निध्य प्राप्त हुआ। 

सचिव बसंतसिंह सोलंकी ने बताया कि इस आयोजन में बीकानेर के प्रतिष्ठित कवि डॉ मधु आचार्य एवं जोधपुर विश्वविद्यालय राजस्थानी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ गजेसिंह राजपुरोहित, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुरेश सालवी उपस्थित रहे। युगधारा संस्था गीत से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। संस्थापक ज्योतिपुंज ने स्वागत उद्वोधन दिया एवम् धन्यवाद राजेश मेहता ने व्यक्त किया।

                            प्रीत अर रूप नै अरथावता रेवौ ।

                            पीढियां असेंधी है बतावता रेवौ ।। 

डाॅ. अर्जुनदेव चारण ने इस रचना से राजस्थानी काव्य पाठ प्रारंभ किया। मां पर इस प्रकार कहा, तूं कद जीवती ही मां… जैसी मार्मिक रचना ने श्रोताओं के हृदय को छू लिया। आपणी भाषा रे कर्ज उतारने री आफल तो करो, इने नी बोलनो सैं सूं मोटो पाप है, आप बोलण रो फरज तो निभाओ…. बेटियों की पीड़ा व्यक्त करती कविता….बेटियां रो भगवान न्यारों क्यों नहीं होवे बाबोसा…..ने आंखें भीगो दी। गवर ने कदी घर नी मिले मां, मिंदर मिले के समंदर, इन सपना ने मती सूप आंख ने… काया बांधण ने लाया कांकर डोवड़ा, मन बांधण ने लाया थारे मोड़…. ऐसी कविताओं से मन को झंकृत कर दिया। 

कार्यक्रम में उपाध्यक्ष प्रकाश तातेड़, अशोक जैन ‘मंथन’, नरोत्तम व्यास श्रीनिवासन अय्यर, रामदयाल मेहरा, पुष्कर गुप्तेश्वर, मनमोहन मधुकर, कोषाध्यक्ष डॉ सिम्मी सिंह, सचिव दीपा पंत ‘शीतल’ हेमंत चंडालिया, प्रमिला सिंघवी, श्रेणी दान चारण , विजयलक्ष्मी, सचिव श्याम मठपाल, प्रचार प्रभारी लोकेश चौबीसा, सदस्य सुनीता निमिष सिंह, हिम्मत सिंह उज्ज्वल, डॉ कुंदन माली, गौरीकांत शर्मा सहित कई कवियों एवम् राजस्थान साहित्य अकादमी से जयप्रकाश भटनागर, राजेश मेहता, प्रकाश नेभनानी सहित समस्त साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति से सदन भरा रहा।

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