अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या

अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, ब्रह्मवर्चस अनुसंधान संस्थान के निदेशक एवं अखंड ज्योति के संस्थापक, युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के एकमात्र अनन्य करीबी और प्रत्यक्ष शिष्य, डॉ. प्रणव पंड्या वैज्ञानिक आध्यात्मिकता के पुरोधा हैं। उन्होंने पूरे विश्व में अपनी असल पहचान देकर 80 से अधिक देशों में गायत्री परिवार की शाखाएं स्थापित कीं। उनके नेतृत्व में हरिद्वार में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय एक मील का पत्थर बना हुआ है।
मेडिसिन में गोल्डमेडलिस्ट एमडी डॉ. पंड्या गुरु पं. श्रीराम शर्मा के आग्रह पर यूएस मेडिकल सर्विस छोड़ भारत में ही रह उनका सान्निध्य प्राप्त करते रहे। यह एक गुरु-शिष्य संबंध की शुरुआत थी जिसने डॉ. पंड्या को भारतीय संस्कृति के वैश्विक दूत के रूप में प्रतिष्ठित किया। पं. श्रीराम शर्मा के बाद वे उनके नक्शे कदम पर गायत्री परिवार के लिए समग्रतया जीवन समर्पित किये हैं।
आईसीसीयू के प्रभारी के रूप में भेल के साथ अपनी नौकरी छोड़ने के बाद 1978 में शांतिकुंज में युगनिर्माण मिशन में निदेशक ब्रह्मवर्चस अनुसंधान संस्थान में शामिल होने के बाद डॉ. पंड्या ने आयुर्वेद, मनोविज्ञान, यज्ञोपैथी और ध्यान के चिकित्सीय लाभों पर पथप्रदर्शक शोध, प्राणायाम किया।
उन्होंने वैज्ञानिक आध्यात्मिकता पर कई पुस्तकों का सह-लेखन किया। वैश्विक गायत्री परिवार के प्रमुख के रूप में उन्होंने 80 देशों में शाखाएँ स्थापित कीं। अपने प्रयासों को जारी रखते हुए उन्होंने विश्व धर्म संसद में भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक पहलू को प्रस्तुत किया। फरवरी 1992 में यूके में हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमन्स के संयुक्त सत्र को संबोधित किया।
पं. श्रीराम शर्मा के उज्ज्वल भविष्य के दृष्टिकोण के वैश्विक संदेशवाहक के रूप में डॉ. पंड्या ने पूरे भारत और विदेशों में प्रतिभाओं को साधना, उपासना और आराधना के तीन चरणों को अपनाने के लिए प्रेरित करते आत्मअनुशासन, देवत्व की प्राप्ति और निःस्वार्थ सेवा की मिसाल कायम की।
एक भविष्यवादी के रूप में वे न केवल मानव जाति के उज्ज्वल भविष्य के बारे में आशावादी हैं, बल्कि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए दृढ़ विश्वास का साहस भी रखते हैं। उनके अथक प्रयास से 2002 में स्थापित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय नालंदा और तक्षशिला के प्राचीन गुरुकुलों की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। इसका मुख्य लक्ष्य युवाओं की एक नई पीढ़ी को ढालने पर है जो अपने स्वयं के विकास के साथ-साथ समाजसेवा भी कर सकें। यह आध्यात्मिक ज्ञान के साथ वैज्ञानिक तर्क का एक अनूठा संश्लेषण है।
कहना नहीं होगा कि डॉ. प्रणव पंड्या एक समग्र उद्देश्यपूर्ण निःस्वार्थ जीवन के एक अन्यतम उदाहरण हैं।

Related posts:

निर्वाचन आयोग के नवीनतम दिशा-निर्देशों से कराया अवगत

IFC Extends US$500 Million to HDFC Bank to Ramp Up Microloans to Underserved Women Borrowers in Indi...

डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने प्रभु श्रीराम की विशेष पूजा-अर्चना कर मेवाड़ में सुख-समृद्धि की कामना की

श्रीनाथजी मंदिर मंडल बोर्ड की बैठक में श्रीनाथजी मंदिर एवं नाथद्वारा नगर के संपूर्ण विकास पर चर्चा

विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर 15 दिवसीय कार्यक्रमों का समापन

स्थानीय लोगों को मिले रोजगार, पर्यावरण रहे सुरक्षित

भ्रष्टाचार किसी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा : मुख्यमंत्री भजनलाल

हिंदुस्तान जिंक की चार इकाइयों को प्रतिष्ठित एनसीक्यूसी पुरस्कार

महावीर निर्वाण दिवस पर संलेखना साधना वर्धमानता संकल्प

भारतीय सिनेमा कला का एक अलग ही क्षेत्र है : डॉ. मृत्युंजयसिंह

Sunil Duggal, CEO, Hindustan Zinc appointed Interim CEO, Vedanta Limited

पीआईएमएस में ह्रदय रोग का सफल उपचार