उदयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने जनजाति बाहुल्य अनुसूचित क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास पर जोर देते हुए कोविड के दौरान अनाथ हुए बच्चों को चिन्हित कर उन्हें तात्कालिक और दीर्घकालिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने ऐसे क्षेत्रों के सभी परिवारों को मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्रारम्भ कैशलेस उपचार की सुविधा का सुरक्षा कवच प्रदान किए जाने की भी आवश्यकता जताई । उन्होंने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत पंजीकरण कार्य में तेजी लाते हुए योजना से नहीं जुड़ पाए परिवारों को जल्द से जल्द पंजीकृत किए जाने पर भी जोर दिया।
श्री मिश्र मंगलवार को राजभवन में अनुसूचित क्षेत्र में जनजाति विकास एवं कल्याण हेतु संचालित योजनाओं की प्रगति एवं समस्याओं के संबंध में विशेष समीक्षा बैठक में ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में वंचित समूहों को हर सम्भव सहायता प्रदान किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में विद्यार्थियों की कोचिंग, शिक्षा छात्रवृति समय पर मिले, इसकी व्यवस्था प्रभावी रूप में सुनिश्चित हो।
उन्होंने छात्रवृत्ति स्वीकृति एवं भुगतान की ऐसी आदर्श व पारदर्शी व्यवस्था अपनाए जाने पर जोर दिया जिसमें यथासंभव वित्त वर्ष समाप्त होने के साथ ही राशि विद्यार्थी के खाते में जमा हो जाए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदन पत्र में कोई कमी या त्रुटि हो तो उसे निरस्त करने के स्थान पर उसकी पूर्ति करवा शीघ्र विद्यार्थी को लाभान्वित करने का प्रयास होना चाहिए।
राज्यपाल ने अनुसूचित क्षेत्र में जनजातियों के समग्र विकास के लिए योजनाओं का व्यावहारिक क्रियान्वयन किए जाने पर जोर देते हुए कहा कि नवाचार अपनाते हुए ऐसे स्थानों पर अधिकाधिक आदर्श गांव बने। उन्होंने जनजातीय क्षेत्र के बालक-बालिकाओं को सीएसआर के तहत उच्च पदों पर चयन के लिए बेहतर से बेहतर कोचिंग सुविधा दिए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बजट घोषणा में जनजाति उपयोजना का जो ‘राजस्थान पैटर्न‘ लागू हुआ है, उसमें इस तरह से कार्य हो कि वह दूसरे राज्यों के लिए भी अनुकरणीय हो।
उन्होंने अनुसूचित क्षेत्र के 5 हजार 696 गावों में से 49 गाँवों को मॉडल विलेज बनाने के बारे में जिलेवार प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों के छात्रावासों में स्वच्छता की प्रभावी व्यवस्था के साथ वहां रहने की अच्छी सुविधाओं का विकास किए जाने के भी विशेष निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आदर्श गावों की प्रगति की मासिक सूचना राजभवन को मिले। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस सम्बंध में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
राज्यपाल ने जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र के सभी घरों को जल्द से जल्द कनेक्शन से जोड़कर स्वच्छ जल मुहैया कराने के निर्देश दिए। उन्होंने माही बेसिन क्षेत्र में प्रति वर्ष व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को संचित करने के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय स्तर पर कृषि, उद्योग एवं रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकेंगे और आदिवासियों के द्वारा पलायन के मामलों में भी कमी आएगी।
श्री मिश्र ने कहा कि आदिवासी बाहुल्य अनुसूचित क्षेत्र रोजगार एवं विकास की दृष्टि से तो पिछड़े हैं पर वहां प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। उन्होंने ऐसे क्षेत्रों में आम, सीताफल, खजूर, बांस, मक्का, एलोवेरा आदि के उत्पादन को प्रोत्साहित कर उन पर आधारित प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित कर आदिवासियों के विकास एवं आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रभावी प्रयास किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में सर्वाधिक उत्पादित फल या फसल को चिन्हित कर उन पर आधारित उद्योग, मूल्य संवर्धित गतिविधियों व प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाए। इससे आदिवासियों को आय एवं आजीविका के अच्छे अवसर उपलब्ध होंगे।
राज्यपाल ने आदिवासी क्षेत्रों में प्रत्येक ग्राम पंचायत में सोलर लाइट्स की स्थापना जल्द से जल्द किए जाने, आदिवासी क्षेत्रों में विकास के लिए आवंटित राशि का समयबद्ध उपयोग कर लक्षित वर्ग को योजनाओं से शत प्रतिशत लाभान्वित करने के निर्देश दिए।
जनजातीय क्षेत्रीय विकास मंत्री अर्जुनसिंह बामनिया ने आदिवासी क्षेत्र के छात्र छात्राओं को छात्रवृति एवं कोचिंग सुविधाओं के विकास से जुड़े कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में नवीन स्टार्टअप और नवाचार अपनाते हुए उद्यमिता का विकास किया जाना जरूरी है। उन्होंने अनुसूचित क्षेत्र के विद्यार्थियों को दूसरे जिलों में छात्रावास की सुविधाएं उपलब्ध कराने और उन्हें उच्च शिक्षा के अधिकाधिक अवसर प्रदान किए जाने के लिए सभी स्तरों पर कार्य करने की आवश्यकता जताई।
जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में श्जल जीवन मिशनश् योजना के तहत लाभान्वित गांवों और स्वच्छ पेयजल के लिए वहां प्रदत्त सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।
प्रमुख शासन सचिव वित्त एवं कराधान तथा सूचना एवं जनसम्पर्क अखिल अरोड़ा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में संचालित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। विभिन्न विकास योजनाओं में समयबद्ध बजट आवंटित कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वंचित समूहों को अधिकाधिक लाभान्वित किया जाए। उन्होंने आदर्श ग्राम योजना में सोलर लाइट्स लगाए जाने, वहां पेयजल, स्वास्थ्य एवं अन्य सुविधाओं के विकास के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती अपर्णा अरोड़ा, जनजातीय क्षेत्र विकास विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा और जनजातीय क्षेत्र विकास विभाग के आयुक्त राजेन्द्र भट्ट ने जनजाति क्षेत्रों से जुड़ी विकास योजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी दी। टीएडी आयुक्त भट्ट ने राज्यपाल की 24 मार्च, 2021 की बैठक में दिए गए निर्देशों की अनुपालना की जानकारी देते हुए जनजाति क्षेत्र के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं की प्रगति की जानकारी दी व बैठक एजेंडा प्रस्तुत किया।
वीसी दौरान उदयपुर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने कहा कि जिले में वर्तमान में पशुपालकों के हितार्थ कैटल फीड और मिल्क प्लांट उपलब्ध नहीं है ऐसे में सरस डेयरी के माध्यम से इसके लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी। उन्होंने टीएसपी एरिया में वनोपज के प्रोसेसिंग यूनिट के लिए वन डिस्टिक, वन प्रोडक्ट के तहत छूट देने की भी बात कही उन्होंने जिले में सोलर स्ट्रीट लाइट के तहत आवंटित लक्ष्य को 31 मार्च तक पूरा करने की जानकारी दी ।
बैठक के दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र को जिला कलेक्टर बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सिरोही, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, उदयपुर एवं पाली द्वारा वहां के आदिवासी अनुसूचित क्षेत्रों में विभिन्न विकास योजनाओं के बारे में अलग-अलग प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। राज्यपाल ने इन जिलों के कलक्टर को नवाचार अपनाते हुए आदिवासी क्षेत्रों में प्रभावी विकास किए जाने के निर्देश दिए। बैठक में राज्यपाल के प्रमुख शासन सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल और राजभवन में संयुक्त सचिव एवं जनजाति कल्याण निदेशक डॉ. कविता सिंह भी ऑनलाइन उपस्थित रहे।
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