जिंक के जीवन तरंग कार्यक्रम से 700 से अधिक छात्र लाभान्वित
उदयपुर। देश की एकमात्र और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत वेदांता समूह की जस्ता-सीसा-चांदी उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक द्वारा उदयपुर, भीलवाड़ा और अजमेर जिलों में दिव्यांग बच्चों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। भारतीय सांकेतिक भाषा न केवल संचार के साधन के रूप में कार्य करती है बल्कि उनकी पहचान का प्रतीक है। भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) उन लोगों के लिए एकरूपता प्रदान करती है जो एक से अधिक मातृभाषाएं बोलते हैं।
हिन्दुस्तान जिंक के सीएसआर पहल के जीवन तरंग कार्यक्रम में उदयपुर, भीलवाड़ा और अजमेर जिले के मूक बधिर विद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर आकर्षक गतिविधियां क्विज, ड्राइंग प्रतियोगिताएं, आईएसएल में स्टोरी टेलिंग, अपने अनुभव साझा करना, नशामुक्ति स्किट और खेल गतिविधियां आयोजित की गयी।
हिंदुस्तान जिंक ने 2017 में जीवन तरंग कार्यक्रम की शुरुआत दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ ही उन्हें सशक्त और बनाने हेतु की गयी। अब तक इस कार्यक्रम में शामिल दृष्टि और श्रवण बाधित 700 से अधिक बच्चों में से लगभग 600 ने एक समर्पित पाठ्यक्रम के माध्यम से भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) सीखी है। जीवन तरंग कौशल वृद्धि कार्यक्रम मुख्य रूप से दृष्टिबाधित बच्चों के लिए स्कूल की मजबूती और प्रौद्योगिकी सक्षमता, भारतीय सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण, कंप्यूटर प्रशिक्षण, अंग्रेजी भाषा-उन्मुख कौशल और स्वास्थ्य और स्वच्छता कार्यशालाओं पर केंद्रित है। साथ ही शिक्षकों के लिए भी सांकेतिक भाषा और कम्प्यूटर प्रशिक्षण शामिल है । इस प्रकार प्रशिक्षण ने दृष्टिबाधित बच्चों को रोजमर्रा के कार्यों को बेहतर ढंग से करने, संवाद करने और समझने (आईएसएल) में मदद की है। शिक्षक भी इन छात्रों के साथ अधिक प्रभावी ढंग से जुड़ने में सक्षम हैं।