टीईआरआई के साथ मिलकर माइकोराइजा पद्धति से हरितिमा को बढ़ावा देगा हिंदुस्तान जिंक

उदयपुर। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी, पर्यावरणीय स्थिरता एवं सरंक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इस हेतु कंपनी राजस्थान के चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर में 16 हेक्टेयर जेरोफिक्स बंजर भूमि को पुनः हरितिमा में बदलने की महत्वाकांक्षी पहल कर रही है। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर, हिंदुस्तान जिंक, पर्यावरणीय स्थिरता और जैव विविधता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए, अनुपजाउ क्षेत्र को हरे भरे क्षेत्रों में बदलने के लिए अभिनव माइकोराइजा तकनीक का उपयोग कर रही है। कंपनी हेतु पर्यावारण सरंक्षण सदैव प्राथमिकता रहा है एवं औद्योगिक चुनौतियों को पारिस्थितिक सुधार के अवसरों में बदला है।


परियोजना के तहत् माइकोराइजा तकनीक का उपयोग किया जाएगा जिससे पहले चरण में ही प्रभावशाली परिणाम मिलें हैं। चंदेरिया लेड जिं़क स्मेल्टर में 6.25 हेक्टेयर भूमि पर लगभग 11,000 देशी प्रजातियाँ लगाई गईं और उच्च घनत्व वाला हरित आवरण निर्मित कर सफलतापूर्वक रूपांतरित किया गया। इस उपलब्धि को पर्यावरण बेस्ट प्रेक्टिस 2021 के लिए सीआईआई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्तमान चरण इस सफलता पर आधारित है, जिसका उद्देश्य डंप ढलानों को और अधिक स्थिर करना, कटाव को नियंत्रित करना और कार्बन पृथक्करण को बढ़ावा देना है।


इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा, विश्व की सबसे सस्टेनेबल धातु और खनन कंपनी के रूप में, निरंतर कॉर्पोरेट पर्यावरणीय जिम्मेदारी में मानक स्थापित कर रहे हैं। माइकोराइजा तकनीक का उपयोग कर जारोफिक्स यार्ड को हरा भरा करना हमारी अभिनव भावना और सस्टेनेबल संचालन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हम उदाहरण प्रस्तुत कर औद्योगिक उप-उत्पादों को हरित परिसंपत्तियों में बदलने में अग्रणी उद्योग है।
हिंदुस्तान जिंक उद्योग में महत्वपूर्ण प्रगति करना और उदाहरण के तौर पर नेतृत्व करना जारी रखता है। कंपनी रणनीतिक रूप से अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और ऑफसेट करने के लिए दो-आयामी दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए, हिंदुस्तान जिंक अपने ऊर्जा उपयोग में रिन्यूएबल एनर्जी के अनुपात को बढ़ा रहा है और अपनी परिचालन दक्षता में सुधार कर रहा है। कंपनी ने हाल ही में अपने 450-मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी एमओयू (पीडीए) के हिस्से के रूप में सेरेंटिका की 180 मेगावाट सौर परियोजना से रिन्यूएबल एनर्जी आपूर्ति शुरू करने की घोषणा की है। अपने कार्बन फुटप्रिंट का कम करने के लिए, हिंदुस्तान जिंक कार्बन सिंक बनाने हेतु बड़े पैमाने पर वनरोपण अभियान चला रहा है, जिसमें यह पहल भी शामिल है। कंपनी ने हाल ही में राजस्थान और उत्तराखंड में अपनी परिचालन इकाइयों के आसपास 2 मिलियन से अधिक पौधे लगाने की उपलब्धि हांसिल की है। कंपनी ने अपने परिचालन स्थलों पर मियावाकी वृक्षारोपण भी लागू किया है, जिससे कम समय में घने, विविध और तेजी से बढ़ने वाले जंगल स्थापित हो गए हैं।

Related posts:

रावत श्री महासिंहजी बावजी की 311वीं पुण्यतिथि पर किया नमन
DR. NITIZ MURDIA APPOINTED AS MEMBER OF NATIONAL ASSISTED REPRODUCTIVE TECHNOLOGY AND SURROGACY BOAR...
ZINC FOOTBALL ACADEMY WIN HEARTS WITH BRAVE PERFORMANCE IN PUNJAB
जलझूलनी एकादशी पर पीछोला घाट पर कराया ठाकुरजी को स्नान
आमदरी व रैन बसेरे में बांटे ऊनी वस्त्र
FIMI appoints Hindustan Zinc CEO - Arun Misra as Chairman of Sustainable Mining Initiative - a Susta...
सेंट्रल फेब्रिकेशन यूनिट के लिए रोटरी की ग्रांट लांचिंग
हिन्दुस्तान जिंक द्वारा राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में बाल शिक्षा को बढ़ावा हेतु 36 करोड़ का निवेश
मुख्यमंत्री ने किया आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के नवीन चरण का शुभारंभ
VEDANTA ROLLS OUT VACCINATION PROGRAM FOR EMPLOYEES, FAMILIES
श्रीमाली समाज के सामूहिक करवा चौथ उद्यापन की तैयारियां अंतिम चरण में
नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क सेवा प्रकल्पों की समीक्षा बैठक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *