उदयपुर। सस्टेनेबल भविष्य के लिए नवाचार करने की निरंतर खोज में, हिंदुस्तान जिंक ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, कंपनी को दो स्टेनेबल प्रौद्योगिकियों के लिए अमेरिकी पेटेंट दिए गए हैं। प्रक्रिया अपशिष्ट से पेवर ब्लॉक के निर्माण के लिए पेटेंट यूएस10844551बी2 एवं एंटिमोनी असर अवशेषों का उपयोग करके पोटेशियम एंटिमोनी टार्ट्रेट (पैट)के उत्पादन की विधि के लिए यूएस10919924बी2 हिन्दुस्तान जिं़क के अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास केंद्र जे़नटेक द्वारा विकसित किया गया था। जिसे पूर्व में सेंट्रल रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट लेबोरेट्री के रूप में जाना जाता था।
पर्यावरण और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता हिंदुस्तान जिंक में व्यवसाय संचालन को संचालित करने वाले प्रमुख सिद्धांतों में से एक है। कंपनी सतत अभ्यास सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करती है जो परिचालन का एक अभिन्न अंग है। इन दोनों प्रौद्योगिकियों का उद्देश्य कचरे से मूल्य बनाना है जो हिन्दुस्तान जिं़क के संचालन में उपयोग किया जा सकता है और स्थानीय उद्यमियों और समुदायों की सहायता कर सकता है।
हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने इस अवसर पर कहा कि सस्टेनेबिलिटी के प्रति हमारा दृष्टिकोण केवल हमारे पर्यावरणीय फुटप्रींट को कम करने तक सीमित नहीं है, बल्कि एक ही समय में हमारी आपूर्ति श्रृंखला से अधिक मूल्य उत्पादन है। अभिनव सोच और सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकियों के हमारे दृष्टिकोण के साथ युग्मित, यह संस्कृति हमें एक उद्योग बेंचमार्क के रूप में पहचान के लिए प्रेरित करती है। ये अमेरिकी पेटेंट इस बात की मिसाल हैं कि हिंदुस्तान जिंक में निरंतरता, नवोन्मेष और तकनीक मिलकर भविष्य की स्मार्ट और सस्टेनेबल खदानों के लिए कार्य किया जा रहा है । ”
उच्च प्रदर्शन और नवीन सोच की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए, हिंदुस्तान जिंक के कर्मचारी हमेशा सफलता समाधान बनाने का प्रयास करते हैं। जेडएन टेक टीम शीबा मशरूवाला, किरण रोकम, आशीष कुमार, डॉ केडी शर्मा, सुंदर सोमबतला, और अखिलेश शुक्ला ने इन सफल समाधानों को विकसित करने और पेटेंट कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पीएटी द्वारा यूरोपीय पेटेंट इपी3192882 भी है। शुद्धिकरण के लिए और जस्ता धातु के उत्पादन के लिए जस्ता हाइड्रो स्मेल्टर्स द्वारा पीएटी का उपयोग किया जाता है। यह पेटेंट प्रक्रिया 2016 से हिन्दुस्तान जिं़क में सफलतापूर्वक संचालित है। वहीं पेवर ब्लॉक बनाने की तकनीक, प्राकृतिक उत्पादों का संरक्षण करते हुए पारंपरिक विधि की तुलना में उत्पादन की कम लागत वाले ग्रीनर उत्पादों का उत्पादन करती है। इस तकनीक ने 80,000 पेवर ब्लॉक का उत्पादन किया है जिनका हिन्दुस्तान जिं़क की इकाइयों में परीक्षण किया जा रहा हैं। दो पेवर ब्लॉक मशीनें स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के साथ मिलकर या समुदाय के सहयोग के लिए भी सेटअप की जाती हैं।
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