धर्म, तप और त्याग में नारी ही सबसे आगे : राष्ट्रसंत चंद्रप्रभ महाराज
विशाल महिला सम्मेलन नारी शक्ति बढ़ते कदम 2.0 सम्पन्न
उदयपुर। जैन सोश्यल ग्रुप्स इंटरनेशनल (Jain Social Groups International) फेडरशन मेवाड़- मारवाड़ रीजन 23-25 की ओर से शनिवार को विशाल महिला सम्मेलन नारी शक्ति-बढ़ते कदम 2.0 (Nari Shakti-Moving Steps 2.0) सुखाडिय़ा रंगमंच पर आयोजित किया गया। सम्मेलन के आयोजक जैन सोश्यल ग्रुप विजय उदयपुर एवं जैन सोश्यल ग्रुप संगिनी विजय उदयपुर थे।
समारोह में मुख्य अतिथि असम के राज्यपाल महामहिम गुलाबचन्द कटारिया (Governor of Assam His Excellency Gulabchand Kataria) ने कहा कि आज चाहे वे महामहिम बन गये हैं लेकिन आज भी अपने आपको समाज के प्रतिनिधि के तौर पर ही देखते हैं। उन्होंने नारी शक्ति को आगे बढ़ाने में सहयोग करने के लिए जैन सोश्यल ग्रुप को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हमारे भारत में हमेशा से ही नारियों का सम्मान होता रहा है। नारियों को हमेशा पूजा जाता है। भगवान श्रीराम को एक नारी ने ही जन्म दिया है। देश-दुनिया में जितने भी भगवान-महापुरूष या यौद्धा हुए हैं सभी को जन्म देने वाली एक नारी ही है। अभिमन्यु ने जो कुछ भी सीखा वह अपने मां के गर्भ से ही सीखा। दुनिया में इंसान सबको भूल सकता है लेकिन उसे जन्म देने वाली मां को कभी नहीं भूल सकता है। स्वामी विवेकानन्द को भी एक मां ने ही जन्म दिया। महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। चन्द्रयान की सफलता के पीछे भी नारियों का बड़ा हाथ ही रहा है। आज भारत की नारियां सीमा के बोर्डर पर बन्दूकेें तान कर खड़ी मिलती हैं। आज महिलाओं को आरक्षण मिला है। उन्होंने पूर्व जिला प्रमुख मधु मेहता का नाम लेकर कहा कि अगर आरक्षण नहीं होता तो क्या मधु मेहता जिला प्रमुख बन पाती। अगर महिला पढ़ी-लिखी होगी तो उसके साथ कोई भी अन्याय नहीं कर पाएगा।
समारोह में जैन समाज में एकता के मुद्दे पर महामहिम ने कहा कि यह केवल बातें करने से नहीं हो सकता है। जब तक हमारे सभी आचार्य एक मंच पर बैठ कर सामूहिक और ठोस निर्णय नहीं लेते हैं तब तक जैन समाज में एकता और एक संवत्सरी मनाने का सपना साकार नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि रही बात मांगलिक आयोजनों में इक्कीस व्यंजनों से ज्यादा नहीं बनाने की तो इसके लिए भी प्रयास स्वयं से ही प्रारम्भ करने होंगे। मांगलिक आयोजनों में इक्कीस से ज्यादा व्यंजन बनाने वाले के आयोजन में जाओ और बिना भोजन किये ही लौट आओ। अगर आप स्वयं ही इसका बहिष्कार करने लग जाओगे तो सुधार अपनेआप आएगा। समाज सुधार के तहत सामूहिक विवाह कि आयोजन प्रारम्भ हुए। आज उन समाजों से पूछो ऐसा करने से उनका समाज कितना आगे बढ़ गया। जो फिजूल खर्ची शादी ब्याह में होती थी वह पैसा बच गया और वही पैसा समाज के अन्य कार्यों जैसे शिक्षा और चिकित्सा सेवाओं में लगने लग गया। समाज सुधार के लिए सबसे पहले संस्कार जरूरी है। टीवी पर ऐसे- ऐसे सीरियल्स आते हैं। घरों में सभी बड़ी बेशर्मी से बैठकर उन्हें देखते हैं। आप स्वयं निर्णय करें कि ऐसे सीरियल्स हमारे और हमारे बच्चों को संस्कार दे रहे हैं या संस्कार बिगाड़ रहे हैं।
‘नारी आखिर क्यों हारी’ पर राष्ट्रसन्त चन्द्रप्रभ महाराज (Rashtrasant Chandraprabh Maharaj) ने कहा कि समाज में जब तक समानता का भाव नहीं आएगा नारी सशक्तिकरण की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने लिंग भेद पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक यह पूर्ण रूप से समाप्त नहीं होगा समानता का भाव आ नहीं सकता। जिस दिन समानता का भाव आ जाएगा उस दिन केवल भारत ही नहीं पूरी दुनिया ही स्वर्ग बन जाएगी। भगवान महावीर ने भी नारी सम्मान को आगे बढ़ाया। चन्दन बाला इसका सबसे बड़ा उदहारण है। हमारी सारी धरती नारी पर ही टिकी है। जो नारी का सम्मान नहीं कर सकता वह भगवान तीर्थंकरों का भी सम्मान नहीं कर सकता है। हमारे यहां हजारों सालों से हर क्षेत्र में नारी का प्रभुत्व रहा है। धर्म, तप और त्याग में भी नारी ही सबसे आगे हैं। हमारा धर्म ही नारी पर ही टिका हुआ है। हमेशा सौलह सतियों का गुणगान होता है, कभी सौलह पुरूषों का गुणगान होते तो सुना नहीं है। माता सीता पर कितने कष्ट आये लेकिन उन्होंने कभी भी अपने सतीत्व पर आंच नहीं आने दी। महिलाओं ने जिस तरह से अपने घुंघट उठाये उसी तरह से उन्हें अपने सशक्तिकरण के लिए भी हाथ उठाने चाहिये। केवल बातें करने से ही महिला सशक्तिकरण कभी नहीं आएगा। अगर हम महिलाओं को अवसर देंगे तो परिणाम जरूर आएंगे, आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी। महिला सशक्तिकरण की बात और भी ज्यादा प्रभावी तब हो पाएगी जब महिला स्वयं महिला का साथ देने लग जाएगी। चन्द्रप्रभ महाराज ने उद्बोधन के दौरान महिलाओं को दहेज और भ्रूण हत्या नहीं करने का संकल्प दिलवाते हुए कहा कि नारी तू बड़ी महान, मायके का करती मान, ससुराल का करती सम्मान, बच्चों का रखती ध्यान, अब तुझे छूना है आसमान, नारी तू बड़ी महान।
चैयरमेन अनिल नाहर (Anil Nahar) ने स्वागत उद्बोधन में जैन सोश्यल ग्रुप्स इंटरनेशनल फेडरशन मेवाड़- मारवाड़ रीजन का परिचय देते हुए बताया कि तीन वर्ष पूर्व भी फेडरेशन से नारी शक्ति सम्मान समारोह का आयोजन किया था। उसके बाद कोरोनाकाल होने की वजह से यह समारोह नहीं हो पाया लेकिन इस आयोजन के प्रति नारी शक्ति की जो श्रद्धा, उत्साह और समर्पण देखा जा रहा है। उसे देखते हुए आने वाले समय में इस समारोह का नाम नारी शक्ति के बढ़ते कदम के बजाय नारी शक्ति के दौड़ते कदम रखना पड़ेगा। आज नारी हर क्षेत्र में पुरूषों से कहीं भी पीछे नहीं है। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों और सामाजिक बुराइयों में सुधार के लिए भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने समाज के सामने विभिन्न मुद्दे उठाये जिनमें सुधार की नितान्त आवश्यकता है। इनमें सुधार केवल एक अकेला नहीं बल्कि सामूहिक चर्चा एवं आम सहमति से ही यह हल हो सकते हैं। नारी द्वारा उठाये गये प्रमुख मुद्दों में समाज में मांगलिक आयोजनों के दौरान इक्कीस से ज्यादा व्यंजन नहीं बनाने पर जोर। समाज में बढ़ते तलाक के मामलों पर आपसी समझाइश के माध्यम से तलाक होने पर अंकुश लगाना, जैन समाज की लगातार घटती जनसंख्या पर चिन्तन करना, सही उम्र में ही शादी करना क्योंकि आज कल जेन समाज में एक परमपरा बन रही है कि शादी सही उम्र में नहीं करवा कर चालीस, पैंतीस और बत्तीस की उम्र में शादियां हो रही है जो कि समाज की घटती जन संख्या का बड़ा कारण है।
समारोह का प्रारम्भ दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण से हुआ। समारोह में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुई। अरविन्द बडाला ने स्वागत उद्बोधन दिया। श्रीमती मधु खमेसरा ने आयोजन के उ्देश्यों के बारे में प्रकाश डाला। समारोह का संचालन गुणवन्त वागरेचा ने किया। आयोजकों ने अतिथियों का उपरना, पगड़ी, शॉल और मोमेन्टो देकर सम्मान किया। शिल्पा गंगवाल ने ‘हर संगिनी में रानी पद्मिनी जैसी ऊर्जा है’ से महिलाओं का हौंसला बढ़ाया। डॉ. शैली पोसवाल ने महिलाओं को अच्छे स्वास्थ्य सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारियां दी। श्रीमती अनिता जैन ने नारी शक्ति पर विचार रखे। अमिता शाह ने प्राकृतिक चिकित्सा एवं उपचार सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। अभय नाहर वाइस चेयरमैन फेडरशन ने भी विचार व्यक्त किये।
भावना शाह ने महिलाओं की हौंसला अफजाई करते हुए कहा कि जो नारी नौ माह गर्भ धारण करके पुरूष जैसी शक्ति को जन्म देती है वह कमजोर कैसे हो सकती है। नारी का सम्मान हमेशा ही होता रहा है तभी तो भारत को मातृभूमि कहा जाता है। कभी पितृभमि नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि जो ऊपर सें नीचे गिरे उसे धारा कहते हैं लेकिन फिर से अपने उद्गम में मिल जाए उसे राधा कहते हैं। मां शक्ति है, मां प्राण है। जब तक शव में शक्ति का संचार नहीं होता है तब तक वह शिव नहीं बन पाता है। जब तक हम हमारी मन:स्थिति से या मानसिक तौर पर मजबूत नहीं बनेंगे तब तक नारी सशक्तिकरण की बात करना सार्र्थक नहीं होगा। महिला पुरूष दोनों बराबर होते हैं। हर पुरूष में आधी महिला होती है और हर महिला में आधा पुरूष होता है। महिलाएं जिस दिन अपने अन्दर मौजूद उस आधे पुरूष को मजबूत नहीं करेंगी तब तक उसमें सशक्तिकरण नहीं आ पाएगा।
समारोह के महिलाओं ने समाज में फैली कुरीतियों और बुराइयों को खत्म करने के लिए अपने-अपने विचार रखते हुए कहा कि संस्कार देने की बातें केवल बेटियों के लिए ही होती है, बेटों के लिए क्यों नहीं। दहेज जैसी बुराई को खत्म करने के लिए एक महिला ने कहा कि एक ही साड़ी में घर से बेटी को विदा करेंगे और सामने से बेटी भी एक ही साड़ी में लाने का संकल्प लेना होगा। तलाक होने का सबसे बड़ा कारण बताते हुए एक महिला ने कहा कि हमारे बीच में संवाद की कमी होती जा रही है। जैन समाज के बेटे-बेटियों की शादियां जैन समाज में ही कराने का विचार भी प्रमुखता से उठाया गया तथा शादी से पहले लडक़े- लड़कियों के बीच में काउंसलिंग को भी स्थान देने की बात भी उठाई गई।
अनिल नाहर ने बताया कि इस दौरान नारी गौरव अलंकरण प्रदान किये गए। इनमें श्रीमती अनिला कोठारी जयपुर, श्रीमती मधु मेहता पूर्व जिला प्रमुख, उदयपुर, श्रीमती विनिता ओर्डिया सूरत, श्रीमती डॉ. मधु नाहर उदयपुर, श्रीमती डॉ. दीपाली धींग, उदयपुर, श्रीमती रंजना ओस्तवाल मुम्बई, श्रीमती मधु मेहता, उदयपुर श्रीमती अर्चना जैन उदयपुर एवं श्रीमती प्रीति सरूपरिया उदयपुर शामिल थी। इस अवसर पर ओसवाल सभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष प्रकाश कोठारी एवं पिंकी मांडावत का अभिनंदन किया गया।
समारोह के अरूण माण्डोत चैयरमेन इलेक्ट, महेश पोरवाल सचिव, मोहन बोहरा फार्मर चैयरमेन सहसचिव जेएसजीआईएफ, सुभाष मेहता वाइस चेयरमेन, डॉ. आर.एल. जोधावत वाइस चैयरमेन, पारस ढेलावत वाइय चेयरमेन, आशुतोष सिसोदिया सह सचिव, हिमांशु मेहता सह सचिव, अर्जुन खोखावत पी.आर.ओ. एडमिन, प्रीतेश जैन पी.आर.ओ. ग्रिटिंग, मधु खमेसरा संगिनी कन्वेनर, शकुन्तला पोरवाल संगिनी कोर्डिनेटर एवं डॉ. कौशल्या जैन संगिनी कोर्डिनेटर शामिल हैं। जैन सोश्यल ग्रुप विजय उदयपुर के अध्यक्ष अरविन्द बड़ाला, सचिव हिम्मत सिसोदिया एवं जैन सोश्यल ग्रुप संगिनी विजय उदयपुर की अध्यक्ष निर्मला कोठारी तथा सचिव मीना लोढ़ा उपस्थित थे।