उदयपुर : न्यूज़ 18 के महामंच से L’ Aspiration summit का आयोजन उदयपुर के दरबार हॉल में हुआ। इसमें लग्ज़री और राजसी वैभव, लग्ज़री के बदलते मायनों पर चर्चा हुई वहीं कविताओं और राजशाही पर भी विचार रखे गए। इसमें न सिर्फ मेवाड़ बल्कि सिरोही, जैसलमेर, रीवा (मध्यप्रदेश) के पूर्व राजपरिवारों के सदस्यों ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।
ब्रेकिंग बेरियर्स के सत्र में महाराज कुमार लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से बात की न्यूज़ 18 के अमीश देवगन और सौम्या टंडन ने। कल्चरल हेरिटेज की महत्ता पर लक्ष्यराज सिंह ने कहा कि हिंदुस्तान को आज़ाद कराने की पहली मुहिम इसी दरबार हॉल से उठाई गई थी। एपीजे अब्दलु कलाम आजाद की न्यूक्लियर मीटिंग, जी-20 की मीटिंग इसी हॉल पर हुई हैं। हमने जिम्मेदारियों को कभी नहीं छोड़ा। रियासतों को देश में मिलाने में मेवाड़ सबसे अग्रणी रहा। उस समय से चल रहे स्कूल्स आज भी चल रहे हैं। बेटियों के लिए 1864 में सबसे पहले बेटियों के लिए स्कूल चलाया गया जो आज भी चल रहा है। खास मौके पर खास वेशभूषा पहनने के बारे में लक्ष्यराजसिंह ने कहा कि वेशभूषा उस जगह की समट्टी को दिखाता है। संस्कृति को दिखाता है। जनरेशन नही जनरेसिज़्म के रूप में देखें। संस्कृति, कला की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति की नही, सबकी है। अपनी भाषा छोड़कर दसूरे से उसकी भाषा में बात करना, हमें समझ नही आता। रॉयल्स हमेशा प्राइवेट रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडीया ने सबको एक मंच पर ला दिया है। अगर राजा बस चलाएंगे तो बाकी क्या करेंगे। अमीष के इस सवाल पर जोरदार हंसी के साथ लक्ष्यराज सिंह ने कहा कि घर परिवार में शुभ कार्यक्रम में हंसी ठिठोली करते जाना अच्छा लगा। मैंने 7 गिनीज़ बुक ऑफ रेकॉर्ड बनाये इससे ज्यादा खुशी ये है कि ये रेकॉर्ड भारतीय ने बनाये। झूठे बर्तन धोने की आलोचना हुई तब लेक पैलेस का जन्म हुआ 1962 में। फिर पिता अरविंद सिंह और मुझ तक यह दौर चला। वे भी बाहर गए सीखने और मैं भी गया। आस्ट्रेलिया में होटलों में वर्तन धोए तो क्या हुआ? डबल स्टैंडर्ड नही होना चाहिए। घर पर सभी करते हैं तो बाहर क्यों नही कर सकते! हम आलोचना को सीढ़ी बना लेते हैं। पुराने और नये किचन में कुछ समानता पर लक्ष्यराजसिंह ने कहा कि दाल बाटी अब पुनः सबको मिले, मेवाड़ का क्यूजिन बने, ऐसा प्रयास है।
रिडीफाइनिंग रॉयल्टी के सत्र में सिरोही के दावतसिंह ने लग्ज़री पर कहा कि सब जीवों को बिना भय रहने दें। सर्वे संतु नीरामया। नदी, पहाड़, पर्वत, व्यक्ति सब को बिना भय के राह के दें वही लग्ज़री है। राजसी लग्ज़री सस्टेनेबिलिटी है। पुराने किलों मे जल संरक्षण के उदाहरण सवोत्तम हैं। हमने रिसाइकलिंग वाटर के कांसेप्ट को अपनाया, यह लग्ज़री है। क्रिकेट और और लग्ज़री के सवाल पर दावतसिंह ने कहा कि अब क्रिकेट लग्ज़री नही रहा। पहले 5 दिन तक क्रिकेट खेलते थे। 1896 में बड़े नाना रणजीतसिंहजी ने इंग्लैंड में क्रिकेट खेला। लग्ज़री ट्यूरीज्म को लोकल को सपोर्ट करती है। हमने इटालियन की बजाय लोकल मार्बल का उपयोग किया है। हमारे होटल्स में प्योर वेजीटेररयंस ही हैं।
जैसलमेर के विक्रमसिंह ने कहा कि बरसों के रेगिस्तान से जूझने के बाद स्वच्छ पानी भी हमारे गांव के किसान के लिए लग्ज़री है। बांटना और खुश रहना, कोविड के बावजूद अपने स्टाफ को बनाये रखना भी हमारे लिए लग्ज़री है। लग्ज़री की परिभाषा समय के साथ बदल रही है। मॉडर्न लग्ज़री पर विक्रमसिंह ने कहा की मेवाड़ राजपरिवार ने अपने दिल, महल सबके लिए खोले तो एक नया परिदृश्य सामने आया। हेरिटेज होटल्स के बारे में अब नई सुविधाएं आ गई हैं। पहले सीमित सुविधाएं थी। अब किसी से कम नही हैं। सबसे ज्यादा अनस्किल्ड एरिया को फायदा मिलता है। लोकल्स को रोजगार मिलता है। जैसलमेर के लोक कलाकार को वर्ल्ड ट्यूरीज्म की वजह से विश्व का मंच मिलता है। आर्ट और क्राफ्ट को भी मौक़ा मिला है।
वॉक ऑफ फेम पर 2021 की मिस इंडिया रह चुकी मान्यासिंह ने कहा कि मै जिसमे कम्फ़र्टेबल हूँ, वही मेरे लिए लग्ज़री है। मेरे पापा का ऑटो मेरे लिए लग्ज़री है। फेम होने के बाद ग्लैम और ग्राउंड के बीच गाउन्स में जब जाना होता है तो खुद का अस्तित्व बचाये रखना पड़ता है। खुद को खोकर पाया तो क्या पाया! बिलीव इन टू बी माइसेल्फ। सपने देखना चाइए। ‘खुद की खोज में निकल, किसकी तलाश है’ पंक्तियों के साथ मान्या ने लिखने का शौक बताया। क्या करेंगी, इस पर मान्या का कहना था कि जो भी करेंगे, कमाल करेंगे। मैं बदलाव लाने में विश्वास रखती हूं।
रूटेड और रेसिलियेन्ट सत्र में रीवा राजपरिवार की मोहेनासिंह ने व्हाइट टाइगर के बारे में बताया कि मैंने स्वयं को शुरू से नॉर्मल गर्ल ही माना। कभी रॉयल्स कि प्रिंसेस नहीं माना। हमारे दादाजी मार्तड़सिंह पहली बार व्हाइट टाइगर लेकर आये। रीवा में व्हाइट टाइगर सफारी भी हैं। रीवा, उदयपुर जाऊं तो क्लीन, फ्रेश एयर ले पाऊं, यह आज की दुनियाँ में लग्ज़री हो गई है। रॉयल क्यूजीन पर मोहेनासिंह ने कहा कि रीवा की मुख्य क्यूजिन शिकार मीट होता था। घर के अंदर इन्द्रहार बनता था। मोटा अनाज, दलहन बनाते हैं। लीगेसी और मॉडर्नीटी का सामंजस्य कैसे बिठाते हैं। मैं मुम्बई में रही हूँ। घर से बचपन से मुझे स्ट्रांग बैक मिला। वही रूट्स बार बार मुझे बुलाती है इलसिए मॉडर्नीटी वही है मेरे लिए। रिश्ते ही जीवन, जिंदगी बनाते हैं।
रीवा के प्रिंस दिव्यराजसिंह ने लग्ज़री पर कहा कि राजा महाराजा एक स्टेट को रिपरजेंट करते थे। बग्घी में आना, गाड़ियों में आना जाना, हाथी दिखाना यानी वो स्टेट कितना सम्पन्न है, ये दिखाना पड़ता था। जिस तरह हम गणतंत्र दिवस पर अपनी आर्मी का शो करते हैं। दिव्यराज सिंह ने कहा कि मॉडर्नीटी कैसी भी हो लेकिन अब कोन्फ़िडेंस के साथ किसी से बात कर सको, वही आवश्यक है।
ए रीगल स्प्रेड सत्र में सेलिब्रिटी शेफ शिप्रा खन्ना ने लग्ज़री पर कहा कि पैशन लग्ज़री है। होस्पिटालिटी से भी सेलिब्रिटी निकलेंगे, कभी सोचा नही था। लग्ज़री के कई मायने हैं। हमारा खाना आयुर्वेद अधिक निर्भर करता है। अदरक, काली मिर्च, हल्दी सब हमारे किचन के मुख्य इंग्रेडिएंट्स हैं। ये सब उपचार में भी काम आते हैं। मिठाइयों पर गोल्ड और सिल्वर वरक लगाते हैं तो रॉयल दिखते हैं। यूएस, यूके, स्पेन, मस्कट, ओमान सब जगह हिंदुस्तानी खाना मिलने लगा है। उन्होंने रतन टाटा को प्रेरक बताया। अमिताभ बच्चन का इस एज में काम करने को भी प्रेरणा बताया कि टाटा और अमिताभ बच्चन को जरूर खाना सर्व करना चाहूंगी। हम पश्चिम की ओर दौड़ रहे हैं जबकि हिंदुस्तान मे ही इतनी तरह की रेसिपी मिल जाती हैं कि हम दसूरों को दे सकते हैं, लेने की जरूरत नहीं।
क्वीन ऑर् हर्ट्स के सत्र में अभिनेत्री सौम्या टंडन ने कहा कि आर्टिस्टिक और एकेडेमिक माहौल में मेरी परवारिश हुई। मेरे लिए लग्ज़री पावर टू चूज है। कोई फिल्मी सरनेम नहीं है, कोई खान का नाम नही है, ग्लैमरस होने के बावजूद अच्छी मां हूँ। मेरे लिए लग्ज़री है। शिवमंगल सिंह सुमन जैसे कवि मेरे घर आते थे वो साहित्य का प्रभाव मेरे ऊपर है। एक ओर शादी हो रही है और एक तरफ जनाजा जा रहा है, उस पर 6 साल की उम्र में पहली कविता लिखी थी। लग्ज़री के फ्यूचर के बारे में कहा कि लोकल होना ही लग्ज़री है। मॉल मे सब मिल जाएगा लेकिन लोकल से जुड़ाव होना जरूरी है।
रॉयल्टी एंड पोएट्री पर देश के ख्यातनाम कवि, अभिनेता शैलेश लोढ़ा ने कहा कि राजा महाराजा अपने साथ कवि रखते थे। लक्ष्यराजसिंह के साथ दोस्ती पर उन्होंने कहा कि वे व्यक्ति बहुत अच्छे हैं। उनके दिल के पास कविता है और एक्टिंग शरीर है कविता समाज के लिए सदैव महत्वपूणा रही है। सबसे ज्यादा पैसे लेने वाला कवि शैलेश लोढ़ा है इस पर शैलेश ने कहा कि आपको गर्व होना चाहिए। हिन्दी का कवि अच्छा पैसा कमा रहा है। तारक मेहता का उल्टा चश्मा 14 साल बाद छोड़ने के सवाल पर लोढ़ा ने कहा कि आत्म सम्मान मेरा बहुत बड़ा है। कार्यक्रम में शहर के अलावा देश भर से रॉयल परिवारों, सेलिब्रिटीज ने भी हिस्सा लिया।