गठिया एवं जोड़ रोग पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

बिना चिकित्सक के परामर्श दर्द निवारक गोलियों का सेवन हानिकारक : डॉ. पोसवाल
उदयपुर।
महाराणा भूपाल चिकित्सालय में इफका लेबोरेटरीज लि. के तत्वावधान में सोमवार को गठिया एवं जोड़ रोग पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में आरएनटी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. डी.पी. सिंह, आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. लाखन पोसवाल, एमबी चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. आर.एल. सुमन, वरिष्ठ आचार्य डॉ. हेमंत माहोर, सहायक आचार्य एवं गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरज मित्तल एवं प्रतीक शर्मा उपस्थित थे।
कार्यक्रम में डॉ. लाखन पोसवाल ने उपस्थित रोगियों को बताया कि गठिया रोग उम्र के साथ बढ़ता है। इसमें जोड़ों में दर्द, सूजन आना और चलने फिरने में दिक्कत होना आम बात है। कई बार बच्चों में भी गठिया रोग हो जाता है। इस रोग को हल्के में नहीं लेने के साथ ही बिना चिकित्सक की सलाह के दर्द निवारक गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए। बिना चिकित्सक की सलाह के दर्द निवारक गोलियों का लगातार सेवन से अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए समय-समय पर इसकी जांच करवाते रहना चाहिए।
डॉ. आर.एल. सुमन ने गठिया रोग के उपलब्ध इलाज के बारे में लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि एमबी चिकित्सालय में डॉ. धीरजकुमार मित्तल जैसे विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। इस बीमारी से बिल्कुल घबराए नहीं और ना ही इलाज में लापरवाही बरतें। निरोगी राजस्थान के तहत गठिया रोग का इलाज, संपूर्ण जांच और दवाई निशुल्क दी जाती है। गठिया रोग जैसी बीमारी का समय रहते उपचार करवाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर रोगी में विकलांगता का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि एमबी चिकित्सालय में सप्ताह में 2 दिन सोमवार और गुरुवार को गठिया रोग के विशेषज्ञ डॉ. धीरज मित्तल उपलब्ध रहते हैं। कोई भी रोगी निसंकोच आकर उनसे चिकित्सा परामर्श एवं इलाज ले सकता है।
डॉ. धीरज मित्तल ने बताया कि गठिया रोग को हल्के में ना लें। यह बीमारी एकदम से ठीक नहीं होती है। यह बीमारी लंबी चलती है। शुरुआत में इस बीमारी के कारण काफी सारी दवाई लेनी पड़ती है लेकिन समय के साथ-साथ दवाई भी कम हो जाती है। डॉ. मित्तल ने बताया कि इस बीमारी में दवाओं के प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। लगातार और बराबर समय पर दवाई लेने से गठिया रोग पर अंकुश पाना संभव है। गठिया रोग ऐसी बीमारी है जो बाहर से नहीं आती है। अपने शरीर के अंदर ही उत्पन्न अन्य बीमारियों के विचारों द्वारा यह उत्पन्न होती है। इसमें शुगर बीपी इत्यादि बीमारियां शामिल है जो गठिया को जन्म देती है।

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