गर्भावस्था के शुरुवाती नुकसान के बाद भी मातृत्व सुख

उदयपुर। पारस जे.के. हॉस्पिटल में चिकित्सकों ने बार-बार गर्भपात से परेशान विवाहिता को अत्याधुनिक तकनीक से मातृत्व सुख प्रदान किया है।
स्त्री एंव प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. शीतल कौशिक ने बताया कि उदयपुर निवासी (फातिमा) परिवर्तित नाम पूर्व में दो बार गर्भवती हुई थी लेकिन दोनों ही बार 3-4 महिने में बच्चेदानी का मुंह खुलने के कारण उसका गर्भपात हो गया जिससे वह मां बनने का सुख नहीं भोग सकी। डॉ. कौशिक ने बताया कि इस पर विवाहिता ने पारस जे. के. हॉस्पिटल में आकर परामर्श लिया। जांच करवाने पर पता चला कि उसकी बच्चेदानी के मसल्स कमजोर होने के कारण गर्भ 9 माह तक बच्चेदानी में नहीं ठहर रहा है। इन सब बातों को ध्यान में रखकर उसका उपचार प्रारम्भ किया गया। सर्वप्रथम उसे दवायें देकर गर्भधारण करवाया फिर बच्चेदानी के मुंह पर अत्याधुनिक तकनीक द्वारा स्टीचिंग की। इससे बच्चेदानी का मुंह मजबूत हो गया और गर्भ रुकने लगा। इसके बाद मरीज को बेड रेस्ट की सलाह दी और दवाओं के सहारे 6 माह तक बच्चे को गर्भाषय में रखा। बाद में बिना ऑपरेशन के सुरक्षित डिलीवरी करवा दी लेकिन बच्चा 6 माह का होने के कारण पूर्ण रुप से विकसित नहीं हो पाया था इसलिए उसे अस्पताल की नवजात इकाई के डॉ. राजकुमार व उनकी टीम की देख रेख में रखा गया।
नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजकुमार ने बताया कि जन्म के समय बच्चा मात्र 900 ग्राम का था और उसके शरीर के अंग भी पूर्ण रुप से विकसित नहीं थे। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव उसके फेफड़ों पर और नलियां आपस में चिपकी हुई थी। अन्य अंग भी पूर्ण रुप से विकसित नहीं थे। मस्तिष्क भी पानी के समान था। इन सब बातों का ध्यान में रखकर उसे 45 दिन तक विश्वस्तरीय नर्सरी में कंगारु केयर से रख पूर्ण स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया। अब बच्चा पूर्ण रुप से स्वस्थ है और उसका वजन भी 2 किलोग्राम है। वह अन्य शिशुओं की भांति दूध पी रहा है खेल रहा है।
इस अवसर पर हॉस्पिटल के फेसेलिटी डायरेक्टर विश्वजीत ने बताया कि अनुभवी चिकित्सकों की टीम व विश्वस्तरीय सुविधाओं द्वारा मां व बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। मैं चिकित्सकों व मरीज के परिजनों को बधाई देता हूं।

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