पारस जे. के. हॉस्पिटल में शराब से होने वाली बीमारियों पर जागरुकता कार्यक्रम
उदयपुर। एल्कोहोलिज्म को एल्कोहल यूज डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी इंसान के मन में एल्कोहल या शराब पीने की तेज इच्छा होती है फिर भले ही इसका उस शख्स के जीवन पर कितना भी नेगेटिव असर क्यों न पड़े? यह बात पारस जे. के. हॉस्पिटल में पेट, आंत व लिवर रोग के विशेषज्ञ डॉ. राजीव शर्मा ने कही। वे शराब से होने वाली बीमारियों पर आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में बोल रहे थे।
डॉ. राजीव शर्मा ने बताया कि वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, पूरी दुनिया में हर साल 3.3 मिलियन लोगों की मृत्यु सिर्फ एल्कोहल के हानिकारक उपयोग के कारण हो जाती है। एल्कोहल एब्यूज डिसऑर्डर को लंबे समय से चली आ रही शराब पीने की लत समझा जाता है। द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एल्कोहल अब्यूज एंड एल्कोहोलिज्म के अनुसार, एल्कोहल यूज डिसऑर्डर ऐसी समस्या को कहते हैं जिसमें शराब पीने की समस्या गंभीर रूप ले लेती है। ग्लोबल स्टेट्स रिपोर्ट ऑन एल्कोहल एंड हेल्थ, 2018 के अनुसार, साल 2005 से 2016 के बीच में भारत में प्रति व्यक्ति एल्कोहल की खपत दोगुनी हो चुकी है।
डॉ. राजीव शर्मा ने कहा कि एल्कोहल यूज डिसऑर्डर के संकेत और लक्षणों को ध्यान में रखकर शुरुआत में ही इस पर नियंत्रण कर लेना चाहिये। अकेले या चुपचाप शराब पीना, शराब पीने की सीमा तय न कर पाना, ब्लैक आउट करना, समय का हिस्सा याद नहीं कर पाना, नियम बनाकर पीना, कोई टिप्पणी करे तो ज्यादा पीना, काम के पहले, खाने के बाद, काम के बाद नियमित रूप से पीना, पसंदीदा कामों से रुचि खोदेना, बेचैनी होना, शराब खत्म होने पर बेचैनी होना, शराब को दूसरों की पहुंच से छिपाकर रखना, अच्छा महसूस करने के लिए शराब पीना, रिश्तों, कानून, फाइनेंस या काम से जुड़ी समस्या पर शराब पीना, शराब का नशा महसूस न होने पर और ज्यादा शराब पीना, ये सब लक्षण होना आदमी में एल्कोहल यूज डिसऑर्डर के संकेत है।
एल्कोहोलिज्म के कारण :
जब कोई शराब पीता है तो गामा अमीनो ब्यूटिरिक एसिड (गाबा) हार्मोन को असंतुलित कर देता है। इस कारण शराब पीने की इच्छा तीव्र होती है। इसके अलावा भी और कई कारण ऐसे है जिनसे शराब पीने की आदत बढ़ जाती है। जैसे की अकेलापन, आसान उपलब्धता, स्ट्रेस, साथ बैठकर पीना, आत्मसम्मान की कमी, डिप्रेशन, मीडिया और विज्ञापन आदि कई कारण ऐेसे हैं जिनसे लोगों में शराब की आदत लग जाती है।
शराब के नुकसान व बीमारियों पर डॉ. राजीव ने कहा कि यह एक सामाजिक अभिशाप है। इससे सामाजिक मान सम्मान तो कम होता ही है, पारिवारिक अशांति के साथ अन्य कई नुकसान होते हैं जैसे थकान, मेमोरी लॉस। एल्कोहल इंसान की शॉर्ट टर्म मेमोरी को प्रभावित कर सकता है, आंखों की रोशनी कमजोर या खत्म हो सकती है। हेपेटाइटिस और सिरोसिस जैसी लाइलाज बीमारियां हो सकती हैं। हाइपरटेंशन, हार्ट की समस्याएं, डायबिटीज, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जटिलताएं आंतें या पैंक्रियाज डैमेज हो सकता है। इससे शरीर की क्षमताएं भी कमजोर होती हैं। कई प्रकार की दुर्घटनाएं भी शराब के कारण होती हैं जो जान लेवा हो सकती है।
शराब की आदत का समाधान करने के लिए सबको साथ काम करना चाहिये। एक स्टडी में पाया गया है कि सरकार द्वारा एल्कोहल खरीदने पर टैक्स बढ़ाने के बाद शराब पीने से होने वाली मौतों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई थी। ये प्रभाव अन्य निरोधक रणनीतियों से दो से चार गुना ज्यादा प्रभावी था। शराब पीने वाले मरिजों को समय-समय पर काउंसिलिंग व नशामुक्ति केंद्र की मदद लेनी चाहिये। नशामुक्ति केंद्र में ग्रुप काउंसिलिंग के द्वारा शराब छुड़वाने में मदद मिलती है। इसके अलावा सपोर्ट ग्रुप व परिवार की मदद से भी शराब की आदत को दूर किया जा सकता है और इससे मुक्ति पाने के लिए हमें बिना किसी संकोच व शर्म के प्रोफेशनलस की मदद लेनी चाहिये।