उदयपुर। सिरदर्द जीवन में एक बहुत ही सामान्य बीमारी है और आमतौर पर हर व्यक्ति कभी न कभी अपने जीवनकाल में सिरदर्द से पीडि़त होता है। सिरदर्द कई प्रकार के होते हैं और वो किसी गंभीर बीमारी के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं। पारस जेके हॉस्पिटल उदयपुर के वरिष्ठ न्यूरोफिजिशियन डॉ. मनीष कुलश्रेष्ठ ने बताया कि सिरदर्द दो प्रकार के होते हैं पहला प्राइमरी सिर दर्द और दूसरा सेकेंडरी सिर दर्द।
प्राथमिक सिरदर्द यानी कि प्राइमरी सिरदर्द। यह सिर के अंदर पेन सेंसिटिव नसों या उनमें होने वाली समस्याओं के कारण होते हैं। इनमें रक्त वाहिकाएँ, सिर की माँसपेशियाँ, सिर और गर्दन की नसें शामिल हैं। ये सिर की केमिकल गतिविधि में होने वाले बदलावों के कारण भी हो सकते हैं। प्राथमिक सिरदर्द में टेंशन सिरदर्द का सबसे सामान्य रूप हैं। 60-70 प्रतिशत इस तरह के सिरदर्द में सामान्य रूप से पूरे सिर में खिंचाव महसूस होता है और इसमें मरीज को तनाव अथवा डिप्रेशन जैसी शिकायत भी हो सकती हैं। इस तरह के सिरदर्द में जी मिचलाना, उल्टी होना अथवा तेज प्रकाश एवं आवाज से परेशानी बढ़ जाने जैसी घटनायें नहीं होती जैसा कि माइग्रेन में सामान्यतया होती है इसके इलाज के लिए कुछ दवाइयों के साथ साइकोलॉजिकल एंड बिहेवियरल थेरेपी भी की जाती हैं।
डॉ. कुलश्रेष्ठ ने बताया कि माइग्रेन प्राथमिक सिरदर्द का दूसरा सबसे सामान्य रूप है। इस तरह के सिर दर्द में मरीजों की शिकायत यह रहती है कि उन्हें भूख से, धूप में जाने से, शोर-शराबे में जाने से, किसी परफ्यूम की खुशबू से सिर दर्द होने लग जाता है और यह सिरदर्द सामान्यतया सिर के अथवा एक भाग से शुरू होता है। यह सिर दर्द 4 घंटे से लेकर 72 घंटों तक रह सकता है। सिरदर्द की तीव्रता बढऩे पर जी मिचलाना एवं उल्टी होना भी हो सकता है। अगर सिरदर्द माह में 8 बार से कम होता है तो एपिसोडिक माइग्रेन कहा जाता है। आठ बार से ज़्यादा होने पर इसे क्रॉनिक माइग्रेन कहा जाता है। इस तरह के सिरदर्द में अगर सिरदर्द की फ्रिक्वेंसी एक माह में 4 बार या इससे कम रहती है तो पेशंट को ट्रिगर मैनज्मेंट के साथ-साथ पेनकिलर (सिर दर्द होने पर ही) से ही इलाज किया जाता है। चार बार से अधिक फ्रिक्वेंसी होने पर प्रिवेंटिव रेगुलर मेडिसिन भी साथ में दी जाती है। क्लस्टर सिरदर्द, सिर के एक हिस्से में ही होता है और ज्यादातर आंख के पीछे वाले हिस्से में होता है जिससे एक आंख छोटी हो जाती है और इसकी वजह से आंख और नाक से पानी आना शुरू हो जाता है। यह सिरदर्द आमतौर पर 15 मिनट से 3 घंटे तक रहता है। सिरदर्द बहुत ही तीव्र होता है। इस प्रकार के सिरदर्द में सिरदर्द की दवा के अलावा कुछ समय के लिए प्रीवेंटिव मेडिसिन भी जाती है। सेकेंडरी सिरदर्द के लक्षण तब दिखाई देते हैं, जब सिर की संवेदनशील नसों को कोई अन्य कारणों से परेशानी हो रही हो। साइनस, नेत्र संबंधित रोग, ब्रेन इन्फ़ेक्शन, किसी प्रकार की कोई चोट, दर्द की दवा की अत्यधिक खुराक और सिर में स्ट्रोक होना आदि शामिल हैं।
डॉ. मनीष कुलश्रेष्ठ ने बताया कि हर तरह के सिरदर्द का निदान सामान्यतया मरीज की हिस्ट्री पर ही आधारित होता है। विशेष जांचों की आवश्यकता कुछ परिस्थितियों में ही पड़ती है जैसे मरीज को 40 साल की उम्र के बाद अचानक सिरदर्द शुरू हुआ हो या फिर किसी मरीज को सिरदर्द के साथ-साथ देखने में परेशानी हो रही है या किसी को बुखार के साथ वजन घटने की समस्या हो रही है तो सेकेंडरी सिरदर्द को ध्यान में रखते हुए जांच करनी चाहिए जिसमें एमआरआई, सीएफएस, नेत्र जांच आदि शामिल हैं। इसके बाद मरीज को ट्रीटमेंट और दवाइयां देनी चाहिए। जिससे सही रूप से उनकी परेशानी का निदान किया जा सके।
सामान्य सिरदर्द भी हो सकता है किसी बीमारी का संकेत : डॉ. मनीष कुलश्रेष्ठ
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