ज्ञान प्राप्ति के लिए ध्यान परमोपयोगी

उदयपुर। महाप्रज्ञ विहार में तेरापंथ धर्मसंघ की सुविज्ञा साध्वी शासनश्री मधुबालाजी ने ध्यान दिवस पर बोलते कहा कि ज्ञान-ध्यान एक वाक्यांश है। ज्ञान के लिए ध्यान आवश्यक है और ध्यान के लिए ज्ञान आवश्यक है। प्रकृति की दृष्टि से दोनों एक हैं और प्रक्रिया की दृष्टि से दोनों दो हैं। ज्ञान में चल अंश विद्यमान है और ध्यान में स्थिर अंश। चंचलता जितनी सहज है, स्थिरता उतनी सहज नहीं है। शरीर, वाणी और मन के साथ चलने का जन्मसिद्ध अभ्यास है किंतु शरीर, वाणी और मन से परे जाने का अभ्यास नहीं है। जो नहीं है, वह जब है में बदलता है, तब होता है ध्यान का जन्म।
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, उदयपुर के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने बताया कि साधवीश्री मधुबालाजी के अनुसार परम शक्ति के जागरण का एक महत्वपूर्ण उपक्रम है ध्यान। विकास की उच्चतम भूमिका ध्यान की उच्च साधना के द्वारा प्राप्त होती है। आचार्यश्री तुलसी की शासना में आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने गहन अध्ययन और गहन साधना से प्रेक्षाध्यान के रूप में जैन योग की विलुप्त साधना पद्धति को पुनर्जीवित किया। प्रेक्षाध्यान की आज एक प्रतिष्ठित ध्यान पद्धति के रूप में देश-विदेश में व्यापक पहचान है। उन्होंने कहा कि ध्यान दिवस के दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिये कि हम कम से कम आधा घंटा हर रोज ध्यान करेंगे।

Related posts:

Hindustan Zinc saves over 1 lakh GJ of energy in FY25; enough to power nearly 19,000 households annu...

श्वान को दी सम्मान से अंतिम विदाई

पांच लोगों को निशुल्क कृत्रिम हाथ लगाए

बेदला पुलिया का निर्माण कार्य पूर्ण

श्मशान पुलिया का निर्माण कार्य शुरू

विशाखापट्नम में  तीन सौ से ज्यादा दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ-पैर लगाए

महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल के बच्चों ने जीते पदक

हिन्दुस्तान जिंक द्वारा देबारी में एआई सक्षम हॉटस्पॉट मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित

कोनार्क व यूपी रॉयल्स का फाइनल में प्रवेश

जिंक द्वारा सामुदायिक विकास कार्यक्रमों से समुदायों का कायाकल्प

भगवान आशुतोष ने मंदिर परिसर में किया वन भ्रमण

सांई तिरूपति विश्वविद्यालय में आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस पर संगोष्ठी आयोजित