एमबीबीएस छात्रों ने लिया नशा न करने का संकल्प
उदयपुर। नशा न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक है। शराब की लत, नशीली दवाओं की लत, धूम्रपान, तंबाकू चबाना और कई अन्य लत देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित हैं। नशा गैर-संचारी रोगों जैसे कैंसर, उच्च रक्तचाप आदि और संचारी रोगों जैसे तपेदिक, एचआईवी-एड्स और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण है। एक तरफ लत हमारे समाज में बीमारी का बोझ बढ़ाती है जिससे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए चुनौतियाँ पैदा होती हैं और दूसरी तरफ यह गरीब और वंचित वर्गों द्वारा दैनिक खर्चों और अन्य स्रोतों के माध्यम से कड़ी मेहनत से अर्जित आय को खत्म कर देती है जिसके परिणामस्वरूप पूरे परिवार के लिए पोषण संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय जो देश में नशीली दवाओं की मांग कमी के लिए नोडल मंत्रालय है ने 15 अगस्त 2020 को 32 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के 272 जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) तैयार कर लॉन्च किया। इन संवेदनशील जिलों की पहचान व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्षों और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा उपलब्ध कराए गए इनपुट के आधार पर की गई। कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संबंधी खतरों और सामाजिक समस्या पर ध्यान केंद्रित करके विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जनता तक पहुंचना और जागरूकता फैलाना है।
पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज उमरड़ा में नशा मुक्त भारत अभियान के तहत शनिवार 10 फरवरी को कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों के लिए एक पोस्टर और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा डॉ. दिलीप पारीक के संयोजकत्व में किया गया। चेयरपर्सन आशीष अग्रवाल एवं शीतल अग्रवाल ने महाविद्यालय में इस अनूठे कार्यक्रम के संचालन के लिए प्रेरित किया। प्राचार्य और नियंत्रक डॉ. सुरेश गोयल और कॉलेज प्रबंधन ने कार्यक्रम के संचालन के लिए पूरा समर्थन और सहयोग दिया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया और नशे से दूर रहने और इसके कारण होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में समाज को जागरूक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने का संकल्प लिया। प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।