सफलता के लिए साधना के साथ विषय पर ध्यान जरूरी : पं. रोनू मजुमदार

सफलता के लिए साधना के साथ विषय पर ध्यान जरूरी : पं. रोनू मजुमदार  
वर्तमान समय में हर कोई कम मेहनत में अधिक पाना और जल्दी प्रसिद्धि चाहता है लेकिन सफलता के लिए साधना के साथ-साथ विषय पर दृढ़ होकर ध्यान जरूरी है। यह बात पं. चतुरलाल की स्मृति में आयोजित ‘स्मृतियां’ कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देने आये प्रसिद्ध बांसुरीवादक पं. रोनू मजुमदार ने कही। उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि उस दौर में नये लोगों को इतनी आसानी से अवसर उपलब्ध नहीं थे। लेकिन आज सोशल मीडिया के जरिये खुद को प्रमोट करना आसान हो गया है। कुछ लोग जल्द ही प्रसिद्धि भी पा लेते हैं, लेकिन उस टिकना और मुकाम हासिल करना बड़ी बात है।


उन्होंने कहा कि तकनीक के जरिये आज भी अच्छे कलाकार जनता के सामने खुद को साबित कर मुकाम हासिल कर सकते हैं लेकिन टेक्नीक के बावजूद भी साधना में गहराई आवश्यक है। क्योंकि लंबी सफलता के लिए उसमें नयापन जरूरी है जोकि स्थायीत्व का मूल है। उन्होंने रोनू मजुमदार फ्ल्युट फाउंडेशन के बारे जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिका और मुंबई में संगीत को आगे बढ़ाने के लिए कोरोनाकाल के दौरान कई लोगों ने बांसुरी को चुना और ऑनलाइन प्रशिक्षण लिया जिससे लोगों का बांसुरी से लगाव बढ़ा है। उन्होंने सुझाव दिया कि बांसुरी को अभिरूचि के रूप में अपनाना उचित है जब तक कि पारंगतता हासिल न हो जाय। कोरोनाकाल में बहुत सारे कलाकार प्रभावित हुए हैं क्योंकि सभी कलाकारों द्वारा गुजारा मुश्किल था। उन्होंने विदेशों में गठित संगठनों की तरह ही कलाकारों को संगठित होने का आह्वान करते हुए कहा कि एकजुट होने पर सरकार से किसी प्रकार की सहायता संभव है।
उन्होंने कहा कि समय का बदलाव ही प्रकृति का नियम है। समय के साथ गुरु-शिष्य में आत्मीयता की कमी भी आई है। जल्दी प्रसिद्धि पाने के दबाव में नये कलाकार शोर्टकट अपनाते हैं जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत के कलाकारों को फिल्मों से जुडऩे पर उनमें स्फू र्ति लाता है। उन्होंने स्वयं फिल्मों से बहुत कुछ सीखा है। फिल्म संगीत में समय के साथ-साथ क्लासिकल बेस में कमी आई है। आज का संगीत टेक्नोलॉजी का संगीत है लेकिन शास्त्रीय संगीत का भविष्य सदैव उज्ज्वल है। संगीत में समझ के लिए शास्त्रीय संगीत की जानकारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक कोलाहल रोष और बदले की भावना को संगीत से दूर किया जा सकता है क्योंकि संगीत प्रेम सिखाता है।
लोकसंगीत परंपरा और शैली को जानने का अवसर : मालिनी अवस्थी
लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने कहा कि कलाकार के रूप में व्यक्तिगत रूप से लोकसंगीत को संरक्षित करने और सहेजने के लिए हर संभव प्रयासरत हैं। लोकसंगीत स्वत: जागृत होता है। जिसके प्रति उदासीनता का भाव दिखता है। उनका मन आज भी पारंपरिक विधाओं को सामने लाने हेतु भरसक रहता है। लोकसंगीत के प्रति लगाव परंपरा और शैली को जानने का अवसर है। लोकसंगीत अब धीरे-धीरे घरों से गायब होता जा रहा है। जिसे वे मंच पर सहेजने और प्रस्तुत करने का प्रयास करती हैं।


उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसी भी समारोह में लोग किसी भी प्रकार से लोककलाकारों को प्रोत्साहन नहीं देते हैं जबकि पूर्व में हर आयोजन पर लोकसंगीत के लिए लोककलाकारों को बुलाया जाता था। लोगों को चाहिये कि जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े लोकसंगीत को पोषित करें। लोकसंगीत में द्विअर्थीय शब्दों के प्रयोग पर मालिनी ने कहा कि आपस की बात को या हंसी ठठ्ठे को गाना बनाकर प्रस्तुत करने के बारे में कलाकारों को विवेक से काम लेना चाहिये। मंच पर गरिमा बना रहना आवश्यक है। लोकसंगीत में खुलेपन का कृत्रितमा के जरिये फायदा उठाना उचित नहीं है। लोकसंगीत और शास्त्रीय संगीत के कलाकारों में भेदभाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे महसूस किया है। लोकसंगीत को दोयम दर्जे का मानना या लोकसंगीत के कलाकार को हीन भावना से देखना लोककला के हित में नहीं है। पहले समय में आयोजक छोटे-छोटे आयोजनों में लोककलाकारों को बुलाते थे, वो अब कम हो रहा है। आई मी माई सेल्फ के कल्चर ने संस्कृति के बढ़ावे के प्रति रूजान कम कर दिया है।

Related posts:

कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में सहयोग करते हुए हिंदुस्तान यूनिलीवर ने यूनिसेफ के साथ साझेदारी की

मिनरल उद्योग पर ट्रांजिट पास व्यवस्था हटाने से 20 जिलों के मिनरल ग्राइंडिंग उद्योग को राहत मिली

इंटीग्रा टेलीकम्युनिकेशन एंड सॉफ्टवेयर कंपनी स्पोट्र्स सॉफ्टवेयर लॉन्च करेगी

विकसित भारत संकल्प यात्रा का आगाज

कंगारु किड्स ऐजुकेशन राजस्थान में स्कूलों की श्रंखला आरंभ करने को तैयार

पं. चतुरलाल की स्मृति में ‘स्मृतियां’ कार्यक्रम कल

INDIRA IVF PARTNERS WITH SAFETREE TO INTRODUCE INDIA’S FIRST INFERTILITY INSURANCE PLAN

लोक जन सेवा संस्थान ने हिंदी दिवस पर किया डॉ. भानावत का सम्मान

सीआईआई ने क्लाइमेट एक्शन प्रोग्राम 2.0° में हिंदुस्तान जिंक को ओरिएंटेड अवार्ड से किया सम्मानित

HDFC Bank MSME loan book in Rajasthan crosses Rs. 13,000 crores in Advances

पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा में गुजरात के नवजात जुड़वाँ शिशुओं का सफल उपचार

सिंघवी महावीर युवा मंच के महासचिव मनोनीत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *