राजस्थान के गौरव-सौरव ने दुनिया में रोशन किया भारत का नाम

स्वीडन में रचा इतिहास, कहलाए आयरनमैन ब्रदर्स, फिनिश लाइन पर भारतीय तिरंगा लहराया

  • दोनों भाई बोले जो सपना देखा उसके लिए कठोर मेहनत की तो सफलता कदमों में

उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत )। झीलों की नगरी के दो भाइयों ने स्वीडन में एक नया रिकॉर्ड बनाकर देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। इनकी इस उपलब्धि पर उदयपुर गौरवान्वित हुआ है और इस ऐतिहासिक क्षण में हमारी चमक दुनिया के मंच पर दिखी।


उदयपुर के सुखेर में रहने वाले 33 साल के गौरव सिखवाल और छोटे भाई 32 साल के सौरव सिखवाल ने स्वीडन के कालमार में हुई दिग्गज आयरनमैन ट्रायथलॉन को सफलतापूर्वक पूरा किया। उनका दावा है कि वे यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय भाई और दुनिया के पहले एशियाई भाई बने। दोनों भाइयों ने बताया कि समुद्र में 3.8 किमी में तैराकी की और वहां पर ठंडे पानी का टेम्प्रेचर 10 से 15 डिग्री सेंटीग्रेट था। इसके अलावा तेज़ हवाओं वाली खुली सडक़ों पर उन्होंने 180 किमी साइकिलिंग की और बाद में 42.2 किमी की मैराथन दौड़ को पूर्ण किया।


गौरव सिखवाल ने बताया कि आयरनमैन को अक्सर दुनिया की सबसे कठिन सहनशक्ति प्रतियोगिता कहा जाता है और वास्तव में हर पल बहुत कठिन था लेकिन उन्होंने जो सपना देखा और जो ठान रखा था उसे पूरा करना था तो फिर हमारे लिए कोई कठिन नहीं था। हम अपने गोल को टारगेट लेकर चल रहे थे और आखिर हमे सफलता मिली।
सौरव सिखवाल ने बताया कि इसमें 75 से ज्यादा देशों से आए 2800 से अधिक एथलीट्स ने भाग लिया। सौरव ने बताया कि पूरी दुनिया की आबादी में से केवल 0.01 प्रतिशत से भी कम लोग ही आयरनमैन का खिताब पाने में सफल होते हैं। इस प्रतियोगिता को पूरा करने के लिए अधिकतम कट-ऑफ समय 16 घंटे रखा गया था।


गौरव ने बताया कि यह उपलब्धि एक साल की कठिन ट्रेनिंग, सख्त डाइट और मानसिक तैयारी से हासिल हुई। इस रेस ने हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमता की हर हद को परखा और कठोर प्रॉटोकॉल को हमने फॉलो किया था उसी की वजह से ऐसा हुआ।
उन्होंने बताया कि साइकिलिंग के दौरान सौरव की साइकिल में गंभीर तकनीकी खराबी आने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और कट-ऑफ समय में रेस पूरी की। दोनों भाइयों ने भारतीय ध्वज को गर्व से ऊँचा किया और ‘आयरनमैन ब्रदर्स’ कहलाए।
दोनों भाइयों ने कहा कि यह केवल व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि भारत और एशिया के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिसने साबित किया कि अनुशासन, साहस और इच्छाशक्ति से हर सीमा को तोड़ा जा सकता है।
गौरव और सौरव सिखवाल ने कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। आयरनमैन सिर्फ एक रेस नहीं बल्कि शरीर, दिमाग और आत्मा की असली परीक्षा है। हमें गर्व है कि हमने फिनिश लाइन पर भारतीय तिरंगा लहराया। इस रिकॉर्ड के साथ सिखवाल ब्रदर्स ने अपना नाम खेलों के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज करा लिया है।

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