आर.एस.एम.एम. लि. प्रबंधन द्वारा श्रमिकों को कुचलने का तानाशाहीपूर्वक व्यवहार

उदयपुर। राज्य सरकार का उपक्रम आर.एस.एम.एम. लि. (R.S.M.M. Ltd.) का प्रबंधन तानाशाहीपूर्वक पिछले कुछ वर्षों से लगातार श्रमिकों एवं इंटक संघ के साथ दुरभावनापूर्वक व्यवहार कर रहा है।
शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी देते हुए रॉक फॉस्फेट मजदूर संघ (इंटक) (INTUC) के महामंत्री एस. एम. अय्यर (मणी) (S. M. Iyer) तथा इंटक के प्रदेशाध्यक्ष जगदीशराज श्रीमाली (Jagdish Raj Shrimali) ने बताया कि प्रबंधक मुख्यमंत्री अशोकजी गहलोत, खानमंत्री, मुख्य सचिवजी को असत्य, गलत, झूठी व आधीअधूरी जानकारी देकर गुमराह कर रहा और कह रहा है कि विभिन्न न्यायालयों में वाद लंबित है और मान्यता खत्म हो गई है। यही कारण है कि प्रबंधन ने संघ कार्यालय कक्ष को अपने कब्जे में कर लिया है। जबकि सत्य यह है कि कानून के अनुसार मान्यता समाप्त नहीं हुई है और आज भी जारी है। उच्च न्यायालय, जयपुर के निर्णय 4.3.2020 के अनुसार भी चुनाव के परिणाम आने तक मान्यता लगातार जारी रहती है। प्रबंधन ने भी आज तक मान्यता समाप्त नहीं की है। अपनी मनमर्जी से ही मान्यता समाप्त होना मान लिया है। यह भी उल्लेखनीय है कि न्यायालय में वर्तमान में इस संबंधी कोई वाद लंबित नहीं है।
महामंत्री ने बताया कि समय लेकर इन सारी समस्याओं को लेकर मैं तथा प्रदेशाध्यक्ष श्रीमालीजी बुधवार 15 सितंबर को आर.एस.एम.एम. लि. के प्रबंध निदेशकजी के कक्ष में उनसे वार्ता के लिए गये। वार्ता के दौरान संघ का पक्ष पूरा सुने बिना ही प्रबंध निदेशकजी ने अपना तानाशाही निर्णय सुनाते हुए मान्यता मानने, कक्ष देने से मना कर दिया एवं ठेकेदार श्रमिकों की समस्याएं सुनने से इंकार कर दिया। ठेका श्रमिकों की उठाई मांगों को दबाने के लिए अनुचित श्रम व्यवहार किया व अभद्र तरीके से कक्ष से बाहर जाने के लिए बोल दिया। जबकि कोरपोरेट कार्यालय में एकमात्र रॉक फॉस्फेट मजदूर संघ (इंटक) कार्यरत है जो कि लगभग 40 वर्षों से आज दिनांक तक लगातार मान्यता प्राप्त संघ है। प्रबंधन ने कभी मान्यता समाप्त नहीं की।


इतना ही नहीं, प्रबंध निदेशकजी ने रात को ही इंटक के छह प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों सहित 22 श्रमिकों का स्थानान्तरण आदेश जारी कर अपने अधिकारी पद की मादकता, मनमर्जीता करते हुए आर.एस.एम.एम. लि. जैसी उच्चस्तरीय प्रतिष्ठित संस्था के साथ तानााशाही का गैरजिम्मेदाराना पक्ष प्रस्तुत किया। पिछले लगभग 50 वर्षों से कंपनी में कभी भी श्रमिकों की इच्छा के विरूद्ध उनका स्थानान्तरण नहीं हुआ।
वर्तमान कोरोना काल में जहां सभी सरकारें, संस्थाएं व्यक्ति को परिवार के साथ रहने का मौका देने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं प्रबंधन ने क्रूर, तानाशाही रवैया अपनाते हुए श्रमिकों को अपने परिवारों से अलग करके, वर्तमान के महंगाई के दौर में, आर्थिक नुकसान व मानसिक तनाव देकर श्रमिकों व उनके परिवारों को मौत के मुंह में ढकेलने का जघन्य पाप किया है।
प्रबंधन के अनुसार चुनाव की प्रक्रिया चालू है। माननीय न्यायालय द्वारा 31.8.2021 को दिये फैसले के बाद कभी भी चुनाव की तारीख की घोषणा हो सकती है। प्रबंधक ने षडय़ंत्र के तहत आचारसंहिता की धज्जियां उड़ाते हुए श्रमिकों को इंटक से विमुख करने के लिए सभी इकाइयों में से चुन-चुन कर मात्र इंटक श्रमिकों का स्थानान्तरण कर दिया। कुछ अधिकारी व प्रबंधन के दलाल श्रमिकों में भय पैदा करके उन्हें इंटक छोडऩे के लिए मजबूर कर रहे हैं। प्रबंध निदेशकजी के इस कृत्य से श्रमिकों को ही नहीं, संस्थान को भी आर्थिक हानि पहुंचेगी।
जानकारी में आया है कि प्रबंधन ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि यदि कोई बाहर का व्यक्ति (संघ के पदाधिकारी) न्यूसेंस करता है तो विडियोग्राफी कराकर उनके खिलाफ एफआईआर करवाई जाये। प्रबंधन असहमति, विरोध, श्रमिक हितों की बात करने वालों में (अंदर स्थानान्तरण का भय, बाहर एफआईआर का भय) पैदा कर आवाज को कुचलना चाहता है। ऐसा लगता है कि प्रबंधन संविधान व लोकतंत्र की हत्या करके तालिबानी व्यवस्था के तहत उद्योग चलाना चाहता है। प्रबंधन हर तरह के नाजायज हथकंडे अपनाकर, इंटक को समाप्त करने का पुरजोर प्रयास कर रहा है।
प्रेसवार्ता में अध्यक्ष आर. एन. मोर्य, उपाध्यक्ष हरीश शर्मा, इंटक के प्रदेश महामंत्री नारायण गुर्जर व महिला इंटक की प्रदेशाध्यक्ष चंदा सुहालका, इंटक जिलाध्यक्ष हरीसिंह खरवड़ एवं सुनील रोजर्स भी उपस्थित थे।

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