सहारा सेबी के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

दावा किया कि सेबी का 62,000 करोड़ की मांग न्यायालय की अवमानना है
और सहारा के खिलाफ़ जन आक्रोश पैदा करने की कोशिश

उदयपुर। सहारा इंडिया परिवार ने सेबी के खिलाफ़ माननीय सर्वोच्च न्यायालय मंे अवमानना याचिका दायर की और शीर्ष अदालत से सेबी के संबंधित अधिकारियों को उनके कृत्य हेतु दंडित करने का अनुरोध किया।
सेबी द्वारा सहारा से 62,602 करोड़ रूपये जमा कराए जाने की मांग का सहारा ने विरोध किया और दावा किया कि सेबी की यह मांग एक दम ग़लत है और सेबी ने न्यायालय की अवमानना की है। सहारा ने अपील मंे सेबी पर सर्वोच्च अदालत को गुमराह करने और सहारा के खिलाफ़ जनआक्रोश फैलाने का अरोप लगाया है और कहा कि सेबी का यह आवेदन आधारहीन व बेबुनियाद है।
अपील मंे सहारा ने दावा किया कि शीर्ष अदालत ने दिनांक 06.02.2017 के अपने आदेश में निर्देशित किया है कि मामला मूल धन राशि से संबंधित है और ब्याज के मुद्दे का बाद में अवलोकन किया जाएगा किंतु सेबी ने ब्याज राशि को शामिल करके निर्देशों की पूरी तरह से अवहेलना की है। सहारा ने अपील मंे यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि सेबी कुछ निहित स्वार्थाें की पूर्ति हेतु सत्यापन कराने से बच रही है और बेकार के बहाने बनाने में लगी हुई है। इस समय कुल मूल धनराशि 24,029.73 करोड़ रूपये में से 22,500 करोड़ रूपये सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा हैं, इसका मतलब यह है कि सहारा को मूल राशि के रूप् में मात्र 1,529 करोड़ रूपये ही और जमा कराने हैं। सेबी के आवेदन का एकमात्र उद्देश्य पूर्वाग्रह पैदा करना है और यह सुनिश्चित करना है कि जन मानस में पूरे सहारा समूह का विश्वास बिगड़ जाए। सेबी जैसी जि़म्मेदार और सम्मानित संस्था से वास्तव में ऐसी उम्मीद नहीं की जाती है।
सेबी ने देशभर में पिछले 8 वर्षों में 152 अख़बारों में 4 बार विज्ञापन देने के बाद कुल 19,532 दावे प्राप्त किए और केवल 107 करोड़ रूपये का भुगतान सम्मानित निवेशकर्ताओं को किया है। अप्रैल 2018 में प्रकाशित किए गए अपने अंतिम विज्ञापन में, सेबी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जुलाई 2018 के बाद वह किसी भी अन्य दावे पर विचार नहीं करेगा। इसका अर्थ है कि सेबी के पास अब कोई दावेदार नहीं बचा है। यह दोहरे भुगतान का एक अनोखा मामला है। सहारा ने हमेशा कहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार निर्धारित सत्यापन के उपरांत 22,500 करोड़ रूपये की यह धनराशि अंततः सहारा के पास ही वापस आएगी।
8 वर्ष से अधिक का समय बीत गया है और अभी तक सेबी ने 3.03 करोड़़ निवेशकों के सत्यापन व भुगतान (रिफंड) का कार्य नहीं किया है, जोकि निवेशकों के हितों और सेबी-सहारा विवाद के निस्तारण के लिए नितांत आवश्यक है। सेबी में इस मुद्दे को सुलझाने की इच्छा ही नहीं है। इसके विपरीत सेबी का इरादा माननीय न्यायालय के निर्देशों के पालन में गतिरोध पैदा करने में है।
सहारा ने स्पष्ट किया है कि सेबी को धन वापसी की जांच करनी थी जिसके लिए भारतीय डाक विभाग ने सेबी के कहने पर प्रक्रिया विकसित की थी। परंतु सेबी ने मार्च, 2013 में वह प्रस्ताव छोड़ दिया। इसके साथ ही ‘स्मार्ट चिप लिमिटेड’ जोकि भारत सरकार द्वारा आधार कार्ड पंजीकरण के लिए पैनलबद्ध की गई थी और जो वैश्विक स्तर पर बायोमेट्रिक और सिक्योरिटी तकनीक में दिग्गज है, उसने भी 4 सितंबर, 2014 को सत्यापन प्रक्रिया करने के लिए प्रस्ताव भेजा था, परंतु सेबी ने इस पर भी कोई निर्णय नहीं लिया। सेबी सत्यापन प्रक्रिया की तैयारी में ही सहारा से लिए पैसों में से 100 करोड़ रूपये से अधिक खर्च कर चुका है परंतु सेबी द्वारा अभी तक सत्यापन नहीं किया गया है।
सेबी द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की जानबूझ कर की गई अवज्ञा हर दृष्टि से न्यायालय की अवमानना है।

Related posts:

700-gm infant undergoes cardiac surgery at CIMS

पेटीएम भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज के लिए यूपीआई मनी ट्रांसफर पर फिर लेकर आया ‘4 का 100 कैशब...

एचडीएफसी बैंक ने 11,000 से अधिक छात्रों और शिक्षकों को सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग प्रथाओं के बारे में श...

हिंदुस्तान जिंक द्वारा टीकाकरण अभियान में अब तक 20 हजार से अधिक कर्मचारियों और परिवार के सदस्य लाभान...

EaseMyTrip Travels to the City of Lakes - Udaipur

Sugar Industrialist Mr Katti To Acquire Stake in HKG Ltd through Open Offer

किआ इंडिया ने कंपनी की नई लोगो और स्लोगन ‘मूवमेंट दैट इंस्पाइर्स’ के साथ ब्रांड को दोबारा लांच किया

Paytm brings Travel Festival Sale from August 18-20

स्विगी ने उदयपुर में की ‘बोल्ट’ सर्विस की शुरुआत

फेस्टिव दिवाली सेल के लिए कोटक ने ऐमज़ॉन डॉट इन से की साझेदारी

हिन्दुस्तान जिंक द्वारा जनहित के साथ ही रक्तदान जैसे पुनीत कार्य अनुकरणीय : ताराचंद मीणा

जोधपुर के स्पार्टन्स क्लब ने जीता पिम्स मेवाड़ कप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *