गौतम को भाई गुलाब की खेती तो बाबूलाल मक्का की बुवाई से निहाल

जावर क्षेत्र में दो हजार से ज्यादा किसान परिवार जिंक की समाधान परियोजना से लाभान्वित
उदयपुर।
हिन्दुस्तान जिंक द्वारा संचालित समाधान परियोजना के तहत बायफ के सहयोग से जावर क्षेत्र में कृषि व पशुधन विकास से जुडे हुए 28 गांवों मे दो हजार से अधिक किसान परिवार लाभान्वित हो रहे है। समाधान परियोजना कृषि एवं पशुपालन में आधुनिक तकनीक और प्रणाली के माध्यम से 2250 किसानों और उनके परिवारों की स्थायी आजीविका को सुनिश्चित कर रही है।
दो बेटियों, बेटे और पत्नी के साथ खिलखिलाते गौतम मीणा अपने खेत में गुलाब के फूलों और पौधों के बीच काफी खुश नज़र आ रहे थे। पूछने पर बताया कि उन्हें कुछ वर्ष पहले तक गुलाब की खेती की तकनीक के बारे में कोई जानकारी नही थी। वर्ष 2017-18 मंे जिंक द्वारा बायफ के माध्यम से कृषक भ्रमण करवाया गया जिसमें गौतम मीणा को फूलों की खेती दिखाई गयी। इसे देखकर उन्होंने पुष्प उत्पादन से खेती करने की सलाह ली और स्वयं के खेत पर गुलाब की खेती करना तय किया। गौतम ने बताया कि उन्हें पूरी जानकारी और प्रशिक्षण देने के साथ ही समाधान परीयोजना के अन्तर्गत गुलाब के 1000 पौधे उपलब्ध करा लगवाये गये। पौधे लगाने के 40 से 45 दिन बाद उत्पादन आना शुरु हो गया। इसे उन्होंने जावर माता मन्दिर, जावर माईन्स में बेचना शुरू किया जिससे प्राप्त आमदनी से उन्हें हौंसला मिला। नियमित रूप से गुलाब की बिक्री होने पर उन्हें 400 से 500 रूपये प्रतिदिन की आय हो जाती है। अब तक प्राप्त आय से कोरोना महामारी के समय में भी उन्हें परिवार के पालन पोषण में सहायता मिली है।
इसी प्रकार जिंक द्वारा संचालित समाधान परियोजना से बाबूलाल मीणा भी लाभान्वित हुए हैं। उन्नत तकनीक से कम खर्च में अधिक उत्पादन के बारे में बाबूलाल ने कहा कि समाधान परियोजना से जुड़ने से पहले एक बीघा जमीन से 2 क्विन्टल मक्का व 3 क्विन्टल गेहंू की फसल का उत्पादन होता था। बाजार मूल्य 1500 रु प्रति क्विन्टल मक्का व 2000 रु. प्रति क्विन्टल गेहॅू था जिससे कुल आमदानी 3000 से 6000 रु होती थी और पशुओं के लिए हरे चारे के रुप मे फसल मिला करती थी। हिन्दुस्तान जिंक जावर माइन्स द्वारा आयोजित समाधान परियोजना की सामूहिक बैठक में उसने भी भाग लिया जिसमें नयी पद्धति से खेती करने पर आमदनी अधिक व लागत कम की जानकारी दी गई। इस जानकारी के बाद वह परियोजना से जुड़ गया। पर्यवेक्षक द्वारा मक्का की फसल की बुवाई विधि व खेती की अन्य तकनीकी का प्रषिक्षण लेने के बाद खेती से उत्पादन में 15 से 20 प्रतिषत की वृद्धि हुई। इसी दौरान बाबूलाल ने सब्जियों, फलों की खेती तथा वर्ष 2019-20 में समाधान परियोजना व पशुपालन विभाग उदयपुर द्वारा मुर्गी पालन हेतु एक युनिट प्राप्त की। यह उनके लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन गया आज वे अपनी बढ़ी हुई आय से खुश है।
गौतम और बाबुलाल की तरह ही आसपास के क्षेत्र से किसानों को खेती में बेहतर उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीक और उन्नत कृषि से जोडा गया है। इसके साथ ही किसान परिवार पशुपालन में भी नवीन प्रयोगों से अपने जीवनस्तर में बदलाव ला रहे हैं। समाधान परियोजना केे तहत् मुख्य उद्धेश्य रूचि रखने वाले किसानों का समूह बनाकर उन्हें नवीनतम तकनीकी को सीखने और अमल में लाने में सहयोग करना है।
परियोजना में मृदा परीक्षण, कृषि बीज और बागवानी, पौधों की गुणवत्ता, पशुओं की नस्लों में सुधार और कृषि तकनीक और प्रौद्योगिकी में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वर्तमान में 138 किसान समूह हाई-टेक सब्जी की खेती, ड्रिप सिस्टम, मल्चिंग शीट और बुनियादी स्तर पर तकनीकी सहायता के माध्यम से पानी की बचत, कुशल प्रजनन और फसल प्रबंधन तकनीकों के साथ खेती कर रहे है। पशुधन विकास के तहत् किसान परिवारों द्वारा अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर लाभ लिया जा रहा है। अतिरिक्त मंच प्रदान करने के उद्धेश्य से रात्रि चौपाल का आयोजन कर तकनीकी विशेषज्ञों और राजकीय अधिकारियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी के लिए आमंत्रित किया जाता है जो आय संवर्धन के लिए ग्रामीण और आदिवासी किसानों के लिए अनुकरणीय पहल है।

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