विपदाओं के संकर्षण से ही दैदीप्यमान होता है भक्त का व्यक्तित्व: साध्वी वैष्णवी भारती

उदयपुर। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से ज्ञान की धारा श्रीमद्भागवत साप्ताहिक कथा ज्ञानयज्ञ के तीसरे दिवस आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती ने प्रहलाद प्रसंग के माध्यम से भक्त और भगवान के संबंध का मार्मिक चित्रण किया। प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यिपु द्वारा उसे पहाड़ की चोटी से नीचे फैंका गया, विषपान करवाया, मस्त हाथी के आगे ड़ाला गया परंतु भक्त प्रहलाद भक्तिमार्ग से विचलित न हुए। विपदा या मुसीबत भक्त के जीवन को निखारने के लिए आते हैं। जिस प्रकार से सोना आग की भट्टी में तप कर ही कुंदन बनता है ठीक वैसे ही भक्ति की चमक विपदाओं के आने पर ही देदीप्यमान होती है। जो भीतर की शक्ति को नहीं जानता, वह ही विपरीत परिस्थितियों से घबराते हैं। साध्वी ने कहा कि समाज में युवा ही बदलाव लाते हैं। युवा में अद्भुत शक्ति समाहित होती है। असंभव कार्य को संभव करना युवाओं को ही आता है। जब-जब भी समाज का कायाकल्प करने के लिये नौजवान आगे बढ़े, तब समाज ने नूतन परिवर्तन सामने पाया। संकट चाहे सीमाओं का हो या राजनैतिक इसके निवारण के लिये युवक-युवतियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया है परंतु आज युवा पथभ्रष्ट हो चुका है। नशाखोरी, अश्लीलता, चरित्रहीनता आदि व्यसन उनके जीवन में आ चुके हैं। हमें समझना होगा कि यौवन इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि हम कितने छोटे हैं, अपितु इस पर निर्भर करता है कि हम में विकसित होने की क्षमता एवं प्रगति करने की योग्यता कितनी है। विकसित होने का अर्थ है- अंतरनिहित शक्तियों का जागरण। जब शक्ति का जागरण होता है तो सर्वप्रथम व्यक्ति मानव बनता है फिर वह अपनी संस्कृति से प्रेम करता है, तब मां भारती के लिए मर मिटने की भावनाएं पैदा होती हैं। आध्यात्मिक ऊर्जा के, मन में स्पंदित होते ही कर्तव्य बोध और दिशा बोध होता है। जब दिशा का पता चलता है तो दशा सुधर जाती है। स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ महान देशभक्त हुए हैं। इन्होने विदेशों में जाकर भारतीय संस्कृति का बिगुल बजाया तो इसके पीछे आध्यात्मिक शक्ति ही कार्यरत थी। श्रीमद् भगवदगीता युवकों का आहवान करती है कि ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर अपनी ऊर्जा को पहचानें। अर्जुन जैसा नवयुवक आत्मज्ञान को प्राप्त कर अपनी शक्ति को पहचान पाया था। स्वामी विवेकानंद ने कहा- मैं युवाओं में लोहे की मांसपेशियां और फौलाद की नस नाड़ियां देखना चाहता हूं। भारत में शिक्षित युवाओं का होना सौभाग्य की बात है परंतु विवेकवान जाग्रत युवाओं का होना परम सौभाग्य की बात है। अघासुर की लीला से प्रभु ने बताया कि भोग विषयों के समान हैं जो हमें अपनी ओर खींचते हैं परंतु ये अपूर्ण हैं। ये अशांति के अतिरिक्त कुछ नहीं दे सकते। अध्यात्म की शरण में जाने से परम शांति की अनुभूति होती है।
अग्नि में बैठे भक्त की प्रभु ने रक्षा की। होलिका जल कर राख हो गयी। आज भी होलिका दहन का प्रचलन है। होली जिन रंगों से खेली जाती है। वे रंग तो पानी से धुल जाते हैं परंतु जो ईश्वर दर्शन कर भीतरी जगत में भक्ति के रंगों से होली मनाता है- वह अद्भुत है, क्योंकि वे रंग और प्रगाढ़ हो जाते हैं। आज कथा में होली उत्सव मनाया गया। उसके पश्चात् भक्त की रक्षा करने प्रभु स्तम्भ में से प्रकट होते हैं। नरसिंह अवतार धारण कर उन्होने अधर्म और अन्याय को समाप्त कर सत्य की पताका को फहराया।
कथा में मुख्य अतिथि के रूप में नगर निगम के आयुक्त वासुदेव मालावत, मुख्य चिकित्सा अधिकारी शंकर बामनिया, राजेन्द्र श्रीमाली उपस्थित रहे। कथा का सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने आनंद उठाया।

Related posts:

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया द्वारा विशिष्ट स्वतंत्रता दिवस प्रोत्साहन अभियान की घोषणा

सुमित की आतिशी पारी से मेवाड़ टूरिज्म क्लब आठ विकेट से जीता

श्री नाकोड़ा ज्योतिष संस्थान में सुंदरकांड पाठ का आयोजन

जिला जिम्नास्टिक संघ की सब जूनियर प्रतियोगिता सम्पन्न

उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पीआईएमएस सम्मानित

पं. चतुरलाल की स्मृति में ‘स्मृतियां’ कल

केंद्र सरकार ने धुली व कटी हुई प्लास्टिक बोतलों के कचरे के आयात पर प्रतिबंध लगाया पंडित दीनदयाल उपाध...

Nexus Celebrations roll out Nexus GRAB,for customers to bag special deals and discounts across their...

आचार्य महाश्रमण से चार्तुमास की मांग लिए पावटी पहुंचा तेरापंथ समाज

पीआईएमएस उमरड़ा मे रैगिंग विरोधी सप्ताह

परीक्षाओं के दबाव में जीवन को खोना हमारी सामाजिक विफलता : राजनाथ सिंह

108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 03 नवंबर से

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *