“स्मृतियों की सुगंध से” पुस्तक का विमोचन

उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव और साहित्यकार लक्ष्मी नारायण नंदवाना की पुस्तक “स्मृतियों की सुगंध से” का गुरूवार को कस्तूरबा मातृ मंदिर परिसर में एक सादे समारोह में विमोचन हुआ। नंदवाना ने अपनी इस पुस्तक में देश-प्रदेश के प्रसिद्ध 33 साहित्यकार, पत्रकार और संस्कृतिकर्मी वयक्तित्वों से जुड़े संस्मरणों को प्रस्तुत किया है। इनमें पंडित हरिभाऊ उपाध्याय, निरंजन नाथ आचार्य, पंडित झाबरमल शर्मा, प्रभाष जोशी इत्यादि चिंतकों-पत्रकारों के अलावा प्रसिद्ध साहित्यकार पन्नालाल पटेल, डॉ नामवर सिंह, रमेश कुंतल मेघ, हरीश भादानी, मन्नू भंडारी, अज्ञेय तथा यादवेंद्र शर्मा चंद्र आदि सम्मिलित हैं।
विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध लोक कलाविद् डॉ महेन्द्र भानावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि संस्मरणों में लेखक अपने वैयक्तिक अनुभवों को अतीत के सजीव चित्रण के साथ इस प्रकार प्रस्तुत करता है कि पाठक स्वयं को उस संस्मरण से जोड़ लेता है। संस्मरण में संबंधित व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को सहजता और आत्मीयता के साथ रेखांकन किया जाता है कि यह इतिहास के निकट होकर भी इतिहास नहीं होता। विशिष्ट अतिथि कवि एवं लेखक डॉ जेपी भाटी नीरव ने कहा कि साहित्य अकादमी के सचिव पद पर कार्यकाल के दौरान नंदवाना का साहित्य, संस्कृति व लेखन के क्षेत्र के कई बड़े नामों से सम्पर्क रहा। उनमें से प्रमुख व्यक्तित्वों के साथ बिताये समय को उन्होने सहज और पठनीय भाषा में प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक के माध्यम से आने वाली पीढी को अतीत के इन बड़े व्यक्तित्वों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। लेखक व मोटिवेशनल स्पीकर रमेश चंद्र भट्ट ने कहा कि नंदवाना मिलनसार स्वभाव के होने से वे दूसरों को सहज ही आकर्षित कर अपना बना लेतें हैं। इतने बड़े लेखकों के साथ जुड़ी स्मृतियों को पुस्तक के रूप में प्रस्तुत कर उन्होने प्रेरणादायी कार्य किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहानीकार गौरीकांत शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार बहता हुआ पानी अच्छा लगता है उसी प्रकार लिखता हुआ लेखक अच्छा लगता है। नंदवाना का सतत लेखन इस बात का सबूत है कि वे निरंतर सृजनशील है और नई पीढी के लेखकों के लिए मार्गदर्शन का कार्य कर रहे हैं। पुस्तक के लेखक लक्ष्मीनारायण नंदवाना ने कहा कि हिंदी साहित्य में संस्मरण और रेखाचित्र सदैव हाशिए पर रखे गए हैं। हालांकि महादेवी वर्मा, जैनेंद्र, अज्ञेय, रामवृक्ष बेनीपुरी जैसे हिंदी साहित्य के दिग्गज लेखकों ने इस दिशा में काफी कार्य किया है लेकिन वर्तमान में संस्मरण विधा को फिर से आगे लाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। कार्यक्रम में डॉ जेपी भाटी नीरव, रमेशचंद्र भट्ट सहित लेखक व साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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