शुगरबॉक्स राजस्थान के गांवों को बना रहा डिजिटल

  • शुगरबॉक्स की डिजिटल अभियान के तहत अनुकरणीय पहल
    उदयपुर। उदयपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित गांव पलाना खुर्द भले ही पहले तकनीकी सेवाएं हासिल करने में बेहद पीछे था, लेकिन आज वह इस चुनौती को पार कर सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ चुका है। पलाना खुर्द गांव में रहने वाले लोगों तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था लेकिन शुगरबॉक्स के कॉमन सर्विस सेंटर की मदद से इस चुनौती को पार कर शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन के मौजूदा अवसरों को गांव के लोगों तक उन्हीं की भाषा में मुहैया करवाया है। जो डिजिटल इंडिया युग के समय की अहम मांग है।
    इस संभावना को हकीकत में बदलने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर, भारत सरकार की ई-गवर्नेंस को श्रेय जाता है। यह पहल एक सकारात्मक कदम है। शुगरबॉक्स के साथ इसकी साझेदारी इसे विश्वस्तर का पहला हाइपरलोकल क्लाउड प्लेटफार्म बनाती है। 4000 लोगों की आबादी वाले गांव पलाना खुर्द में डिजिटल युग की उक्त सेवा वर्ष 2022 में अक्टूबर माह से आरंभ हुई है। कुछ ही सप्ताह के भीतर गांव वाले इस तकनीकी युग के आदी हो गए हैं। अपने मनोरंजन के लिए वह फिल्म, वैबसीरीज देख रहे हैं और देश व दुनिया भर का ज्ञान अपने गांव में बैठे हासिल कर रहे हैं। इसके माध्यम से छात्र भी विभिन्न प्लैटफार्म जैसे मैगनेट ब्रेन, मिशन ज्ञान आदि का प्रयोग कर भावी संभावनाओं के लिए खुद को तैयार कर रहे है।
    गांव की सरपंच, तुलसी बाई भील ने कॉमन सर्विस सेंटर (सी.एस.एस.) पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भौगोलिक स्तर पर पिछड़े हुए गांवों तक तकनीक को पहुंचाना सराहनीय प्रयास है। इससे हमारे बच्चे बेहतर शिक्षा के विकल्प खोज कर सुनहरे भविष्य की तैयारी कर सकेंगे। इसके अलावा फिल्मों व वैब सीरीज की मदद से लोगों का मनोरंजन होने के साथ तथा उनके ज्ञान का विस्तार भी होगा।
    भौगोलिक स्तर पर अन्य क्षेत्रों से न जुड़े होने के चलते यहां पर ऑफलाइन सामग्री पहुंचाना भी उतना ही अहम है जितना ऑनलाईन। इन दोनों क्षेत्रों में सफलता हासिल करने के लिए शुगरबॉक्स गांव में ग्राम पंचायत के अंदर क्लाउड फ्रैगमेंट का उपयोग करके डिजिटल संभावनाओं की पहुंच बढ़ा रहा है। जो ग्रामीण भारत के डिजिटल युग में अपने आप का पहला कार्य है।
    शुगरबॉक्स के सीईओ और सह संस्थापक, रोहित परांजपे ने कहा कि शुगरबॉक्स डिजिटलकरण की शक्ति के लोकतंत्रीकरण के मकसद से आगे बढ़ रहा है। जहां हम हाइपरलोकल और प्रासंगिक अनुभवों को बिलकुल शून्य डिजिटल क्नैक्टिविटी क्षेत्र तक लाने का प्रयास कर रहे है। हमें गर्व है कि ऐसे क्षेत्रों में हमने छात्रों के लिए ऐड टैक मंच के जरिए बेहतर संभावनाएं खोल दी है। पलाना खुर्द की बात करें तो वहां मोबाइल डाटापैक के प्रयोग के बिना पोडकास्ट, खबरें, शैक्षणिक कान्टैंट मुहैया करवाया जा रहा है।
    भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के शहरी इलाकों में प्रत्येक 100 लोगों में से 109 इंटरनेट ग्राहक है। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में यह संख्या महज 36 है। इस डिजिटल विभाजन की वजह यां तो इन ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क क्नेक्टिविटी बेहतर खराब है या फिर उनके पास डिजिटल सेवाओं और सूचनाओं तक पहुंचने के साधन बेहद कम है। सीएससी इस डिजिटल विभाजन को कम करने में अहम भूमिका निभा रहा है। शुगरबॉक्स के जरिए केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र आदि में 300 से अधिक ग्राम पंचायतों तक पहुंच की जा रही है।

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