उदयपुर। तेरापंथ भवन अणुव्रत चौक में आचार्य महाश्रमण की विदुषी शिष्या डॉ. साध्वीश्री परमप्रभा के सान्निध्य में सोमवार को तेरापंथ धर्म संघ का 264वां स्थापना दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी परमप्रभा ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने आज के दिन 13 सहवर्ती साधुओं के साथ यह कहते हुए कि ‘हे प्रभु यह तेरापंथ’ सत्य, साधना की खोज में नई राह पर चल पड़े। इस तरह तेरापंथ धर्म संघ का उद्भव हुआ। आचार्य भिक्षु ने एक गुरु एक विधान का प्रावधान दिया। उस विधान का निर्वहन करते हुए आज 264 वर्ष होने पर भी तेरापंथ में एक गुरु और एक विधान के तहत एकाधिशम आचार्य महाश्रमण के नेतृत्व मे लगभग 850 साधु-साध्वियां एवं विशाल श्रावक समाज धर्म की प्रभावना में लगा हुआ है।
साध्वीश्री ने कहा कि आचार्य भिक्षु की बताई राह आज भी उतनी ही प्रासंगिक एवं सार्थक है। आज के आधुनिक युग मे जहाँ हर तरफ अफरा-तफरी मची हुई है, आचार्य भिक्षु के मर्यादित जीवन दर्शन में हमें जीवन प्रबन्धन एवं संयमित जीवन कैसे जिये इसकी शिक्षा मिलती है। सभा मंत्री विनोद कच्छारा ने बताया कि समारोह की शुरुआत महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण के साथ हुई। समारोह में साध्वी श्रेयस प्रभा, साध्वी प्रेक्षा प्रभा, तेयुप अध्यक्ष विक्रम पगारिया, महिला मण्डल अध्यक्ष सीमा बावेल, मेवाड़ आंचलिक प्रभारी धीरेन्द्र मेहता, सुमन डागलिया एवं सभा अध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। संचालन सभा मंत्री विनोद कच्छारा ने जबकि आभार भगवती सुराणा ने ज्ञापित किया।