उदयपुर। इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन ने 2030 तक भारत में जिंक की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि की भविष्यवाणी की है, जो रिन्यूएबल ऊर्जा और बैटरी तकनीक जैसे उभरते क्षेत्रों के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टील विस्तार, और ऑटोमोटिव जैसे मौजूदा उद्योगों में बढ़ती मांग द्वारा प्रेरित होगी। वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा अनुप्रयोगों में जिंक की मांग में 43 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है। जबकि पवन ऊर्जा क्षेत्र 2030 तक दोगुना हो जाएगा। ऊर्जा भंडारण समाधान में अगले पांच वर्षों में सात गुना वृद्धि की भविष्यवाणी की गई है। भारत जो विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जिंक की खपत में भी एक समान वृद्धि देखी जा रही है।
कार्यक्रम में अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन और हिंदुस्तान जिंक के सीईओ ने कहा कि हम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं जहाँ जिंक कार्बन उत्सर्जन को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करने और भविष्य की पीढिय़ों के लिए स्थिरता सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। जिंक हमारे चारों ओर भवनों से लेकर बैटरियों, सौर पैनलों, पवन टरबाइन और वाहनों सभी के लिए आवश्यक है। भारत में जिंक की मांग तेजी से बढऩे वाली है, शहरीकरण और सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता से प्रेरित है। जिंक कॉलेज 2024 एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो एक अधिक स्थायी और नवाचारशील जिंक पारिस्थितिकी तंत्र की नींव रखता है।इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक एंड्रयू ग्रीन ने कहा कि जिंक कॉलेज 2024 जिंक उद्योग के लिए मील का पत्थर है। यहाँ किये गये सहयोग और चर्चाएँ जिंक की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भूमिका को आकार देंगी, विशेष रूप से ऊर्जा संक्रमण और स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करने में। जिंक की महत्वपूर्ण भूमिका पवन, सौर, ऑटोमोटिव और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे उद्योगों को डीकार्बोनाइज करने में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
भारत जिंक कॉलेज 2024 की मेजबानी कर रहा है। इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन के निर्देशन मे आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को हिंदुस्तान जिंक द्वारा आयोजित किया जा रहा है। जो भारत का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एकीकृत जिंक उत्पादक है। जिंक सिटी, उदयपुर में आयोजित इस विशेष 5-दिवसीयकार्यक्रम में 20 से अधिक देशों से लगभग 100 प्रतिनिधि भाग ले रहे है, जिसमें वैश्विक नेता और नवप्रवर्तनकर्ता जिंक की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं जो एक सतत, निम्न-कार्बन भविष्य को बनाने और दुनिया भर में जिंक उद्योग के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने में सहायक है।
भारत की रिकॉर्ड-तोड़ स्टील उत्पादन और तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ, जिंक के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में जिंक का समावेश वार्षिक संक्षारण लागत को महत्वपूर्ण रूप से कम कर सकता है, जो भारत के जीडीपी का लगभग 5 प्रतिशत है। ऑटोमोटिव उद्योग, जो एक और प्रमुख क्षेत्र है, वैश्विक प्रवृत्तियों का अनुसरण कर रहा है, और 2030 तक जिंक-कोटिंग स्टील की मांग में वृद्धि की भविष्यवाणी की गई है, जो मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं द्वारा प्रेरित है।
जिंक कॉलेज में एक महत्वपूर्ण चर्चा का ध्यान कार्बन उत्सर्जन को कम करने और निम्न-कार्बन ग्रीन जिंक उत्पादों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, जिसमें आईजेडए के सदस्य हिंदुस्तान जिंक, बोलिडेन, टेक और नायरस्टार अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। कार्यक्रम जिंक-आधारित बैटरियों की ऊर्जा भंडारण समाधान में भूमिका को भी मजबूत करता है, जो लिथियम-आधारित बैटरियों के मुकाबले मजबूत विकल्प हैं। ऊर्जा भंडारण में जिंक की मांग अगले पांच वर्षों में सात गुना बढऩे की उम्मीद है।