नगर निगम द्वारा तुलसी निकेतन की सीज हुई दुकानें राज्य सरकार के आदेश से सीज मुक्त

उदयपुर। तुलसी निकेतन समिति (Tulsi Niktin Samati) की चार माह बारह दिन पूर्व की गई 17 दुकानें एवं ऊपरी मंजिल की सीजिंग को बुधवार को नगर निगम ने राज्य सरकार के आदेशानुसार खोल दिया है। समिति को लंबे संघर्ष के बाद मिली विजय से सदस्यों एवं व्यापारियों में हर्ष व्याप्त है।
बुधवार को तुलसी निकेतन सभागर में सीजिंग खुलने के बाद कार्यकारी अध्यक्ष अरूण कोठारी ने बताया कि स्थानीय निकाय विभाग में समिति की ओर से किये गए लंबे संघर्ष के बाद निदेशक स्थानीय निकाय एवं विशिष्ट सचिव दीपक नन्दी ने 11 जून को आदेश में कहा कि नगर निगम ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त की भावना के अनुरूप कार्यवाही नहीं कर सारे तथ्यों का परीक्षण नहीं किया। उक्त प्रकरण में श्री मेवाड़ जैन श्वेतांबर तेरापंथी कांफ्रेंस जरिये अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत के प्रार्थना पत्र को आधारहीन मानते हुए खारिज किया।
समिति के संस्थापक अध्यक्ष गणेश डागलिया ने कहा कि निगम के अधिकारियों ने प्रशासनिक शक्तियों का दुरूपयोग करते हुए परिसर को सीज किया जिससे समिति में अध्ययनरत व निवास कर रहे लगभग 600 छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक गतिविधियों व आवासीय सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
समिति के कार्यकारी सदस्य आलोक पगारिया ने बताया कि नगर विकास प्रन्यास द्वारा वर्ष 1972 में समाज को आवंटित भूमि पर नियमानुसार शैक्षणिक एवं व्यावसायिक निर्माण कराया गया जिसकी सूचना समय-समय पर संबंधित एजेंसी को दी गई। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक ने इस भवन के निर्माण में योगदान दिया है लेकिन नगर निगम ने लैंड यूज चैंज नहीं करने का एवं सेटबैक में निर्माण करने का आक्षेप लगाया और दुकानें एवं ऊपरी भवन को सीज कर दिया जबकि समिति ने 2007 में ही भूमि आवंटन के लिए आवेदन कर दिया। मास्टर प्लान में भी भूमि के अग्र भाग को वाणिज्यिक उपयोग के लिए दर्शाया है लेकिन निगम अधिकारियों ने समिति सदस्यों की बात को नहीं सुना और दुकानें और भवन को सीज कर दिया।
समिति के मंत्री अशोक दोशी ने बताया कि नगर विकास प्रन्यास द्वारा 15 जनवरी 1972 को शैक्षणिक प्रयोजनार्थ 5169 वर्गगज भूमि का आवंटन किया गया तथा 21 अप्रेल 1990 को उक्त आवंटित भूमि की लीज डीड का पंजीयन तुलसी निकेतन समिति के नाम कर दिया। समिति ने एकमुश्त नगरीय कर जमा कराकर 28 फरवरी 1994 को प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया। लीज डीड की शर्त संख्या 10 में विधिवत अनुमति प्राप्त कर भूमि के गैर आवासीय प्रयोजनार्थ संपरिवर्तन का अधिकार पट्टा ग्रहिता को दिया गया है। इस कारण वाणिज्यिक प्रयोजनार्थ रूपान्तरण करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। लीज डीड में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है कि आवंटित भूमि का उपयोग छात्रावास के अतिरिक्त किसी प्रयोजन में नहीं किया जा सकता। इस आधार पर कुछ दुकानों का निर्माण करवाया गया, जिससे प्राप्त आय का उपयोग विद्यालय एवं छात्रावास के संचालन में किया जाता है।

Related posts:

महावीर युवा मंच द्वारा ‘सावन सुहाना’ उत्सव आयोजित

Swarrnim Startup and Innovation University confers an Honourary degree of Doctorate in Literature up...

जयपुर में स्टार्टअप एक्सचेंज 4.0 का आयोजन नवंबर में

Hindustan Zinc ensures continuity of learning &mock exam preparation for board examinees under Shiks...

इस बार बांसवाड़ा में होगा साइकिल पर प्रकृति के बीच रोमांच का सफर

लोकसभा चुनाव के लिए प्रशासन हुआ मुस्तैद

एचडीएफसी बैंक ने इंटरनेशनल फ्रॉड अवेयरनेस वीक 2022 मनाया

लैंड रोवर ने भारत में यात्रा के अनूठे अनुभवों, डिफेंडर जर्नीज़ को पेश किया

फील्ड क्लब क्रिकेट कार्निवाल 2025 सीजन-4 के फाइनल मुकाबले होंगे रोमांचक

वेदांता के चैयरमेन अनिल अग्रवाल ने कोविड -19 से प्रभावित कमजोर समुदायों की आजीविका की रक्षा के लिए 1...

गणतंत्र दिवस पर ‘जय हो’ कार्यक्रम आयोजित

एचडीएफसी बैंक ग्लोबल प्राइवेट बैंकिंग अवाड्र्स 2023 में दो पुरस्कारों से सम्मानित