उदयपुर : ऐतिहासिक सिटी पैलेस में ‘प्राचीन और ऐतिहासिक धातुओं के संरक्षण, तकनीक व वैज्ञानिक अध्ययन’ पर दो दिवसीय 51वे राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ खुश महल में हुआ । सम्मेलन ‘इण्डियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ कंजर्वेशन ऑफ कल्चरल प्रॉपर्टी, नई दिल्ली और ‘महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर द्वारा संचालित सिटी पैलेस संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया ।
आर.सी. जैन ने उद्घाटन भाषण के साथ सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि खान भूविज्ञानी एवं हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के अन्वेषण निदेषक कुलदीपसिंह सोलंकी थे जिनका इस क्षेत्र में 32 वर्षों से अधिक का अनुभव है।
राष्ट्रीय सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य भारतीय समृद्ध धातु विरासत पर देश-विदेश के विद्वानों, शोधकर्ताओं एवं प्रतिनिधियों को एक स्थान पर एकत्र कर प्राचीन धातु विषयक, भिन्न-भिन्न महत्वपूर्ण ज्ञान-विज्ञान को एक दूसरे के साथ साझा करना और उनके संरक्षण की महत्वता को समझाना है जिसमें प्राचीन भारत के समृद्ध धातु खनन, धातु कला में आकर्षक मिश्रित धातुओं की कलाकृतियाँ, कढ़ाई, रंगीन धातुओं के आकर्षक चित्र, क्राफ्टिंग तकनीक, पुरातात्विक धातुकर्म, विभिन्न धातु निर्मित मूर्तिकला, भंडारण आदि जैसे अनेक विषयों पर शोध परक जानकारियों के प्रस्तुतिकरण के साथ ही इनके संरक्षण एवं उसमें आने वाली चुनौतियों व उपचार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा प्रमुख है। सम्मेलन में 100 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा लेने उदयपुर पहुँचे।
एथेंस के वेस्ट एटिका विश्वविद्यालय की प्रो. वासिलिक अर्जीरोपोलोस और कल्टलैब के निदेशक ने धातु संरक्षण पर सांस्कृतिक विरासत के अतीत, वर्तमान और भविष्य को लेकर अपने 30 वर्षों के अनुसंधान परक उद्बोधन प्रस्तुत किये जिसमें उन्होंने धातु खनन, धातु शिल्प, कलाकृतियों के संरक्षण में पारम्परिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करते हुए इसे और भी दिलचस्प बना दिया।
अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत फाउण्डेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मयंक गुप्ता ने किया। धन्यवाद की रस्म प्रो. अचल पंड्या ने निभाई ।