उदयपुर (Udaipur)। दुनिया में शक्ति के अनेक रूप हैं। प्रश्न किया गया कि सबसे बड़ी शक्ति क्या है? उत्तर मिला- क्षमा या मित्रता। ये विचार यहॉं महाप्रज्ञ विहार में तेरापंथ धर्मसंघ की सुविज्ञा साध्वी शासनश्री मधुबाला (sadhvi madhubala) ने क्षमापना दिवस पर व्यक्त किये।
भगवान महावीर का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि ‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’ और मित्ति में ‘सण्वभूएसा’। अर्थात् सबके साथ मेरी मैत्री है। वैर किसी के साथ नहीं है। यह मैत्री केवल मनुष्य के साथ ही नहीं, सभी सजीव प्राणियों के साथ मैत्री रखाना हमारे कर्तव्य के अंतर्गत आता है।
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, उदयपुर के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अर्जुन खोखावत (arjun khokhawat) ने बताया कि अपने व्याख्यान में साधवीश्री मधुबाला ने स्पष्ट किया कि क्षमा का परिणाम मैत्री है। एक व्यक्ति सहन करना नहीं जानता। भूलना भी नहीं जानता। उसमें नितिक्षा भी नहीं और परिस्थितियों को झेलने की क्षमता भी नहीं है ऐसी स्थिति में वह मैत्री का विकास कभी नहीं कर सकता। मैत्री तभी संभव है जब व्यक्ति भूलना जानता है और सहन करना भी जानता है। भगवान महावीर के जीवन में अनेक कष्ट आए। उन्होंने उनको सहन किया क्योंकि उनके भीतर मैत्री का विकास हो गया था।
उन्होंने कहा कि क्षमायाचना दिवस के दिन हम एक-दूसरे को क्षमा करें। यह क्षमा सिर्फ शाब्दिक नहीं अपितु भावनात्मक होनी चाहिये।