नवाचारों को बढ़ावा देने, पेटेन्ट्स, तकनीक व्यावसायीकरण में एमपीयूएटी प्रदेश में सिरमौर : डॉ. कर्नाटक

शोध व नवाचार को लेकर एमपीयूएटी व उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के बीच हुआ करार
उदयपुर।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि सौर ऊर्जा दोहन, पेटेन्ट्स, आईएसओ प्रमाणित लैब, आईएसओ प्रमाणित केवीके – कॉलेज, स्कूपस एच इंडेक्स, क्रॉप केफेटेरिया, सभी केवीके में मिलेट वाटिका विकसित करने जैसी दर्जनों गतिविधियां एमपीयूएटी को प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में शीर्ष पर रेखांकित करती है। डॉ. कर्नाटक ने बुधवार को हल्द्वानी उत्तराखंड में कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुये यह बात कही। कार्यक्रम में राजस्थान के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के बीच शोध व नवाचार को लेकर एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए जिसमें यह तय किया गया कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शोध व नए प्रयोगों का आदान-प्रदान होगा। इससे दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को लाभ मिल सकेगा। डॉ. कर्नाटक ने इस मौके पर विस्तारपूर्वक देश के कृषि परिदृश्य पर बात रखी और कहा कि बीजों से पैदावार बढ़ाने को लेकर देशभर में बहुत काम हो रहा है, लेकिन कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल को हमें रोकना होगा। यही नहीं हमें हरित क्रान्ति के दुष्प्रभावों को देखना होगा और उसी के अनुरूप रणनीतियां बनानी होंगी। डॉ. कर्नाटक ने कहा कि एमपीयूएटी ने 14 से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ करार किया हुआ है जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि एमपीयूएटी ने वर्ष 2024 में 54 पेटेन्ट हासिल किए जबकि वर्ष 2025 में 25 पेटेन्ट संभावित है। एमपीयूएटी ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। एमपीयूएटी में सौर ऊर्जा से हर साल एक करोड़ रूपये से ज्यादा के बिजली बिल का खर्च बचाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के 5 महाविद्यालयों और एक विभाग को मिलाकर 1100 किलोवॉट (1.1 मेगावॉट) का ऑन ग्रिड प्लान्ट लगा हुआ है। यह प्रदेश के सभी विश्वविद्यालया में लगा सबसे बड़ा प्लान्ट है। राजस्थान कृषि महाविद्यालय में 500 किलोवॉट जबकि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में 465 किलोवॉट का प्लान्ट लगा है। डॉ. कर्नाटक ने कहा कि मोटा अनाज व आईएसओ के क्षेत्र में बेतहरीन कार्य के लिये उनके विश्वविद्यालय को राज्यपाल अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि देश की 65 फीसदी जनसंख्या आज भी सीधे तौर पर खेती से जुड़ी है ऐसे में कृषि के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि यहां पर आईसीटी व शिक्षार्थियों के लिए पाठ्य सामग्री बहुत अच्छी गुणवŸाा की तैयार की जा रही है जिसका लाभ निश्चय ही उनके विश्वविद्यालय के विद्यार्थी ले पायेंगे। कार्यक्रम में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ.पी.एस. नेगी ने विश्वविद्यालय के कार्यों को निरूपित करते हुये एक पी.पी.टी. प्रजेन्टेशन प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने कहा कि इस तरह के करार से शिक्षार्थियों को एक बड़ा फलक मिल पायेगा जिससे उनके लिये रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे । उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में विज्ञान शाखा के निदेशक प्रो. पी.डी. पंत ने व विश्वविद्यालय कुलसचिव खीमराज भट्ट ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रो. मंजरी अग्रवाल, प्रो. डिगर सिंह फरस्वाण, डॉ. कल्पना लखेड़ा पाटनी, डॉ. रन्जू जोशी, प्रो. राकेश चन्द्र रयाल आदि ने भी विचार रखे।

Related posts:

नारायण  सेवा संस्थान बड़ी में सीनियर स्टेट आर्टिस्टिक जिमनास्टिक चैम्पियनशिप का समापन

आमेट मित्र मंडल, उदयपुर का गठन

World Nature Conservation Day: Hindustan Zinc Doubles Up Ecological Reclamation with TERI to 13 hect...

डॉ दिनेश खराडी ने सम्भाला सीएमएचओ सिरोही का पदभार

राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया

महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट बैठक

Vedanta Udaipur World Music Festival makes a comeback for its 2022 edition

पीआईएमएस में आयोजित रक्तदान शिविर में 13 यूनिट रक्त संग्रहीत

वेदांता के सामाजिक परिवर्तन को प्रदर्शित करेगा ‘फॉर बेटर कल‘ वीडियो अभियान

पन्द्रह दिवसीय ग्रीष्म कालीन घूमर कार्यशाला हेतु आवेदन आमंत्रित

कोरोना से संक्रमित 9, मृत्यु एक

धन और वर्चस्व से बड़ी है मानवता : प्रशान्त अग्रवाल