47 दिव्यांग एवं निर्धन जोड़े बने हमसफर

-नारायण सेवा संस्थान का 34वां निःशुल्क सामूहिक विवाह समारोह सम्पन्न
उदयपुर। जिन दिव्यांग एवं निर्धन परिवारों के युवक-युवतियों ने कभी अपने दाम्पत्य जीवन के बारे में कल्पना  भी न की होगी, रविवार को उनका विवाह धूम-धड़ाके और शाही तरीके से सम्पन्न हुआ। उनके इस सपने को साकार किया नारायण सेवा संस्थान ने।
 संस्थान के लियो का गुड़ा स्थित सेवामहातीर्थ परिसर में प्रातः शुभ मुहूर्त में 10ः15 बजे तोरण की परम्परागत रस्म का निर्वाह हुआ। इससे पूर्व संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश ’मानव’ सह सस्थापिका कमलादेवी, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, वंदना अग्रवाल  ने दीप प्रज्वलन कर विवाह महोत्सव का शुभारम्भ किया। विशिष्ट अतिथि मोनिका देवी स्पेन, कुंवर भाई मुम्बासा, आनंद कुमार उडीसा, कुसुम गुप्ता दिल्ली, कमला देवी लंदन थे। इस अवसर पर संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव ने नवयुगलों व अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि जिन दिव्यांगों और गरीबों ने जीवन को दुर्भाग्य ही मान लिया था उनकी उमंगों को संस्थान पंख देकर उनकी गृहस्थी बसाने व सुखद जीवन की आधारशिला रखने का यह काम पिछले 16 वर्षों से कर रहा है। अब तक करीब 2000 दिव्यांग एव निर्धन जोड़ों की गृहस्थी बसाई जा चुकी है। आज वे सभी सुखी हंै और उनके आगन में किलकारियां गूंज रही हंै। संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने डाॅक्युमेन्ट्री फिल्म के माध्यम से संस्थान की 34 वर्षीय निःशुल्क सेवायात्रा से लोगों को रूबरू करवाया। उन्होेंने बताया कि संस्थान हर वर्ष दो बार सामूहिक विवाह आयोजित करता है। इस बार 47 जोड़ों में 5 ऐसेे है जो दिव्यांग हैं जबकि 7 जोड़े ऐसे है जिनमें 1 दिव्यांग हैं तो दूसरा सकलांग।
सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में वर-वधूओं ने जब गोल चक्कर लगाने वाले हाइड्रोलिक स्टेज पर  एक दूसरें के गले में वरमाला डाली तो पांडाल तालियों से गूंज उठा। लोग उन पर गुलाब की पंखुरियों की वर्षा कर रहे थे। विवाह के सात फेरों के लिए विवाहस्थल पर 47 वेदियां बनाई गई। प्रत्येक पर पूजन व हवन सामग्री के साथ पाणिग्रहण संस्कार, सम्पन्न कराने वाले आचार्य मौजूद थे। फेरों के  अलावा एक फेरा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ के वचन के साथ भी लिया गया। नवयुगलों को संस्थान एवं देश के विभिन्न राज्यों से आए अतिथियों ने लगभग वह सारा सामान दिया जो एक नई गृहस्थी बसाने के लिए जरूरी होता है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक मानधाता सिंह ने राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक जोडे को मिलने वाली आर्थिक सहायता के चेक प्रदान किए । समारोह में करीब 50 दिव्यांगों को निःशुल्क कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण भी वितरित किए गए। विवाह सम्पन्न होने के बाद नवयुगलों को सभी अतिथियों ने सफल गृहस्थी के लिए आशीर्वाद देते हुए नम आखों से विदाई दी। उन माता-पिताओं ने संस्थान का आभार व्यक्त किया जिनके बच्चों के विवाह में गरीबी आड़े आ रही थी। इन सभी जोड़ों को संस्थान के वाहनों से उनके घरों तक पहुंचाया गया। समारोह का संचालन महिम जैन ने किया।

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