यूएन-हेबिटेट्स के वर्ल्ड अरबन फोरम-2020 पुणे, उदयपुर के साथ बर्नांड वेन लीर फाउण्डेशन ने बच्चों के षीघ्र विकास और शहरों के बीच तालमेल की आवष्यकता प्रतिपादित की

उदयपुर। बर्नार्ड वैन लीयर फाउण्डेशन (बीवीएलएफ) के साथ भारत के पुणे और उदयपुर शहरों ने अबू धाबी में यूएन-हेबिटेट्स के वर्ल्ड अरबन फोरम के 10वें सत्र में शिरकत की, ताकि यह जाना जा सके कि शहरों को छोटे बच्चों और उनके देखभालकर्ताओं की योजना एवं प्रन्धन पर पर ध्यान देने की आवश्यकता है। फोरम में, फाउण्डेशन के साथ-साथ इसके भागीदार शहरों पुणे और उदयपुर ने अपने अनुभव को स्पष्ट रूप से बताया कि कैसे सार्वजनिक स्थानों, मोबिलिटी और सेवाओं को डिजाइन करते समय शिशुओं, बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों को उनकी आवश्यकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने से लाभ होता है।
पूरे देष में आबाद षहरों में करोड़ों बच्चे षहरों में रहते हैं, और तेजी से हो रहे षहरीकरण का मतलब आबादी बढ़ रही है। षिषुओं और बच्चों की देखभाल करने वालों को षहरों में इस अनूठेपन का अहसास होता है। उन्हंे एक ऐसे सुरक्षित, स्वस्थ वातावरण की आवष्यकता होती है जहां महत्वपूर्ण सेवाओं तक आसानी से पहुंच हो, उन्हें सुरक्षित, स्वस्थ वातावरण की आवश्यकता होती है, जहां महत्वपूर्ण सेवाएं आसानी से सुलभ हों, प्यार करने वाले वयस्कों के साथ अक्सर, गर्म, संवेदनशील बातचीत संभव हो, और सुरक्षित हो, एक भौतिक वातावरण में खेलने और तलाशने के लिए एक उत्तेजक वातावरण मिल सके।
लेकिन हालात इसके विपरीत हैं, परिवार केन्द्रित षहरी नियोजन एवं डिजाइन के कारण षहरों में अधिक खेल मैदानों के लिए नहीं होता। लेकिन कमजोर सार्वजनिक परिवहन के साथ ही खाना, हैल्थकेयर और चाइल्ड केयर जैसी बातों के लिए परिवारों के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती है। इस तरह की चुनौतियों का सामना करने में विचारशील शहरी नियोजन और डिजाइन एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं और बच्चों को एक अच्छे जीवन की षुरूआत मिल सकती है जिनमें टहलने योग्य, पड़ोसियों का मिश्रित उपयोग, जीवन्तता, हरा भरा सार्वजनिक स्थान, सुरक्षित यातायात मार्ग एवं पारगमन प्रणाली, स्वस्थ्य वातावरण जिसमंे वायु की गुणवत्ता का स्तर सुरक्षित हो और कम घ्वनि प्रदूषण तथा जीवन्त सामुदायिक जीवन जो कि परिवार के कल्याण के लिए आवष्यक हो।
भुवनेष्वर, पुणे और उदयपुर भारत के तीन ऐसे षहर है जो इस तर्ज पर काम करने में जुटे हैं कि षिषु एवं परिवार के लिए मित्रवत पड़ोसी तैयार हो सकें। फोरम में पुणे और उदयपुर की भागीदारी ने देश में तेजी से शहरीकरण को देखते हुए भारतीय शहरों में लोगों के लिए केंद्रित और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

लगभग 128.5 मिलियन बच्चे (27.2 प्रतिशत) भारतीय शहरों में रहते हैं, जिनमें से 36.6 मिलियन शून्य-पंचवर्षीय समूह में हैं।
यूएन-हेबिटेट्स द्वारा संगठित और बुलाई गई, वर्ल्ड अरबन फोरम अपने सभी परिवर्तनों में स्थायी शहरीकरण पर विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए सबसे महत्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय सभा बन गई है। फोरम की समावेशी प्रकृति, उच्च-स्तरीय भागीदारी के साथ, यह एक अद्वितीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन और शहरी मुद्दों पर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सभा का आकार ले चुकी है।
इस अवसर पर बर्नांड वैन लीर फाउण्डेषन की कार्यकारी निदेषक सिसिलिआ वेका जोन्स ने कहा ‘‘बच्चों और परिवारों की उपस्थिति अक्सर शहर की जीवंतता और गतिशीलता का एक पैमाना है। दुनिया भर में शहरी परिवार, विशेष रूप से निर्धनता या अनौपचारिक बस्तियों में रहने वाले, अधिक से अधिक लोग इन परिवर्तनकारी तरीकों से लाभ जैसे अधिक सुलभ सेवाओं, परिवहन, और सुरक्षित, स्वच्छ, और छोटे बच्चों के खेलने के लिए और परिवारों को इकट्ठा करने के लिए हरे भरे मैदानों का लाभ उठा सकते हैं। इसलिए, इस वर्ष के अबू धाबी में वर्ल्ड अरबन फोरम के रूप में युवा बच्चों और उनके परिवारों की जरूरतों को उजागर करना महत्वपूर्ण है।‘‘
बर्नांड वैन लीर फाउण्डेषन की भारत में प्रतिनिधि सुश्री रषदा मजीद ने कहा ‘‘तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण, भीड़भाड़, और हवा की गुणवत्ता का बिगड़ना नवजात शिशुओं, बच्चों और छोटे बच्चों को असंगत रूप से प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि सभी षिषुओं और बच्चों को एक अच्छे वातावरण और विचारषील षहरी नियोजन एवं डिजाइन की आवष्यकता है और यह उनके जीवन में अच्छी षुरूआत देने के लिए महत्वपूर्ण भी हैं। द वर्ल्ड अरबन फोरम को यह एक अच्छा अवसर मिला है जहां पर इन विषयों को लेकर समान विचारधारा वाले व्यक्ति इस पर गहन चर्चा करें और बच्चों के लिए देखभाल करने वाले फ्रेण्डली षहरों के निर्माण के लिए एक उचित एवं स्थाई समाधान मिल सके।

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