रहेंगे 40 प्रकार के विकारों से दूर – डॉ. औदीच्य
जीरा, सुहा, धनिया, सौंफ और अजवाइन से मिलकर बनती है पंजीरी
उदयपुर। जन्माष्टमी का पर्व न सिर्फ हमारी धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इस पर्व पर बनाई जाने वाली पंजीरी हमें लंबे समय तक स्वस्थ रखने का भी एक सुलभ माध्यम है। पंजीरी के सेवन से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि कई न्यूट्रिशन भी शरीर को मिलते हैं। यह बात वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी डॉ. शोभालाल औदीच्य ने कही।
उन्होंने बताया कि पंजीरी में कम से कम यह पांच तत्व होने चाहिए: जीरा, सुहा, धनिया, सौंफ और अजवाइन। उन्होंने बताया कि आज के जमाने में लोग सिर्फ धनिया से पंजीरी बनाने लग गए हैं जो सही नहीं है। पंजीरी में कम से कम इन पांच तत्वों जीरा, सुहा, धनिया, सौंफ और अजवाइन का होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी से ही पित्त काल की शुरुआत हो जाती है जो कि लगभग एक माह तक रहता है। आज से पूरे एक माह तक प्रतिदिन अगर पंजीरी का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो यह न सिर्फ शरीर को स्वस्थ और किसी भी बीमारी से दूर रखेगा बल्कि हमें कई उपयोगी न्यूट्रिशन भी प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि हर उम्र का व्यक्ति पंजीरी का सेवन कर सकता है और यह सभी के लिए समान रूप से उपयोगी है।
यह अम्लता, त्वचा रोग, छाले, गैस्ट्रिक, उल्टी, सिर दर्द, माइग्रेन को ठीक करने में सहायक हैं। साथ ही आंख, मूत्राशय सहित शरीर के विभिन्न भागों में जलन को दूर करता हैं। इस प्रकार पंजीरी शरीर की 40 छोटी बड़ी बीमारियों को दूर करने में सहायक है। प्रतिदिन सुबह और शाम पंजीरी के एक-एक चम्मच का सेवन करना लाभदायक है। डॉ औदीच्य ने आमजन से पंजीरी का प्रतिदिन एक माह तक उपयोग कर इसका लाभ लेने और अन्य लोगों को भी इसके बारे में जागरूक करने की अपील की है।
पंजीरी बनाने की विधि :
डॉ औदीच्य ने बताया कि पंजीरी बनाने के लिए बड़ी कड़ाही में एक चम्मच घी डालकर अच्छे से गर्म होने दें। इसमें पांचों तत्व जीरा, सुहा, धनिया, सौंफ और अजवाइन डालकर धीमी आंच पर 10 मिनट तक भूनें। अच्छी खुशबू आने लगे, तो इसका मतलब वो भून गई है। चाहें तो इसमें इसमें मखाना, भूने हुए बादाम, काजू मिलाएं। इसके बाद किशमिश, इलायची पाउडर और चीनी का बूरा डाल सकते हैं। सारी चीज़ों को अच्छे से मिक्स कर लें। तैयार है भोग के लिए पंजीरी जिसे आप एक माह तक खा सकते हैं।