बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए स्वर्ण प्राशन है वरदान : डॉ. औदिच्य

स्वर्ण प्राशन होगा रविवार को
उदयपुर :
आज के आधुनिक युग में बच्चों का स्वास्थ्य और विकास सबसे महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना, उनकी मानसिक और शारीरिक विकास को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। इस दिशा में राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय, सिन्धी बाजार ने एक अनूठी पहल की है – “स्वर्ण प्राशन”। यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक विधि है, जो बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

स्वर्ण प्राशन का लाभ लेने के लिए 6 महीने से 16 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क सेवा प्रदान की जा रही है। यह विधि बच्चों की प्रतिरक्षा को बढ़ाने, उनकी बुद्धि और ताकत को विकसित करने तथा उन्हें बीमारियों से बचाने में मदद करती है। यह उपचार आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें स्वर्ण (स्वर्ण भस्म) का उपयोग एक विशेष तरीके से किया जाता है।

वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी और प्रभारी, वैद्य शोभालाल औदिच्य, इस कार्यक्रम के मुख्य सूत्रधार हैं। उन्होंने बताया कि स्वर्ण प्राशन का निरंतर सेवन करने वाले बच्चों में एकाग्रता में वृद्धि होती है और वे बार-बार बीमार होने से बचे रहते हैं। उनके अनुसार, यह प्रक्रिया न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत करती है, बल्कि मानसिक विकास में भी सहायक होती है।

स्वर्ण प्राशन की विधि :

स्वर्ण प्राशन की विधि में शुद्ध सोने की छोटी मात्रा को एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से तैयार किया जाता है, जो बच्चों को पिलाई जाती है। यह प्रक्रिया आचार्य द्वारा निर्धारित विधियों के अनुसार की जाती है। इसके सेवन से बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है और उनका संपूर्ण विकास होता है।

इस औषधालय में स्वर्ण प्राशन का कार्यक्रम हर रविवार और पुष्य नक्षत्र के दिन औषधालय समय में आयोजित किया जाता है। इससे बच्चों को नियमित रूप से इस लाभकारी उपचार का लाभ उठाने का अवसर मिलता है। यह केवल उदयपुर में ही नहीं, बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों और अन्य राज्यों एवं देश विदेश से भी बच्चे यहाँ आकर इसका लाभ ले रहे हैं।
स्वर्ण प्राशन के अनेक लाभ हैं। शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि स्वर्ण प्राशन के सेवन से बच्चों की इम्युनिटी में सुधार होता है, जिससे वे आम बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। इसके साथ ही, यह उनकी मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में वृद्धि करता है। बच्चों की शारीरिक शक्ति में भी उल्लेखनीय वृद्धि होती है।

इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए, औषधालय ने भविष्य में इसे और भी विस्तारित करने की योजना बनाई है। डॉ. औदिच्य ने बताया कि वे इस उपचार को अन्य जिलों और राज्यों में भी पहुँचाने की योजना बना रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक बच्चे इसका लाभ उठा सकें। स्वर्ण प्राशन केवल एक चिकित्सा विधि नहीं है, बल्कि यह बच्चों के सर्वांगीण विकास का एक साधन है। यह ना केवल उन्हें शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें सक्षम बनाता है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से हम भारत की भावी पीढ़ी को स्वस्थ और समर्थ बना सकते हैं।

Related posts:

श्रीमाली ओलंपिक - महाराष्ट्र की टीम मराठास ने जीता श्रीमाली वर्ल्डकप, जालौर की टीम अवधूत रही उपविजेत...

Hindustan Zinc Creates History, Women take on Night Shifts in Mining Operations

देबारी मंडल द्वारा शहर जिला अध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़ का भव्य स्वागत

कलाकारों को संबल देने के लिए कश्ती फाउंडेशन बना रहा ‘तैराकी’ फीचर फिल्म

यात्रा करते समय बरते सावधानी नहीं तो हो सकते है कोरोना के षिकार

हिन्दुस्तान जिंक की सीएसआर पहल के तहत् ‘सखी' हाट का शुभारंभ

आमदरी व रैन बसेरे में बांटे ऊनी वस्त्र

सीसीटीवी की जद में बेदला का बालिका स्कूल

दो करोड़वां ट्रक/बस रेडियल टायर तैयार किया

प्रोफेसर सांरगदेवोत का सम्प्रति संस्थान ने किया अभिनंदन

फ्लिपकार्ट ने अपनी सप्लाई चेन क्षमता को बढ़ाया

देश के विकास में खनिज सम्पदाओं का अहम योगदान: अरूण मिश्रा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *