उदयपुर। यूनाइटेड किंगडम स्थित चैरिटी शेल फाउंडेशन और यू के सरकार ने मूंविंग वुमन सोशल इनिशिएटिव फाउंडेशन (मोवो) के सहयोग से ‘मूविंग बाउंड्रीज’ नामक एक मुहिम शुरू की है। इसका मकसद महिलाओं को ड्राइविंग सीखने, ड्राइविंग करने के लिए प्रेरित करना है ताकि वे पारिस्थिकीतंत्र की अड़चनों को दूर करते हुए ट्रांसपोर्टेशन उद्योग में बतौर टैक्सी और ई-रिक्शा ड्राइवर या ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिलिवरी एजेंट्स के रूप में अपने लिए रोजगार की बेहतर संभावनाएं तलाश सकें।
इस मुहिम के तहत मोवो की संस्थापक जय भारती अपनी मोटरसाइकल पर भारत का भ्रमण कर रही हैं। 11 अक्टूबर से शुरू की गई इस यात्रा में वे 40 दिनों में देश के 20 शहरों में जाकर महिलाओं को ड्राइविंग सीखकर अपने लिए रोजग़ार के मौके बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। अपने इसी दौरे के तहत आज सुश्री भारती उदयपुर पहुंची। हैदराबाद से अपने टूर की शुरुआत करने वाली भारती बंगलुरू, चैन्नई, कोची, गोवा, पुणे, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद का सफर तय कर चुकी हैं। इसके बाद वे जयपुर, अमृतसर, श्रीनगर, चंडीगढ़, नई दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, पटना, गुवाहाटी, कोलकाता, रांची, भुवनेश्वर जैसे कई अन्य शहरों में जाएंगी। इस मुहिम का मकसद है कि महिलाएं इस बात के प्रति जागरुक हों कि ड्राइविंग और अकेले सुरक्षित यात्रा करना कितना जरूरी है क्योंकि इससे वे अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी अनेक संभावनाओं का विस्तार भी कर सकती हैं। मुहिम का ज़ोर न सिर्फ इस बात पर है कि महिलाएं ड्राइविंग सीखें बल्कि इलेक्ट्रिक वाहन भी खरीदें, जिससे वे कमाई कर सकें और साथ ही ट्रांसपोर्ट क्षेत्र से कार्बन एमिशन (उत्सर्जन) भी कम किया जा सके। ‘इवेन कार्गो’, जो कि एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो महिला ड्राइवर्स को प्रशिक्षण, रोजग़ार देने और इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने में मदद करती, भी इस मुहिम में सहयोग कर रही है।
बुधवार को आयोजित प्रेसवार्ता में ‘मूविंग बाउंड्रीज़’ पर बातचीत करते हुए जय भारती ने कहा कि दुनियाभर में महिलाओं को अपने आवागमन को लेकर कई अड़चनों का सामना करना पड़ता है। वे अच्छी पढ़ाई या ऐसे कामों के लिए घर से ज्यादा दूर नहीं जा पातीं। ऐसे में उनके पास रोजग़ार के काफी सीमित मौके ही रह जाते हैं। अपनी 40 दिनों की यात्रा के दौरान मुझे देशभर में सभी वर्गों की महिलाओं से मिलने और ऐसी वर्कशॉप करने का मौका मिलेगा जहां मैं उन्हें यह बता सकती हूं कि ड्राइविंग एक ऐसा काम है जो न सिर्फ उनके लिए संभव है बल्कि वे इसे रोजग़ार के रूप में चुन सकती हैं। एक सुरक्षित माहौल निर्माण करना बेहद ज़रूरी है जहां महिलाओं को न सिर्फ यात्रा करने के लिए भरोसेमंद ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिले बल्कि वे अपने वाहन खरीदकर आजीविका भी कमा सकें। यह एक शानदार तरीका भी है उस सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी और रोजग़ार की संभावनाओं को बढ़ावा देने का जो पारंपरिक रूप से पुरुषों पर केंद्रित रहा है।
शेल फाउंडेशन की श्रीमती शिप्रा नायर ने कहा कि मूविंग बाउंड्रीज़ की शुरुआत महिलाओं के लिए सुरक्षित, किफायती, और स्वच्छ ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा देने के मकसद से की गई है ताकि वे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और नौकरियां प्राप्त कर सकें। हमारा लक्ष्य है एक ऐसा माहौल तैयार करना जहां महिलाएं ड्राइविंग सीखकर, अपने वाहन खरीदें और वर्कफोर्स का हिस्सा बनें और ट्रांसपोर्ट से जुड़े सेक्टर्स जैसे कि ई-रिक्शा चला सकें और डिलिवरी एजेंट्स की तरह काम कर सकें। हम महिलाओं की मोबिलिटी बढ़ाकर उन्हें समान अवसर पाने में मदद कर सकें। अगले 5 सालों में निम्न आय वर्ग से आने वाली महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजग़ार के मौके उपलब्ध करानेवाली ऐसी कई अन्य संस्थाओं को सहयोग देकर, हम बड़ी संख्या में ऐसी महिला ड्राइवर्स को तैयार कर सकते हैं जो इलेक्ट्रिक वाहन की मालिक होंगी और भारत के 100 से भी ज्यादा शहरों और गांवों में दूसरी महिलाओं के लिए सुरक्षित ट्रांसपोर्टेशन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने का काम करेंगी।
महिलाओं के लिए रोजग़ार और आंत्रप्रेन्योरशिप के मौकों को बढ़ावा देना, शेल फाउंडेशन का एक अहम लक्ष्य है। यू के की सरकार के साथ मिलकर शेल फाउंडेशन ने साल 2017 में पावर्ड (प्रमोशन ऑफ वुमेन इन इनर्जी रिलेटेड एंटरप्राइज़ेस फॉर डेवलपमेंट) नाम के महिलाओं पर केंद्रित प्रोग्राम की शुरुआत की ताकि भारत में स्वच्छ ऊर्जा और वैल्यू चेन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सके। पावर्ड प्रोग्राम, उन संस्थाओं का सहयोग करता है जो ट्रांसपोर्टेशन और लजिस्टिक्स क्षेत्र में महिलाओं को नौकरी देकर उन्हें शामिल करते हैं और कमाई करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने में उनकी सहायता करते हैं।