उदयपुर। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के लेखांकन एवं व्यावसायिक सांख्यिकी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीरसिंह भाणावत की अध्यक्षता में ‘डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें विभाग की फैकल्टी तथा शोधार्थियों ने भाग लिया। आरंभ में प्रो. भाणावत ने बताया कि रुपए का मूल्य घटने के कारणों में यूक्रेन-रशिया युद्ध, यूएस फेडरेशन रिजर्व द्वारा ब्याज दर मे वृद्धि एवं सरकार का आर्थिक कुप्रबंधन है। इस संकट से उबरने के लिए हमें उन उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए जहां उत्पादन में आयातित कच्चा माल या कलपुर्जे की भूमिका नगण्य हो। जैसे सॉफ्टवेयर, टेक्सटाइल, कृषि आदि।
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शिल्पा लोढ़ा कहा कि रुपए की कीमत घटने का घरेलू कारण महंगाई एवं बरोजगारी है। डॉ. आशा शर्मा ने कहा कि चार मई को आरबीआई द्वारा ब्याज दर बढ़ाने का कदम नाकाम साबित हुआ क्योंकि इसके बाद नौ मई को रुपये ने अपने निम्नतम स्तर 77.41 डॉलर को छू लिया। कार्यक्रम में रिसर्च स्कॉलर मनीषा सोनी, गौरव सुराणा, प्रभुति, रामप्रसाद सुथार, दीपक, चारु, नेहा, आशुतोष, अशोक शर्मा, अमरीन खान, बाबूलाल ने भी विचार व्यक्त किए। चर्चा से यह निकलकर आया की सरकार को रुपए की गिरावट को रोकने के लिए निम्न कदम उठाने चाहिए –
(1) मोटी कमाई वालों पर आयकर बढ़ाना चाहिए (2) कर की एक्जेंपशन सीमा बढ़ानी चाहिए जिससे करदाताओं के पास अतरिक्त पैसा आएगा परिणामस्वरूप मांग बढ़ेगी (3) जीएसटी की दर कम करनी होगी ताकि महंगाई पर नियंत्रण हो (4) आरबीआई को डॉलर की आपूर्ति बढ़ाने के उपायों के बारे में सोचना चाहिए। 2022 वर्ष में जहां आयात 611.89 अरब डॉलर का था वही निर्यात 419.65 अरब डॉलर का था। यह कम करके ही रुपए को स्ट्रॉन्ग किया जा सकता है।