जेके पेपर कंपनी दोहराएगी पर्यावरण संरक्षण का संकल्प

देश के 250 प्रतिनिधियों की साक्षी में कंपनी ने लिया 13 करोड़ वृक्षारोपण का संकल्प
– कंपनी प्रेसिडेंट का आव्हान, पर्यावरण हो हमारी प्राथमिकता

अल्माटी, कजाकिस्तान से डॉ. तुक्तक भानावत (Dr. Tuktak Bhanawat) कजाकिस्तान (Kazakhstan) के अल्माटी (Almaty) में जे.के पेपर कंपनी लिमिटेड (jkpaper) की ओर से आयोजित ट्रेड पार्टनर्स मीट में कंपनी ने एक बार फिर पर्यावरण संकल्प को दोहराते हुए 13 करोड़ नए वृक्ष लागने का संकल्प किया है।
कंपनी के वाइस चेयरमैन और एम.डी हर्षपति सिंघानिया (Harsh Pati Singhaniya) ने कहा कि वैश्विक मंदी, युक्रेन युद्ध, कोविड सहित अन्य चुनोतियों के बीच कंपनी ने काफी संघर्ष किया है। बावजूद इसके 2021 में हमारी कुल खपत 415 मिलिटन टन पहुंची, जो 2019-20 की तुलना में 18 फीसदी अधिक रही। वर्तमान में हम ग्लोबल लेवल पर 9 फीसदी की बढ़त के साथ हैं। इसमें भारत हमारा सबसे बेस्ट परफॉर्मर रहा है। डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के इस दौर में सभी सेगमेंट में गिरावट का दौर तो चल रहा है मगर तकनीक के नए दौर में नई संभावनाओं का भी उदय हुआ है। सेगमेंट व ट्रेेंड्स के अनुसार हम अपने फुटप्रिंट्र्स को ग्लोबल लेवल तक लगातार बढ़ा रहे हैं। तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच उन्होंने ग्रोथ के आंकड़े पेश कर आने वाले दौर की चुनौतियों को रखा। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक रिप्लेसमेंट क्लाइमेट चेंज, डी कार्बनाइजेशन, पल्प की ऊची दरों, नेट जीरो सहित वैश्विक सस्टेनेबल गोल आदि को ध्यान में रखते हुए बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन पर ध्यान देना है।


कंपनी के प्रेसिडेंट और डायरेक्टर ए. एस. मेहता (A S Mehta) ने बताया कि वर्तमान में 55,000 एकड़ पर पौधरोपण जारी है, जबकि अगला लक्ष्य 70,000 एकड़ पर पौधरोपण होगा। इस तरह वर्ष में कुल 13 करोड़ वृक्षारोपण किया जाएगा। कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए देश के चुनिंदा 250 प्रतिनिधियों ने कंपनी के इस संकल्प को धरातल पर लाने में सहमति प्रदान की है।


‘विनिंग इन अनसरटेन टाईम’ थीम पर आयोजित कॉन्फ्रेस में जेके पेपर के मार्केटिंग हेड देवाशीश गांगुली (Debasish Ganguly) ने कहा कि वर्तमान में रशिया से वेस्ट तथा चाइना से ईस्ट तक हमारी ग्राहक श्रृंखला मौजूद है। अब साउथ इस्ट में भी कंपनी ने बढ़त ली है। 2019 में गोवा में हुए कॉन्फ्रेंस के बाद काफी बदलाव महसूस किया गया है। उम्मीद है कि अल्माटी में हुई इस कॉन्फ्रेस जो संकल्प और प्रकल्प लिए गए हैं उस पर हम होलसेलर्स और डीलर्स के सहयोग से खरा उतरेंगे।


कंपनी के प्रेसिडेंट और डायरेक्टर ए.एस मेहता (A S Mehta) ने ब्रह्मा, विष्णु-महेश की त्रिवेणी को नए संदर्भों में परिभाषित करते हुए नए डिजिटल संदर्भों में उसे अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन के लिए हमें लगातार सीखना होगा। सीखेंगे नहीं तो आगे कैसे बढ़ेंगे। हमें हमने जीवन पर्यन्त स्टूडेंट बनकर सीखते जाना है। कभी परिवार के लिए, कभी हमारी फिजिक तो कभी हमारे बिजनेस के लिए तो कभी सोसायटी के लिए सीखना होगा। हमें फ्यूचर रेड्डी होना होगा। हमें सोसायटी के लिए रेलवेंट बने रहना है। जो समय के साथ नहीं बदला वो सोसायटी में भुला दिया गया, इररेलेवेंट हो गया। हमें कुछ चीजों को भूलना है, कुछ को भुलाना है व कुछ चीजों को नया सीखना है। ब्रह्मा सृष्टि के रचियता है मगर उनको कितने लोग जानते हैं, हिन्दुस्तान में जहां तक मेरी जानकारी है एक ही मंदिर है। लोग क्रिएटर को याद नहीं करते। सृष्टि के पालनकर्ता विष्णुजी के अवतारों को याद करते हैं। सबसे ज्यादा मंदिर शिवजी के क्यों हैं? क्योंकि उनसे हम भयभीत होते हैं। उनके पास तीसरे नेत्र की शक्ति है। मेरा मानना है कि किसी भी डिस्ट्रक्शन के बिना री-क्रिएशन नहीं बन सकता। अगर इस सृष्टि की रचना व संहार भी नई सृष्टि की रचना में होता है तो डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन शब्द भी बिजनेस मॉडल व थिंकिंग प्रोसेसर को री-इन्वेंट करने जैसा ही है। इस प्रोसेस में हमें ट्रेडिशनल व इररेलवेंट बिजनेस मॉडल को ध्वस्त करके अपेक्षाकृत बेहतर व भविष्योनमुखी नया मॉडल बनाना है।  उन्होंने कहा कि किसी ने भविष्य नहीं देखा है, लेकिन सब इन पर अनुमान और कयास लगाते हैं। कंपनी की पॉलिसी इस संबंध में थोड़ी अलग है, हम भी कई मामलों में अनुमान लगाते हैं, उनका आधार हायपोथिसिस होता है इसमें कस्टमर की डिमांड और रेग्यूलेट्री बोर्ड की सप्लाई का तालमेल होता है।
इस अवसर पर जेके पेपर कंपनी लिमिटेड के मार्केंटिंग व सेल्स चीफ पार्थ बिश्वास (Parth Biswas), सीनियर जनरल मैनेजर पेकेजिंग बोर्ड मनोज अग्रवाल (Manoj Agrawal), आईटी विभाग के सुबेंदू केश (Subendhu Kesh), सीपीएम के प्लांट हेड मुकुल वर्मा (Mukul Verma), मेनिफेक्चरिंग हेड पीयूष मित्तल (Piyush Mittal) ने कागज उद्योग पर विचार रखे। कांफ्रेंस में 250 होलसेलर्स-डीलर्स ने प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। धन्यवाद विजय गंभीरे (Vijay Gambhire) ने दिया।

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